हरदोई, 06 अप्रैल 2025 (यूटीएन)। ग्राम पंचायत में कूड़ा उठाने के लिए सप्लायरों के माध्यम से खरीदे गए गार्बेज (ई- लोडर) एआरटीओ कार्यालय में पंजीकृत ही नहीं है, ग्राम पंचायतों ने सरकारी धन हड़पने के लिए ई लोडरों की खरीद तो कर ली पर न तो उनका रजिस्ट्रेशन कराया और न ही बीमा। जिससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। इसकी खरीददारी की रिपोर्ट डीएम ने एक माह पूर्व मांगी थी, जिसमें 07 ब्लाकों के पंचायत सचिव व बीडीओ रिपोर्ट नहीं दे सके हैं। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिले के शाहाबाद, पिहानी, बिलग्राम, सुरसा, सांडी, बावन आदि सभी ब्लॉकों की ग्राम पंचायतो में कूड़ा उठाने के लिए जिला पंचायत राज विभाग के माध्यम से (गार्बेज) ई-लोडर सप्लायरों के माध्यम से क्रय किए गए थे।
लेकिन इन लोडरो का एआरटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया गया। ये ई लोडर नियमों को ताक पर रखकर डग्गामारी में ग्राम पंचायत में चलाए जा रहे हैं। यही नहीं प्रधान और सेक्रेटरी की मिलीभगत से परिवहन विभाग को मोटा चूना लगाया गया। सवाल ये उठता है कि यदि इन लोडरो से कभी कोई दुर्घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? सूत्रों की मानें तो सप्लायर ने अपने मोटे कमीशन के चक्कर में सेक्रेटरी और प्रधान की मिलीभगत से यह बड़ा खेल खेला है, इससे भी बड़ी बात यह है कि परिवहन विभाग में बिना पंजीकरण के डीपीआरओ ने इन लोडरो की खरीद के बिल भी पास कर दिए गए।
ग्राम पंचायत के नाम रजिस्ट्रेशन न होने के कारण अब यह लोडर प्रधानों की निजी जागीर बनकर रह गए हैं। जानकारों का कहना है कि यदि इन गार्बेज ई-लोडरों का रजिस्ट्रेशन न कराया गया तो परिवहन विभाग को तो करोड़ों का चूना लगेगा ही साथ ही दुर्घटना होने पर बड़ा पेंच फंस सकता है। बहरहाल सप्लायर और ग्राम पंचायत की सांठगांठ से बिना पंजीकरण कराये ही इन लोडरों का उपयोग किया जा रहा है।
हालांकि इसकी खरीद गाव से आरआरसी सेंटर तक कूड़ा पहुँचाने के लिए की गयी थी, किंतु ज्यादातर प्रधानों द्वारा इसका निजी कार्यों में प्रयोग किया गया जा रहा है। इस सम्बन्ध में डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने डीपीआरओ के माध्यम से खरीददारी के संबंध में सभी ब्लाकों से अभिलेख तलब किए थे, जिनमें से 07 विकास खंडों के पंचायत सचिव व बीडीओ ने अभिलेख नहीं दिए हैं।
हरदोई-स्टेट ब्यूरो,(लव कुश सिंह) |