नई दिल्ली, 24 मई 2023 (यूटीएन)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि ब्याज दर में वृद्धि को रोकना उनके हाथ में नहीं है, यह उस समय की
जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है. अप्रैल में आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखते हुए सभी को हैरान कर दिया था. इससे पहले केंद्रीय बैंक मई, 2022 से रेपो दर में ढाई प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है. भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गवर्नर दास ने बुधवार को कहा कि इस तरह के सुझाव आए हैं कि
केंद्रीय बैंक को आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठकों में नीतिगत दर में बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे हाथ में नहीं है. यह जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है. जो कुछ उस समय हो रहा है मुझे उसके हिसाब से फैसला करना है. यह देखना है कि रुझान क्या है. क्या मुद्रास्फीति बढ़ रही है या नरम हुई है.” आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पूंजी, तरलता की मजबूती स्थिति और संपत्ति की गुणवत्ता में
सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली स्थिर और मजबूत बनी हुई है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक पर्याप्त नगदी सुनिश्चित करेगा. उन्होंने आगे कहा कि मई महीने में खुदरा महंगाई दर अप्रैल के मुकाबले कम रहने का अनुमान है.
अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 18 महीने के निचले लेवल 4.70 फीसदी पर आ गया जबकि ठीक एक साल पहले अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर जा पहुंची थी. शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दर में वृद्धि को रोकना मेरे हाथ में नहीं है, यह स्थिति पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि महंगाई दर कमी जरूर कमी आई है लेकिन ये समय लापरवाही और कोताही बरतने का नहीं है. आरबीआई
गवर्वर ने कहा कि आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी 7 फीसदी से ज्यादा रह सकता है. उन्होंने कहा कि पूंजी, तरलता की मजबूती स्थिति और संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली स्थिर और मजबूत बनी हुई है. उन्होंने कहा कि
अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक पर्याप्त नगदी सुनिश्चित करेगा. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अलग अलग देशों के सेंट्रल बैंकों ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया था. जिसके बाद बैंकिंग और गैर-बैंकिंग फाइनैंशियल संस्थाओं में कई दिक्कतें उभरकर सामने आई है. आरबीआई गवर्नर हाल ही में अमेरिका और स्विटजरलैंड में आए
बैंकिंग क्राइसिस की तरफ इशारा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते अमेरिका और स्विटजरलैंड में बैकिंग संकट सामने उभरकर आया है. उन्होंने कहा कि भविष्य की मॉनिटरी पॉलिसी की अनिश्चितता को लेकर फाइनैंशियल मार्केट में अभी भी उतार-चढ़ाव बना हुआ है.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |