नई दिल्ली, 08 जून 2023 (यूटीएन)। नेपाल और पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश के राजनीतिक नेतृत्व ने भी नई संसद भवन में अखंड भारत के एक भित्ति चित्र पर आपत्ति जताई है। विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम ने बांग्लादेशी उच्चायोग से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा है। हालांकि भारत ने पिछले सप्ताह स्पष्ट किया था कि यह कलाकृति अशोक साम्राज्य के प्रसार को दिखाती है। सोमवार को ढाका में आलम ने कहा कि भित्ति चित्र का ‘राजनीति से कोई लेना-देना नहीं’ है और ‘इसके बारे में भ्रमित होने’ की कोई वजह नहीं है। आलम ने कहा कि नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग को ‘आधिकारिक स्पष्टीकरण’ प्राप्त करने के लिए विदेश मंत्रालय से बात करने के लिए कहा गया है उन्होंने कहा, इस बारे में संदेह जताने का कोई कारण नहीं है।
हालांकि, आगे के स्पष्टीकरण के लिए हमने दिल्ली में मिशन से भारतीय विदेश मंत्रालय से बात करने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका आधिकारिक स्पष्टीकरण क्या है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भित्ति चित्र को ‘अशोक साम्राज्य का नक्शा’ बताया था और यह ईसा मसीह के जन्म से तीन सौ साल पहले का है। उन्होंने कहा कि यह उस समय मौजूद क्षेत्र का नक्शा था और भित्ति चित्र लोगों की यात्रा को दर्शाता है। भारतीय अधिकारियों या बांग्लादेश उच्चायोग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि बांग्लादेशी उच्चायोग भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है। भित्ति चित्र हाल के दिनों में बांग्लादेश के सोशल मीडिया में आया था, लेकिन जनता के बीच चर्चा का एक प्रमुख विषय नहीं बन पाया।
इस भित्ति चित्र को कुछ भाजपा नेताओं ने ‘अखंड भारत’ या एकीकृत भारत के प्रतिनिधित्व के रूप में संदर्भित किया है जिसमें कई पड़ोसी देशों के हिस्से शामिल हैं। नेपाल और पाकिस्तान के नेताओं को ये टिप्पणियां पसंद नहीं आईं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले हफ्ते साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, भित्ति चित्र मेंअशोक साम्राज्य के प्रसार और जन-उन्मुख शासन के विचार को दर्शाया गया है, जिसे सम्राट अशोक ने अपनाया और प्रचारित किया। भित्ति चित्र में नेपाल में लुंबिनी और कपिलवस्तु जैसे प्राचीन स्थलों और वर्तमान पाकिस्तान के ऐतिहासिक स्थानों को दर्शाया गया है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |