Wednesday, October 8, 2025

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यज्ञोपवीत व यज्ञ के माध्यम से मनाया श्रावणी पर्व, यज्ञ के धूम्र, ध्वनि व गंध से सभी जीव जंतु भी लाभान्वित

आचार्य कपिल शास्त्री ने यज्ञ के पश्चात् अपने उद्बोधन में श्रावणी पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि, यह पर्व वैदिक धर्म में शुरू से ही प्रचलित हैं जिसको रक्षाबंधन पर्व भी कहते हैं, जिसमे भाई बहन का अटूट प्यार स्नेह देखने को मिलता हैं।

दोघट,09 अगस्त 2025 (यूटीएन)। श्रावण माह का अंतिम दिन यानि श्रावणी के पावन पर्व पर नंगला कनवाडा में आर्य समाज मंदिर में स्वस्ति यज्ञ आयोजित किया गया जिसका ब्रह्मत्व युवा विद्वान कपिल शास्त्री ने किया तथा मंत्रोच्चार करते हुए यज्ञ को सम्पन्न कराया । यज्ञ में अनेकों युवाओं व बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार भी किया गया।इस दौरान यज्ञमान सचिन आर्य सपत्नीक रहे ।

आचार्य कपिल शास्त्री ने यज्ञ के पश्चात् अपने उद्बोधन में श्रावणी पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि, यह पर्व वैदिक धर्म में शुरू से ही प्रचलित हैं जिसको रक्षाबंधन पर्व भी कहते हैं, जिसमे भाई बहन का अटूट प्यार स्नेह देखने को मिलता हैं।शास्त्री जी ने यज्ञमान के कर्तव्यों को बताते हुए कहा कि ,यज्ञमान बहुत बड़ा होता है जो यज्ञ का मान रखता हैं । यज्ञमान वही होता हैं अपने मन ,वचन और कर्म से यज्ञ के प्रति समर्पित हो।

उन्होंने कहा कि ,यज्ञ संगठन का प्रतीक हैं ,यज्ञ युवाओं व बालको को संस्कारित करने का सबसे बहुत सुंदर माध्यम हैं ,जिसमे देवों की आराधना भी की जाती हैं। यज्ञ मनुष्यों को ही नहीं, अपितु धूम्र,ध्वनि और सुगंध से सभी जीव जंतुओं के लिए लाभकारी होता है। यज्ञ में पहुचे जितेंद्र आर्य ने बहुत सुंदर भजन सुनाया। यज्ञ की सभी व्यवस्था जयराम आर्य, विपिन आर्य,सागर आर्य आदि ने की यज्ञ में योगेश, सोमपाल,मा आनंद छिल्लर , ब्रह्मदेव आर्य ,पूर्व प्रधान मांगेराम , देवेश आर्य ,चन्द्रदेव आर्य,विपिन आर्य ,बाबूराम आदि उपस्थित रहे।

 स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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यज्ञोपवीत व यज्ञ के माध्यम से मनाया श्रावणी पर्व, यज्ञ के धूम्र, ध्वनि व गंध से सभी जीव जंतु भी लाभान्वित

आचार्य कपिल शास्त्री ने यज्ञ के पश्चात् अपने उद्बोधन में श्रावणी पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि, यह पर्व वैदिक धर्म में शुरू से ही प्रचलित हैं जिसको रक्षाबंधन पर्व भी कहते हैं, जिसमे भाई बहन का अटूट प्यार स्नेह देखने को मिलता हैं।

दोघट,09 अगस्त 2025 (यूटीएन)। श्रावण माह का अंतिम दिन यानि श्रावणी के पावन पर्व पर नंगला कनवाडा में आर्य समाज मंदिर में स्वस्ति यज्ञ आयोजित किया गया जिसका ब्रह्मत्व युवा विद्वान कपिल शास्त्री ने किया तथा मंत्रोच्चार करते हुए यज्ञ को सम्पन्न कराया । यज्ञ में अनेकों युवाओं व बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार भी किया गया।इस दौरान यज्ञमान सचिन आर्य सपत्नीक रहे ।

आचार्य कपिल शास्त्री ने यज्ञ के पश्चात् अपने उद्बोधन में श्रावणी पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि, यह पर्व वैदिक धर्म में शुरू से ही प्रचलित हैं जिसको रक्षाबंधन पर्व भी कहते हैं, जिसमे भाई बहन का अटूट प्यार स्नेह देखने को मिलता हैं।शास्त्री जी ने यज्ञमान के कर्तव्यों को बताते हुए कहा कि ,यज्ञमान बहुत बड़ा होता है जो यज्ञ का मान रखता हैं । यज्ञमान वही होता हैं अपने मन ,वचन और कर्म से यज्ञ के प्रति समर्पित हो।

उन्होंने कहा कि ,यज्ञ संगठन का प्रतीक हैं ,यज्ञ युवाओं व बालको को संस्कारित करने का सबसे बहुत सुंदर माध्यम हैं ,जिसमे देवों की आराधना भी की जाती हैं। यज्ञ मनुष्यों को ही नहीं, अपितु धूम्र,ध्वनि और सुगंध से सभी जीव जंतुओं के लिए लाभकारी होता है। यज्ञ में पहुचे जितेंद्र आर्य ने बहुत सुंदर भजन सुनाया। यज्ञ की सभी व्यवस्था जयराम आर्य, विपिन आर्य,सागर आर्य आदि ने की यज्ञ में योगेश, सोमपाल,मा आनंद छिल्लर , ब्रह्मदेव आर्य ,पूर्व प्रधान मांगेराम , देवेश आर्य ,चन्द्रदेव आर्य,विपिन आर्य ,बाबूराम आदि उपस्थित रहे।

 स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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