[pj-news-ticker]

नमस्कार हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 7078277779 / +91 9927127779 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,




पहली बार आयुर्वेदिक फॉर्मूले से रुकेगी कैंसर की रफ्तार

करीब एक दशक लंबी रिसर्च के बाद दुनिया में पहली बार पारंपरिक चिकित्सा के दम पर कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकी जाएगी।

नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2023 (यूटीएन)। करीब एक दशक लंबी रिसर्च के बाद दुनिया में पहली बार पारंपरिक चिकित्सा के दम पर कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकी जाएगी। केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अधीन जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एनआईए) के डॉक्टरों ने आयुर्वेद सिद्धांतों के जरिए वी2एस2 नामक दवा की खोज की है जिसे हाइड्रो एल्कोहलिक तत्वों से तैयार किया है।
दवा को बाजार में आने से पहले क्लीनिकल ट्रायल से गुजरना होगा जिसकी शुरुआत मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल से होने जा रही है। इस प्री क्लीनिकल ट्रायल के बाद जम्मू में उसके आगे का परीक्षण किया जाएगा। एनआईए के कुलपति डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि प्री क्लीनिकल ट्रायल जल्द ही मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में शुरू होंगे। इसके बाद जयपुर और जम्मू कश्मीर में ट्रायल पूरा होगा।
*दो से तीन वर्ष का समय* 
पारंपरिक चिकित्सा और वैज्ञानिक तथ्यों को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते हैं। टाटा मेमोिरयल अस्पताल की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ज्योति कोडे ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस अध्ययन के लिए मॉडल तैयार किया गया है। क्लीनिकल ट्रायल फेज पूरा करने में करीब दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है लेकिन इस अवधि में उनके पास ठोस परिणाम होंगे और फिर यह उपचार पद्धति में शामिल हो सकती है।
*एमिल फार्मा करेगा उत्पादन व वितरण*
ट्रायल के लिए एनआईए, टाटा मेमोरियल अस्पताल, जम्मू के आयुष विभाग और एमिल फार्मास्युटिकल के बीच करार हुआ है। ट्रायल पूरा होने के बाद दवा का उत्पादन व वितरण एमिल फार्मा करेगा, जिसमें करीब एक वर्ष का समय लग सकता है। इसके परिणामों का विश्लेषण करने के बाद आगे का अध्ययन एनआईए और जम्मू-कश्मीर का आयुष विभाग करेगा।
*कैंसर के खिलाफ की इम्यूनिटी बूस्ट* 
डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद के कई अध्यायों में कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ रोकने का वर्णन मिलता है। इन्हीं फाॅर्मूला को लेकर लंबे समय से डॉक्टर अध्ययन कर रहे थे। कोरोना महामारी के दौरान इसमें थोड़ी रुकावट आई थी लेकिन जब प्रयोगशाला में यह तैयार हुआ तो इसमें कैंसररोधी गुणों की पुष्टि हुई। साथ ही, पता चला कि यह इम्यूनिटी बूस्ट करने में भी सहायक है।
*कई कैंसर के लिए होगा अध्ययन* 
जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में 2017 प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। इसके मुताबिक भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से सात की मौत हो जाती है जबकि विकसित देशों में यह संख्या ती या चार है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

[wonderplugin_carousel id="1"]
RELATED ARTICLES

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

Most Popular

आज का राशिफल देखें