Tuesday, October 7, 2025

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आंखों के सामने बारिश में भीगते रहे अरमान: अन्नदाता देखते रहा

मथुरा, 07 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। तेज हवा के कारण तिरपाल उड़ गए, जिससे फसलें नहीं ढकी जा सकीं। किसानों को अपना धान शेड के नीचे उतरने की जगह नहीं मिल पा रही है। मजबूरी में किसान खुले आसमान के नीचे उतार रहे हैं। कुछ किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि उन्हें धान को ढकने के लिए खुद के तिरपालों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। मंडी परिसर करीब 45 एकड़ भूमि में है। अधिकतर मंडी की भूमि पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। खाली पड़ी भूमि पर अगर टिनशेड बन जाते तो उनकी फसल नही भिगती।

वही आढ़तियों ने भी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मंडी में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। सफाई के अभाव में जगह-जगह पानी भर गया, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा। वह अपनी ओर से इंतजाम करते हैं, लेकिन मंडी में निकासी व्यवस्था ठप होने से समस्या बढ़ जाती है। कोसीकलां में तेज बारिश से अनाज मंडी में खुले में पड़ा धान भीग गया तो किसानों ने आंखों में आंसू टपक पड़े। थोड़ी देर की बारिश से मंडी में पानी ही पानी नजर आने से उसके साल भर की कमाई बारिश में भीग गई।

बारिश आने पर मजदूर तिरपाल लेकर धान को ढकने के लिए भागे, परंतु मजदूरों के पास पर्याप्त तिरपाल ही नहीं थे। मंडी में धान की जो ढेर में लगी हुई थीं। वह भी पानी में डूबी नजर आई। मंडी धान की फसल बेचने आए किसान सुरजीत सिंह, महिपाल, सुखदेव, राधाचरण का कहना है कि कई हिस्सों में शेड नहीं हैं और जो है वे भी अपर्याप्त हैं। 

मथुरा-ब्यूरो चीफ, (अजय वीर सिंह)।

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आंखों के सामने बारिश में भीगते रहे अरमान: अन्नदाता देखते रहा

मथुरा, 07 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। तेज हवा के कारण तिरपाल उड़ गए, जिससे फसलें नहीं ढकी जा सकीं। किसानों को अपना धान शेड के नीचे उतरने की जगह नहीं मिल पा रही है। मजबूरी में किसान खुले आसमान के नीचे उतार रहे हैं। कुछ किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि उन्हें धान को ढकने के लिए खुद के तिरपालों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। मंडी परिसर करीब 45 एकड़ भूमि में है। अधिकतर मंडी की भूमि पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। खाली पड़ी भूमि पर अगर टिनशेड बन जाते तो उनकी फसल नही भिगती।

वही आढ़तियों ने भी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मंडी में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। सफाई के अभाव में जगह-जगह पानी भर गया, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा। वह अपनी ओर से इंतजाम करते हैं, लेकिन मंडी में निकासी व्यवस्था ठप होने से समस्या बढ़ जाती है। कोसीकलां में तेज बारिश से अनाज मंडी में खुले में पड़ा धान भीग गया तो किसानों ने आंखों में आंसू टपक पड़े। थोड़ी देर की बारिश से मंडी में पानी ही पानी नजर आने से उसके साल भर की कमाई बारिश में भीग गई।

बारिश आने पर मजदूर तिरपाल लेकर धान को ढकने के लिए भागे, परंतु मजदूरों के पास पर्याप्त तिरपाल ही नहीं थे। मंडी में धान की जो ढेर में लगी हुई थीं। वह भी पानी में डूबी नजर आई। मंडी धान की फसल बेचने आए किसान सुरजीत सिंह, महिपाल, सुखदेव, राधाचरण का कहना है कि कई हिस्सों में शेड नहीं हैं और जो है वे भी अपर्याप्त हैं। 

मथुरा-ब्यूरो चीफ, (अजय वीर सिंह)।

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