Monday, September 1, 2025

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भारत ने बनाई पहली स्वदेशी जल-घुलनशील खाद

अनुसंधान पहल का नेतृत्व करने वाले सॉल्युबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसएफआईए) के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि मेरा उद्देश्य भारत को विशेष रूप से विशिष्ट उर्वरक के क्षेत्र में आयात पर निर्भर देश से एक निर्यात प्रधान देश बनाना है।

नई दिल्ली, 01 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत ने सात साल के अनुसंधान के बाद अपनी पहली स्वदेशी जल-घुलनशील खाद तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस कामयाबी से देश की विशेष उर्वरकों के लिए चीन समेत अन्य पर आयात निर्भरता खत्म हो सकती है और भारत इस क्षेत्र में प्रमुख निर्यातक के तौर पर उभर सकता है।
यह तकनीक पूरी तरह से मेड इन इंडिया है। इसे खान मंत्रालय की मदद से भारतीय कच्चे माल और डिजाइन वाले संयंत्रों का उपयोग कर विकसित किया गया है। इससे चीन से होने वाले विशेष उर्वरकों के भारी आयात पर देश की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। इस अनुसंधान पहल का नेतृत्व करने वाले सॉल्युबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसएफआईए) के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि मेरा उद्देश्य भारत को विशेष रूप से विशिष्ट उर्वरक के क्षेत्र में आयात पर निर्भर देश से एक निर्यात प्रधान देश बनाना है।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि इस मायने में भी काफी अहम है कि चीन से विशेष उर्वरक निर्यात की अस्थायी बहाली के चलते राहत मिली है लेकिन यह राहत अल्पकालिक है, क्योंकि बीजिंग अगले महीने से निरीक्षण बढ़ाकर और खेप में देरी करके निर्यात नियंत्रण कड़ा करने की योजना बना रहा है।
चीन अक्तूबर से निर्यात बंद कर रहा है। वह इसे केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व बाजार के लिए बंद कर देगा। चक्रवती ने बताया कि सरकार की कई स्तरों पर जांच-पड़ताल के बाद इस तकनीक को हरी झंडी मिल चुकी है। अब इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए  तैयार किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले दो साल में जब बड़े उत्पादन संयंत्र काम करना शुरू कर देंगे, तो यह तकनीक किसानों के खेतों तक पहुंच जाएगी। 
*चीन लगा सकता है निर्यात पर प्रतिबंध*
चीन विशेष उर्वरक के निर्यात पर अक्तूबर से फिर प्रतिबंध लगा सकता है। इससे खाद की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। भारत का विशेष उर्वरक उद्योग आपूर्ति संबंधी चुनौतियों का सामना करने की तैयारी में जुटा है। चीन से विशेष उर्वरक निर्यात की अस्थायी बहाली के चलते राहत मिली है, लेकिन यह अल्पकालिक है। घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा, चीन अक्तूबर से सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व बाजार के लिए निर्यात बंद कर देगा। उन्होंने कहा, चीन का प्रतिबंध उर्वरक की आपूर्ति बेहद सीमित कर देगा।
*95% चीनी आपूर्ति पर निर्भर भारत*
अभी विशेष उर्वरकों के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है। देश अपने 80 प्रतिशत विशेष उर्वरकों का सीधा आयात चीन से करता है, जबकि बाकी 20 प्रतिशत भी परोक्ष रूप से चीनी स्रोतों से ही आता है। घरेलू स्तर पर बनने वाले केवल पांच प्रतिशत एनपीके फॉर्मूलेशन को छोड़ दें तो भारत विशेष उर्वरकों के लिए 95% चीनी आपूर्ति पर निर्भर है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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अनुसंधान पहल का नेतृत्व करने वाले सॉल्युबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसएफआईए) के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि मेरा उद्देश्य भारत को विशेष रूप से विशिष्ट उर्वरक के क्षेत्र में आयात पर निर्भर देश से एक निर्यात प्रधान देश बनाना है।

नई दिल्ली, 01 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत ने सात साल के अनुसंधान के बाद अपनी पहली स्वदेशी जल-घुलनशील खाद तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस कामयाबी से देश की विशेष उर्वरकों के लिए चीन समेत अन्य पर आयात निर्भरता खत्म हो सकती है और भारत इस क्षेत्र में प्रमुख निर्यातक के तौर पर उभर सकता है।
यह तकनीक पूरी तरह से मेड इन इंडिया है। इसे खान मंत्रालय की मदद से भारतीय कच्चे माल और डिजाइन वाले संयंत्रों का उपयोग कर विकसित किया गया है। इससे चीन से होने वाले विशेष उर्वरकों के भारी आयात पर देश की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। इस अनुसंधान पहल का नेतृत्व करने वाले सॉल्युबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसएफआईए) के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि मेरा उद्देश्य भारत को विशेष रूप से विशिष्ट उर्वरक के क्षेत्र में आयात पर निर्भर देश से एक निर्यात प्रधान देश बनाना है।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि इस मायने में भी काफी अहम है कि चीन से विशेष उर्वरक निर्यात की अस्थायी बहाली के चलते राहत मिली है लेकिन यह राहत अल्पकालिक है, क्योंकि बीजिंग अगले महीने से निरीक्षण बढ़ाकर और खेप में देरी करके निर्यात नियंत्रण कड़ा करने की योजना बना रहा है।
चीन अक्तूबर से निर्यात बंद कर रहा है। वह इसे केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व बाजार के लिए बंद कर देगा। चक्रवती ने बताया कि सरकार की कई स्तरों पर जांच-पड़ताल के बाद इस तकनीक को हरी झंडी मिल चुकी है। अब इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए  तैयार किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले दो साल में जब बड़े उत्पादन संयंत्र काम करना शुरू कर देंगे, तो यह तकनीक किसानों के खेतों तक पहुंच जाएगी। 
*चीन लगा सकता है निर्यात पर प्रतिबंध*
चीन विशेष उर्वरक के निर्यात पर अक्तूबर से फिर प्रतिबंध लगा सकता है। इससे खाद की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। भारत का विशेष उर्वरक उद्योग आपूर्ति संबंधी चुनौतियों का सामना करने की तैयारी में जुटा है। चीन से विशेष उर्वरक निर्यात की अस्थायी बहाली के चलते राहत मिली है, लेकिन यह अल्पकालिक है। घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने कहा, चीन अक्तूबर से सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व बाजार के लिए निर्यात बंद कर देगा। उन्होंने कहा, चीन का प्रतिबंध उर्वरक की आपूर्ति बेहद सीमित कर देगा।
*95% चीनी आपूर्ति पर निर्भर भारत*
अभी विशेष उर्वरकों के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है। देश अपने 80 प्रतिशत विशेष उर्वरकों का सीधा आयात चीन से करता है, जबकि बाकी 20 प्रतिशत भी परोक्ष रूप से चीनी स्रोतों से ही आता है। घरेलू स्तर पर बनने वाले केवल पांच प्रतिशत एनपीके फॉर्मूलेशन को छोड़ दें तो भारत विशेष उर्वरकों के लिए 95% चीनी आपूर्ति पर निर्भर है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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