बहराइच, 21 मार्च 2025 (यूटीएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच में मिहींपुरवा तहसील के नए भवन का शुभारम्भ किया। औरंगजेब और सलार गाजी विवाद के बीच हिंदुत्व फायर ब्रांड सीएम योगी जमकर बरसे। सीएम ने कहा कि आक्रांता का महिमामंडन मतलब देशद्रोह है।बहराइच ऋषि परम्परा से जुड़ा जनपद है। बहराइच की पहचान व नाम बालार्क ऋषि के नाम पर आगे चला था। सीएम योगी ने सैयद सालार मसूद गाजी का बिना नाम लिए कहा कि विदेशी आक्रांता को महाराजा सुहेलदेव ने इस बहराइच में धूल धूसरित करते हुए भारत की विजय पताका को फहराया। महाराज सुहलदेव का शौर्य परामक्रम का इस स्तर का था उन्होंने विदेशी आक्रांता के साथ शौर्य का जो परिचय दिया था उसी की परिणित हुई कि 150 वर्ष तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर पाया।
सीएम योगी ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार हो रही है,भारत की संस्कृति का गुणगान दुनिया कर रही है,पूरा देश एकजुट होकर कार्य कर रहा है। सीएम ने कहा कि मैं सभी उत्तर प्रदेश वासियों से कहना चाहूंगा कि जब पूरी दुनिया में भारत की सनातन संस्कृति व परम्परा का गुणगान हो रहा है तो भारत के महापुरुषों के सम्मान का भाव हर नागरिक का दायित्व होना चाहिए। उन स्थितियों में किसी आक्रांता को महिमामंडन नहीं करना चाहिए। आक्रांता का महिमामंडन करना देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है और स्वतंत्र भारत ऐसे किसी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता है।
सीएम योगी ने कहा कि जो भारत के महापुरुषों को अपमानित करता हो,उन आक्रांताओं को महिमामंडन करता हो,जिन आक्रांताओं ने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदने का काम किया था,बहन बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने का काम कया था। आस्था पर प्रहार किया था,उसे आज का नया भारत कतई स्वीकार नहीं कर सकता है और इसीलिए कहने आया हूं विकास की गाथा तभी आगे बढ़ सकती है जब हम विरासत को पूरे गौरव के साथ बढ़ाने का काम करते हैं। हमारी गौरव गाथा विरासत के साथ जुड़ी है, विरासत विकास से जुड़ा है।
विश्व के सबसे बड़े धार्मिक महाकुंभ की चर्चा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ के भव्य आयोजन के बाद पूरी दुनिया उत्तर प्रदेश की ओर कौतूहल भरी निगाहों से देख रही है। सीएम ने कहा कि अभी दो दिन पहले संसद में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश वासियों और महाकुम्भ के आयोजन की प्रशंसा की है। मानवता का इतना बड़ा आयोजन दुनिया में कहीं नहीं हुआ है, कोई नहीं कर सकता। मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती के त्रिवेणी संगम में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु जनों का आगमन, भारत की महान सनातन संस्कृति की युग गाथा को अनंत काल तक गाने के लिए आने वाली पीढ़ी को विरासत के रूप में दिया है।
बता दें कि संभल के बाद सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर बहराइच में भी हलचल बढ़ गई है। दरअसल 1034 ईस्वी में बहराइच जिला मुख्यालय के पास बहने वाली चित्तौरा झील के किनारे महराजा सुहेलदेव ने अपने 21 अन्य छोटे-छोटे राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया था और उसे युद्ध में पराजित कर मार डाला था। सालार गाजी के शव को बहराइच में ही दफना दिया गया था,जहां सालाना जलसा होता है। जानकारों के मुताबिक सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। सालार गाजी विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा होने के साथ उसका सेनापति भी था। तलवार की धार पर अपनी विस्तारवादी सोच के साथ सालार मसूद गाजी 1030-31 के करीब अवध के इलाकों में सतरिख बाराबंकी होते हुए बहराइच, श्रावस्ती पहुंचा था।
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