नई दिल्ली, 27 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए भारत को दुर्लभ खनिज तत्वों (आरईई) के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाएगा, बल्कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
*भारत दुर्लभ खनिज तत्वों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बने*
‘वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए भारत के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह दुर्लभ खनिज तत्वों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बने। उन्होंने बताया कि ये तत्व वास्तव में कम नहीं हैं, लेकिन इन्हें पहचानने और अलग करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। यदि देश में स्वदेशी तकनीक विकसित हो जाए, तो यह चुनौती काफी हद तक आसान हो सकती है।
*’स्थिरता और नवाचार पर जोर दे रहा खनन मंत्रालय‘*
राष्ट्रपति ने कहा कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा तकनीक का दौर है। दुर्लभ खनिज तत्व स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), पवन ऊर्जा संयंत्र और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में अहम भूमिका निभाते हैं। ये 17 प्रकार के विशेष धात्विक तत्वों का समूह हैं, जो आधुनिक तकनीकों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया कि खनन मंत्रालय स्थिरता और नवाचार पर जोर दे रहा है।
खनन क्षेत्र में एआई, मशीन लर्निंग और ड्रोन आधारित सर्वेक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा खदानों से निकलने वाले अवशेषों से भी मूल्यवान तत्वों की रिकवरी पर काम हो रहा है।
*प्राकृतिक घटनाओं से हुए नुकसान पर जताई चिंता*
राष्ट्रपति ने इस वर्ष देश के कई हिस्सों में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं से हुए बड़े नुकसान पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘भू-विज्ञानियों को इन प्राकृतिक आपदाओं पर अधिक शोध करना चाहिए और ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे समय रहते आम लोगों को सतर्क किया जा सके।
उन्होंने भू-विज्ञानियों से आग्रह किया कि वे ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे भूकंप, सुनामी, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं की जानकारी समय पर लोगों तक पहुंच सके।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।