[pj-news-ticker]

नमस्कार हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 7078277779 / +91 9927127779 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,




5 दिन में सिर्फ 97 मिनट चली संसद, पक्ष-विपक्ष की पॉलिटिक्स में देश के खजाने का 50 करोड़ स्वाहा

उद्योगपति गौतम अडानी और राहुल गांधी के भाषण पर जारी गतिरोध की वजह के पांचवे दिन भी संसद नहीं चल सकी.

नई दिल्ली, 18 मार्च  2023 (यूटीएन)।  उद्योगपति गौतम अडानी और राहुल गांधी के भाषण पर जारी गतिरोध की वजह के पांचवे दिन भी संसद नहीं चल सकी. लोकसभा और राज्यसभा दोनों अब सोमवार यानी 20 मार्च के लिए स्थगित कर दी गई है. संसद ठप होने के बाद कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना-प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
*5 दिन में 42 मिनट ही चल पाई लोकसभा*
13 मार्च से 17 मार्च तक लोकसभा की कार्यवाही सिर्फ 42 मिनट ही चल पाई है. लोकसभा टीवी से रिसर्च की गई डेटा के मुताबिक 13 मार्च को 9 मिनट, 14 मार्च को 4 मिनट, 15 मार्च को 4 मिनट, 16 मार्च को 3.30 मिनट और 17 मार्च को करीब 22 मिनट ही सदन की कार्यवाही हो पाई है.
इस दौरान न तो सदन में किसी बिल पर चर्चा हो पाया और न ही प्रश्नकाल और शून्यकाल का काम हुआ. लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि सदन में सरकार के मंत्री हंगामा कर रहे हैं और मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है.बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू हुआ था, लेकिन हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही एक दिन भी पूरी नहीं हो पाई है. संसद के इस चरण में 35 बिल पेंडिंग है.
*राज्यसभा का रिकॉर्ड बेहतर पर कामकाज नहीं हुआ*
पिछले 5 दिन में राज्यसभा की कार्यवाही 55 मिनट तक चली है. प्रतिदिन के हिसाब से अगर कार्यवाही को देखा जाए तो औसतन 11 मिनट. 13 मार्च को सबसे अधिक 21 मिनट तक संसद की कार्यवाही चली. इस दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दोनों ने अपनी बातें रखी.  खरगे नाटु-नाटु गाने को मिले ऑस्कर अवार्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते नजर आए, लेकिन जेपीसी की मांग को लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया.
पीयूष गोयल राहुल गांधी से माफी मांगने की बात कहने लगे, जिससे विपक्ष के नेता बेल में आ गए. हंगामा देख कर सभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी. 2008 के बाद यह पहली बार है, जब सत्ताधारी दलों के हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ी है. 2008 में अमेरिका से परमाणु समझौते पर सत्ता में शामिल लेफ्ट पार्टियों ने जमकर हंगामा किया था.बाद में सरकार को सदन में विश्वासमत हासिल करना पड़ा था. सपा ने उस वक्त बाहर से समर्थन देकर मनमोहन सरकार बचाई थी.
सदन में हंगामे पर क्या बोले स्पीकर?
शुक्रवार को कार्यवाही स्थगित करने से पहले ओम बिरला ने सभी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि सदन आप सभी चलने दीजिए. जैसे ही सदन की कार्यवाही गति पकड़ेगी, हम सभी को बोलने का मौका देंगे.
इसी बीच कांग्रेस सांसद ‘राहुल को बोलने दो’ का नारा लगाते हुए वेल में आ गए, जिसके बाद बीजेपी सांसदों ने भी ‘राहुल शेम-शेम’ का नारा लगाने लगे. सदन में हंगामे की स्थिति को देखते हुए लोकसभा स्पीकर ने कार्यवाही को म्यूट कर दिया. स्पीकर ने फिर अपील करते हुए कहा कि संसद में आप लोग नारेबाजी मत कीजिए. यहां काम होने दीजिए. पूरा देश आपको देख रहा है, लेकिन हंगामा जारी रहा. इसके बाद अगले दिन के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
*सदन चलाने में एक दिन का कितना खर्च?*
संसद की कार्यवाही आम तौर हफ्ते में 5 दिनों तक चलती है. प्रत्येक दिन संसद की कार्यवाही 7 घंटे तक चलाने की परंपरा है. 2018 में संसद की कार्यवाही के खर्च को लेकर एक रिपोर्ट आई थी. हालांकि, अब इस रिपोर्ट के 5 साल हो चुके हैं और 2018 की तुलना में महंगाई में भी बढ़ोतरी हुई है.  इस रिपोर्ट के मुताबिक संसद में एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपए है. दिन के हिसाब से जोड़ा जाए तो यह खर्च बढ़कर 10 करोड़ रुपए से अधिक हो जाता है. संसद में एक मिनट की कार्यवाही का खर्च 2.5 लाख रुपए है.संसद की कार्यवाही के दौरान सबसे अधिक खर्च सांसदों के वेतन, सत्र के दौरान सांसदों को मिलने वाली सुविधाएं और भत्ते, सचिवालय के कर्मचारियों की सैलरी और संसद सचिवालय पर किए जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन मद में हरेक मिनट 1.60 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं.
*खर्च का मुद्दा उठता है फिर भी हालात नहीं बदले*
ऐसा पहली बार नहीं है, जब संसद की कार्यवाही में होने वाले खर्च को लेकर मुद्दा उठ रहा है. पहले भी कई बार यह मुद्दा उठ चुका है, लेकिन कार्यवाही में कोई बदलाव नहीं आता है.  दिसंबर में संसद का शीतकालीन सत्र भी हंगामे का भेट चढ़ गया था. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की पेगासस पर एक रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी दलों ने जमकर सदन में हंगामा किया.  हालात ये हो गए कि कई बिल बिना चर्चा के ही सरकार ने सदन से पास करा लिया. विपक्ष के हंगामा को देखते हुए सत्र को समय से 7 दिन पहले ही खत्म कर दिया गया. 2022 के मानसून सत्र भी हंगामे की वजह से स्थगित रहा. मानसून सत्र में दोनों सदनों में 120 घंटे की जगह 26.8 घंटे काम हुआ. इस दौरान सरकार सिर्फ 2 बिल पास करा पाई, जबकि सरकार ने 32 बिल पेश करने का ऐलान किया था.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

[wonderplugin_carousel id="1"]
RELATED ARTICLES

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

Most Popular

आज का राशिफल देखें