Monday, September 1, 2025

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एफपीओ की समीक्षा बैठक, डीएम ने दिए तकनीकी व वित्तीय सहयोग में तेजी के निर्देश

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि ,एफपीओ किसानों को बाजार से जोड़ने तथा प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का सशक्त माध्यम हैं।

बागपत,04 अगस्त 2025 (यूटीएन)। कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से बागपत के कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को कृषि उत्पादक संगठनों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। जनपद बागपत में कुल 20 एफपीओ (कृषि उत्पादक संगठन) गठित किए गए हैं, जिनमें से 17 संगठन सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। ये संगठन दूध, सब्जी, गन्ना, गुड़ जैसे कृषि उत्पादों के उत्पादन, मूल्यवर्धन और विपणन से जुड़े कार्यों में संलग्न हैं।

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि ,एफपीओ किसानों को बाजार से जोड़ने तथा प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एफपीओ की प्रगति की मासिक बैठक के माध्यम से नियमित निगरानी की जाए और प्रत्येक संगठन को तकनीकी एवं बैंकिंग स्तर पर पूरा सहयोग दिया जाए। उन्होंने विशेष रूप से बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपनी योजनाओं की स्पष्ट और सरल जानकारी एफपीओ तक पहुँचाएँ। बैंकिंग सहायता में देरी न हो, इसके लिए चेकलिस्ट तैयार कर समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।

बैठक में नाबार्ड अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे एफपीओ के साथ समन्वय बनाए रखें और उन्हें संस्थागत क्रेडिट, प्रशिक्षण, स्टार्टअप मॉडल एवं ब्रांडिंग जैसे पहलुओं पर सहयोग दें। जिलाधिकारी ने नाबार्ड को एफपीओ के हैंडहोल्डिंग एवं क्लस्टर आधारित सहयोग की दिशा में तेजी लाने को कहा। इस दौरान कृषि विभाग, बैंकिंग क्षेत्र, नाबार्ड तथा कृषि उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

कृषि उत्पादक संगठनों के विषय में जानें:

यह योजना केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को संगठित कर उन्हें सामूहिक रूप से कृषि उत्पादन, भंडारण, मूल्य संवर्धन, विपणन एवं वित्तीय संसाधनों से जोड़ना है। एफपीओ एक पंजीकृत संस्था होती है, जिसमें समान कृषि गतिविधियों से जुड़े किसान सदस्य होते हैं। इससे किसानों की बाजार तक पहुंच सशक्त होती है, लागत घटती है और उत्पाद का उचित मूल्य सुनिश्चित होता है। सरकार एवं नाबार्ड द्वारा ऐसे संगठनों को तकनीकी मार्गदर्शन, ऋण सुविधा, स्टार्टअप अनुदान, प्रशिक्षण और विपणन सहयोग प्रदान किया जाता है, ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके।

 स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

International

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एफपीओ की समीक्षा बैठक, डीएम ने दिए तकनीकी व वित्तीय सहयोग में तेजी के निर्देश

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि ,एफपीओ किसानों को बाजार से जोड़ने तथा प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का सशक्त माध्यम हैं।

बागपत,04 अगस्त 2025 (यूटीएन)। कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से बागपत के कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को कृषि उत्पादक संगठनों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। जनपद बागपत में कुल 20 एफपीओ (कृषि उत्पादक संगठन) गठित किए गए हैं, जिनमें से 17 संगठन सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। ये संगठन दूध, सब्जी, गन्ना, गुड़ जैसे कृषि उत्पादों के उत्पादन, मूल्यवर्धन और विपणन से जुड़े कार्यों में संलग्न हैं।

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि ,एफपीओ किसानों को बाजार से जोड़ने तथा प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एफपीओ की प्रगति की मासिक बैठक के माध्यम से नियमित निगरानी की जाए और प्रत्येक संगठन को तकनीकी एवं बैंकिंग स्तर पर पूरा सहयोग दिया जाए। उन्होंने विशेष रूप से बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपनी योजनाओं की स्पष्ट और सरल जानकारी एफपीओ तक पहुँचाएँ। बैंकिंग सहायता में देरी न हो, इसके लिए चेकलिस्ट तैयार कर समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।

बैठक में नाबार्ड अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे एफपीओ के साथ समन्वय बनाए रखें और उन्हें संस्थागत क्रेडिट, प्रशिक्षण, स्टार्टअप मॉडल एवं ब्रांडिंग जैसे पहलुओं पर सहयोग दें। जिलाधिकारी ने नाबार्ड को एफपीओ के हैंडहोल्डिंग एवं क्लस्टर आधारित सहयोग की दिशा में तेजी लाने को कहा। इस दौरान कृषि विभाग, बैंकिंग क्षेत्र, नाबार्ड तथा कृषि उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

कृषि उत्पादक संगठनों के विषय में जानें:

यह योजना केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को संगठित कर उन्हें सामूहिक रूप से कृषि उत्पादन, भंडारण, मूल्य संवर्धन, विपणन एवं वित्तीय संसाधनों से जोड़ना है। एफपीओ एक पंजीकृत संस्था होती है, जिसमें समान कृषि गतिविधियों से जुड़े किसान सदस्य होते हैं। इससे किसानों की बाजार तक पहुंच सशक्त होती है, लागत घटती है और उत्पाद का उचित मूल्य सुनिश्चित होता है। सरकार एवं नाबार्ड द्वारा ऐसे संगठनों को तकनीकी मार्गदर्शन, ऋण सुविधा, स्टार्टअप अनुदान, प्रशिक्षण और विपणन सहयोग प्रदान किया जाता है, ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके।

 स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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