नई दिल्ली, 30 अक्टूबर 2023 (यूटीएन)। यहां सीबीडी ग्राऊण्ड में आचार्य महाश्रमण जी के 50 वें दीक्षा दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम बड़ी श्रद्धा और हर्सोल्लास से मनाया गया। तेरापंथ जैन सभा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही इसमें जैन धर्म के सभी संप्रदायों के प्रमुख संत उपस्थित थे। जिनमें दिगम्बर आचार्य सुनील सागर जी, मूर्तिपूजक श्वेताम्बर आचार्य धर्मधुरंधर जी, स्थानकवासी उत्तर भारत प्रवर्तक सुभद्र मुनि एवं तेरापंथ के मुनि कमल कुमार जी सहित अनेक संत मौजूद थे। दिल्ली के विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल भी इस अवसर पर मौजूद थे।
आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि महाश्रमण जी की क्षमताओं से सारा जैन समाज लाभान्वित हो रहा है। आचार्य ने कहा कि हम सब एक है और सभी एक होकर ही रहे तथा एकजुट होकर जिन शासन की प्रभावना कर सत्य और अहिंसा का संदेश दुनिया को दें। आचार्य ने कहा कि जब तक रथ के चार पहिये एक साथ नहीं है तब तक रथ कहीं भी नहीं पहुँच सकता है। उन्होंने कहा कि वही वर्तमान के जैनशासन की व्यवस्था है। भगवान महावीर स्वामी के 2550 वे निर्वाण महोत्सव वर्ष के संदर्भ में आचार्य ने कहा कि अगर चारो सम्प्रदाय एक साथ मिलजुल कर भगवान महावीर स्वामी 2550 वां निर्वाण महोत्सव मनाएं तो दुनिया व देश में भगवान महावीर स्वामी का सत्य और अहिंसा का सन्देश जायेगा।
आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि मुनिराज लम्बी पद यात्रा कर करके अहिंसा, सत्य और सदाचार का संदेश जन-जन तक पहुँचाएंगे। आज समाज के विकास की आवश्यकता है जन जन को जिनशासन और धर्म से जोड़कर देश को आगे बढाने की जरूरत है, तथा युवाओं को धर्म के संस्कार देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संत मुनि जितनी बाहर यात्रा करते है, उतनी उससे व ज्यादा वो अंतरंग आत्मा की यात्रा’ करते हैं। बाहर की यात्रा जन-जन के कल्याण के लिए होती है भगवान महावीर स्वामी ने हमने जो मार्ग दिया है उस मार्ग पर हम भी चलने का प्रयत्न करें।
आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि सभी जैन संतो के भाव है कि भगवान महावीर स्वामी का 2550, वां निर्वाण महोत्सव बहुत ऊँचाइयों से मनाया जाना चाहिये।
उन्होंने बताया कि भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया जाये। आचार्य ने कहा कि जैसे हमारे गुरुजन का 50 पा 75 वां महोत्सव आता है तो खुश होते हैं। उसे विशाल रूप में मनाते हैं। लेकिन हमारे परम पिता भगवान महावीर स्वामी का 2550 वाँ निर्वाण, महोत्सव है तो हमारे उत्साह, कि कितनी सीमा होनी चाहिये कैसी गरिमा होनी चाहिए उस बात पर भी फोकस होना चाहिए। आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि कदाचित मत भेद हो जाये लेकिन कभी भी मन भेद न हो। कहीं पर संतो का विहार हो रहा हूँ तो वहाँ का समाज उन संतो को ठहरने रुकने को के लिए योगदान दे चाहे वह किसी भी पंथ या संप्रदाय से हो। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि आपसी मतभेदों को भुलाकर संत साधुओ की सेवा करें।
आचार्य श्री ने कहा कि गिरनारजी हमारा तीर्थ है हम सबको मिलजुल कर एक होकर के उसको बचाने का प्रयास करना चाहिये लेकिन आज सब चुप बैठे हैं। उन्होंने कहा कि घूमने के लिए हिल स्टेशन, मूवी थियेटर व पार्टी आदि अन्य स्थानों पर जाने की बजाय हमारे जैन तीर्थ क्षेत्र गिरनारजी, सम्मेद शिखर पावापुरी शत्रुचुजय पालीताणा जैसे तीर्थ क्षेत्र पर जाना चाहिए ताकि जैन तीथों क संरक्षण हो सके इसके लिए हम सबको एक होना होगा आपस मे किसी प्रकार का वैमनस्य न हो, सभी एक दुसरे सहयोगी बने। इस अवसर पर मूर्ति पूजक संप्रदाय के गच्छाधिपति आचार्य धर्मधूरन्धर जी ने कहा कि आज आचार्य महाश्रमण जी के चरित्र का अभिनंदन किया जा रहा है हमारे लिए चारित्र पूजनीय होता है।
उत्तर भारत प्रवर्तक सुभद्र मुनि ने कहा कि मैं कालूगणी को तो नहीं देखा परंतु आचार्य श्री तुलसी आचार्य महाप्रज्ञ जी आचार्य महाश्रमण जी को देखा है तीनों पर कालूगणी का उपकार है जो जैन आगमों का काम हुआ है और जो हो रहा है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। दीपेश मुनि ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के एक-एक अक्षर की नवीन व्याख्या कर सबको आकर्षित कर दिया। साध्वीश्री अणिमा जी ने आचार्य महाश्रमण जी की विनम्रता कर्तव्य परायणता के उदाहरण देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर साध्वीश्री संघमित्रा जी द्वारा निर्मित गीत का दिल्ली के गायको ने पेश कर शमा बांध दिया। मुनि अमन कुमार जी, साध्वी डॉक्टर सुधाप्रभा जी ने भी अपने गीत और वक्तव्य से गुरुदेव का वर्धापन किया। साध्वीमंडल का गीत भी आकर्षक रहा।
आचार्य महाश्रमण जी के शिष्य उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने अपने गुरु के प्रति अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य महाश्रमण जी ने अपने त्रिसूत्री आयाम के द्वारा केवल जैन को ही नहीं जन-जन को प्रभावित किया है। आपने देश-विदेश की लंबी यात्राएं करके अनगिनत लोगों को जीने की कला सिखाई। आपके कुशल नेतृत्व में सारा धर्म संघ स्वस्थ मस्त और संयम साधना में गतिमान है। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भी आचार्य महाश्रमण जी के प्रति अपनी विनयांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा कि समाज पर उनका बहुत बड़ा उपकार है। इस अवसर पर आचार्य विभक्त सागर जी, ऐलक विज्ञान सागर जी, उपप्रवर्तक आनंद मुनि जी, साध्वी अणिमा आदि चारों संप्रदाय के प्रमुख संतों सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |