Thursday, April 24, 2025

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गन्ना बाघिन मिट्टी को रास नहीं आया लखीमपुर, 50 किमी पैदल चलकर लौटी पीलीभीत

पिछले कुछ महीनों से पीलीभीत के एक इलाके में एक बाघिन गन्ने के खेतों में अपनी टेरिटरी बना रही है, खास बात यह है कि अब तक इस बाघिन की मौजूदगी से किसी भी तरह का संघर्ष नहीं हुआ है, वाइल्डलाइफ कंटेंट क्रिएटर हरविंदर मान इस बाघिन की गतिविधियों को एक्स पर साझा करते हैं।

पीलीभीत, 25 मार्च 2025 (यूटीएन)। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला टाइगर रिजर्व गन्ने के खेतों में रहने वाले बाघों के लिए भी विख्यात है।पिछले कुछ दिनों से एक बाघिन गन्ने के खेतों में दिखाई दे रही है। कुछ समय पहले यह बाघिन लखीमपुर खीरी जिले तक पहुंच गई थी, लेकिन 50 किलोमीटर का सफर तय कर यह बाघिन फिर से अपने पुराने इलाके में लौट आई है। हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी और शारदा की तराई में बसे जंगलों को तराई आर्कलैंड कहा जाता है।जैव विविधता के लिहाज से यह क्षेत्र काफी संपन्न माना जाता है। यहां का मुख्य आकर्षण तराई के भारी भरकम बंगाल टाइगर्स हैं।

इनका दीदार करने के लिए हजारों सैलानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आते हैं, लेकिन यहां के कुछ बाघ जंगल छोड़कर जंगल से सटे इलाकों में रहने लगते हैं, इन्हें सुगरकेन टाइगर्स कहा जाता है। मौजूदा समय में इनकी संख्या लगभग आधा दर्जन बताई जाती है। पिछले कुछ महीनों से पीलीभीत के एक इलाके में एक बाघिन गन्ने के खेतों में अपनी टेरिटरी बना रही है। खास बात यह है कि अब तक इस बाघिन की मौजूदगी से किसी भी तरह का संघर्ष नहीं हुआ है। वाइल्डलाइफ कंटेंट क्रिएटर हरविंदर मान इस बाघिन की गतिविधियों को एक्स पर साझा करते हैं।

हरविंदर मान ने गन्ने के खेतों में रहने के कारण इस बाघिन का नाम मिट्ठी रखा है। हरविंदर का कहना है कि लंबे समय से बाघिन की मौजूदगी के कारण उन्हें उससे खास लगाव हो गया है, इसलिए वे उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसकी लोकेशन को गुप्त रखते हैं। बाघिन मिट्ठी कुछ दिनों पहले चहलकदमी करते हुए पड़ोसी जिले लखीमपुर खीरी तक पहुंच गई थी,जहां लोगों ने इसका ड्रोन फुटेज भी साझा किया था।दो दिन पहले बाघिन मिट्ठी फिर से अपने पुराने इलाके में देखी गई है,जहां वन विभाग की टीमें उसकी निगरानी कर रही हैं।

पीलीभीत- स्टेट ब्यूरो, (अरुण मिश्रा) |

International

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गन्ना बाघिन मिट्टी को रास नहीं आया लखीमपुर, 50 किमी पैदल चलकर लौटी पीलीभीत

पिछले कुछ महीनों से पीलीभीत के एक इलाके में एक बाघिन गन्ने के खेतों में अपनी टेरिटरी बना रही है, खास बात यह है कि अब तक इस बाघिन की मौजूदगी से किसी भी तरह का संघर्ष नहीं हुआ है, वाइल्डलाइफ कंटेंट क्रिएटर हरविंदर मान इस बाघिन की गतिविधियों को एक्स पर साझा करते हैं।

पीलीभीत, 25 मार्च 2025 (यूटीएन)। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला टाइगर रिजर्व गन्ने के खेतों में रहने वाले बाघों के लिए भी विख्यात है।पिछले कुछ दिनों से एक बाघिन गन्ने के खेतों में दिखाई दे रही है। कुछ समय पहले यह बाघिन लखीमपुर खीरी जिले तक पहुंच गई थी, लेकिन 50 किलोमीटर का सफर तय कर यह बाघिन फिर से अपने पुराने इलाके में लौट आई है। हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी और शारदा की तराई में बसे जंगलों को तराई आर्कलैंड कहा जाता है।जैव विविधता के लिहाज से यह क्षेत्र काफी संपन्न माना जाता है। यहां का मुख्य आकर्षण तराई के भारी भरकम बंगाल टाइगर्स हैं।

इनका दीदार करने के लिए हजारों सैलानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आते हैं, लेकिन यहां के कुछ बाघ जंगल छोड़कर जंगल से सटे इलाकों में रहने लगते हैं, इन्हें सुगरकेन टाइगर्स कहा जाता है। मौजूदा समय में इनकी संख्या लगभग आधा दर्जन बताई जाती है। पिछले कुछ महीनों से पीलीभीत के एक इलाके में एक बाघिन गन्ने के खेतों में अपनी टेरिटरी बना रही है। खास बात यह है कि अब तक इस बाघिन की मौजूदगी से किसी भी तरह का संघर्ष नहीं हुआ है। वाइल्डलाइफ कंटेंट क्रिएटर हरविंदर मान इस बाघिन की गतिविधियों को एक्स पर साझा करते हैं।

हरविंदर मान ने गन्ने के खेतों में रहने के कारण इस बाघिन का नाम मिट्ठी रखा है। हरविंदर का कहना है कि लंबे समय से बाघिन की मौजूदगी के कारण उन्हें उससे खास लगाव हो गया है, इसलिए वे उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसकी लोकेशन को गुप्त रखते हैं। बाघिन मिट्ठी कुछ दिनों पहले चहलकदमी करते हुए पड़ोसी जिले लखीमपुर खीरी तक पहुंच गई थी,जहां लोगों ने इसका ड्रोन फुटेज भी साझा किया था।दो दिन पहले बाघिन मिट्ठी फिर से अपने पुराने इलाके में देखी गई है,जहां वन विभाग की टीमें उसकी निगरानी कर रही हैं।

पीलीभीत- स्टेट ब्यूरो, (अरुण मिश्रा) |

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