नई दिल्ली, 11 जुलाई 2025 (यूटीएन)। एसोचैम रियल एस्टेट सम्मेलन 2025 में “रियल एस्टेट में व्यापार करने में आसानी” विषय पर विशेष भाषण देते हुए दुर्गा शंकर मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त), पूर्व सचिव, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और पूर्व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश ने भारत के शहरी और आर्थिक भविष्य को आकार देने में रियल एस्टेट क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “विकसित भारत विज़न के तहत 2047 तक भारत की शहरी आबादी लगभग 88 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है,” और दूरदर्शी शहरी विकास की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि रियल एस्टेट वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 13% का योगदान देता है, जबकि किफायती आवास और विकास क्षेत्र लगभग 10% की दर से बढ़ रहा है, जिससे यह राष्ट्रीय विकास के सबसे प्रभावशाली इंजनों में से एक बन गया है। मिश्रा ने ज़ोर देकर कहा, “शहरीकरण एक चुनौती नहीं, बल्कि हमारे शहरों को विकास के जीवंत और टिकाऊ केंद्रों में बदलने का एक अवसर है।” उन्होंने आगे कहा, “प्रगतिशील शहरी नियोजन और बुनियादी ढाँचे में नवाचार को अपनाकर, हम ऐसे वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।
जो न केवल लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा, बल्कि राष्ट्र को एक अधिक समृद्ध और लचीले भविष्य की ओर भी ले जाएगा।” सम्मेलन में बोलते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के निदेशक गुरजीत सिंह ढिल्लों ने अमृत मिशन के परिवर्तनकारी लक्ष्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। “अमृत मिशन की प्राथमिकता हमेशा से शहरी बुनियादी ढाँचे में परिवर्तनकारी बदलाव लाना रही है, जो स्थिरता, समावेशिता और दीर्घकालिक सेवा वितरण पर आधारित हो। हम केवल बुनियादी ढाँचे का निर्माण ही नहीं कर रहे हैं; हम शहरों को आर्थिक विकास और सामाजिक समता का इंजन बनने में सक्षम बना रहे हैं।
जल आपूर्ति, स्वच्छता, हरित स्थानों और गतिशीलता में रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से, इस मिशन का उद्देश्य सभी शहरी निवासियों, विशेष रूप से वंचितों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। क्षमता निर्माण, डेटा-संचालित शासन और स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी अन्य शहरी पहलों के साथ तालमेल पर हमारा ज़ोर यह सुनिश्चित करता है कि विकास समग्र और प्रभावशाली दोनों हो। अमृत का अगला चरण इस दृष्टिकोण को जारी रखता है, जलवायु-अनुकूल योजना के साथ सीमाओं को आगे बढ़ाता है, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाता है, और दक्षता, पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित शासन पर ज़ोर देता है।”
नीति आयोग की प्रमुख आर्थिक सलाहकार डॉ. अन्ना रॉय ने अपने विशेष संबोधन के दौरान भविष्य-केंद्रित दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा, “मज़बूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को सक्षम बनाने से लेकर हरित बदलावों और शहरी नवाचार को बढ़ावा देने तक, हमारा उद्देश्य समग्र आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करना है। पारगमन-उन्मुख विकास (टीओडी), नगरपालिका वित्त सुधार और जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण जैसी पहलें टिकाऊ, रहने योग्य शहरी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारा ध्यान विकास को स्थिरता के साथ जोड़ने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने और एक ऐसे आर्थिक वातावरण का पोषण करने पर है जो चुस्त, न्यायसंगत और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी हो।”
अपने उद्घाटन भाषण में, एसोचैम की राष्ट्रीय रियल एस्टेट, आवास एवं शहरी विकास परिषद के अध्यक्ष प्रदीप कुमार अग्रवाल ने इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला: “भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करेगा। इसके साथ ही, यह क्षेत्र शहरी परिवर्तन, बुनियादी ढाँचे के विकास और नए युग के जीवन का एक प्रमुख प्रवर्तक बन गया है।” एसोचैम और सीबीआरई इंडिया द्वारा “भारतीय आवास में नए प्रतिमान” शीर्षक से एक संयुक्त ज्ञान रिपोर्ट का भी सम्मेलन में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में अनावरण किया गया। यह रिपोर्ट आवास के रुझानों, उभरती प्रौद्योगिकियों और भविष्य की माँग को पूरा करने के लिए आवश्यक नीतिगत ढाँचों का एक दूरदर्शी विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।