Sunday, June 29, 2025

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आपातकाल: किस तरह संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया? कोई भी भारतीय कभी नहीं भूलेगा: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, संसद की आवाज दबाई गई और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।

नई दिल्ली, 26 जून 2025 (यूटीएन)। देश में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। यह वो वक्त था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लाेकतंत्र को बंधक बना लिया था।
*संसद की आवाज दबाई गई*
पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया। संसद की आवाज दबाई गई और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। 42वां संशोधन उनकी हरकतों का एक प्रमुख उदाहरण है। गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों को खास तौर पर निशाना बनाया गया, जिसमें उनकी गरिमा का अपमान भी शामिल है।
*आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम*
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये लोग पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए थे जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। उनका लक्ष्य था भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था जिसने यह सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े। जिसमें वे बुरी तरह हार गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर अपनी भूमिका से जुड़ी एक किताब को सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में आपातकाल (1975-1977) के दौरान अपने सफर को साझा किया है।
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आपातकाल के दौरान मैं एक युवा आरएसएस प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को संरक्षित रखने की महत्ता को और मजबूत किया। साथ ही, मुझे विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।” पीएम मोदी ने कहा- ‘जिनके परिवारों ने आपातकाल के समय कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें’।
उन्होंने कहा ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में मैंने आपातकाल (1975-1977) के दौरान के अपने सफर को साझा किया है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दी। मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं, जिन्हें आपातकाल के वो काले दिन याद हैं या जिनके परिवारों ने उस समय कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में उस शर्मनाक दौर के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।”
*‘इससे युवाओं में उस शर्मनाक दौर के बारे में बढ़ेगी जागरूकता’*
इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 जून 2024 को आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए दिए बयान का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया, “भारत की नई पीढ़ी को कभी नहीं भूलना चाहिए कि कैसे संविधान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया, उसे तार-तार किया गया और देश को एक जेल में बदल दिया गया, जहां लोकतंत्र को पूरी तरह कुचल दिया गया।”
*‘आपातकाल के समय देश को एक जेल में बदल दिया गया था’*
इस किताब में आगे बताया गया, “1970 के दशक के मध्य में जब भारत आपातकाल की लोहे की जंजीरों में जकड़ा था, लोकतंत्र कैद में था। उस समय नरेंद्र मोदी, जो तब एक युवा संघ प्रचारक थे, कई अन्य प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इंदिरा गांधी के तानाशाही शासन के खिलाफ खड़े होने वाले नेताओं की पहली पंक्ति में थे।
यह पुस्तक भारतीय लोकतंत्र के सबसे अंधेरे दौर के दौरान उनके अनकहे अनुभवों को उजागर करती है। आपातकाल के दौरान पीएम मोदी का सफर सत्तावाद के खिलाफ संघर्ष की एक अनूठी, जमीनी कहानी प्रस्तुत करता है। उनकी गुप्त गतिविधियों, खतरों से बाल-बाल बचने, और लोकतंत्र को बहाल करने की अटूट प्रतिबद्धता को इस किताब में देखा जा सकता है, जो उस डर और दमन के माहौल में उनके कार्यों को दर्शाती है।”
*यह पुस्तक भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण को रोशनी में लाती है*
यह भी बताया गया, “उनकी आत्मकथा ‘संघर्ष मा गुजरात’ और अन्य प्रत्यक्षदर्शी विवरणों के आधार पर यह पुस्तक भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण को रोशनी में लाती है और उस नेता के जीवन के एक रचनात्मक अध्याय को सामने लाती है।
जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यह कहानी है दृढ़ता, चतुराई और संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों व संस्थानों को संरक्षित करने की अटल निष्ठा की। यह एक प्रमाण है कि कैसे मोदी जैसे मेहनती युवा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में जनता के संकल्प ने एक ऐसे आंदोलन को आकार दिया, जिसने राष्ट्र के भाग्य को बदल दिया।”
*गरीबों और वंचितों के सपने पूरे करेंगे*
पीएम ने लिखा कि हम अपने संविधान में निहित सिद्धांतों को मजबूत करने तथा विकसित भारत के अपने सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएं तथा गरीबों और वंचितों के सपनों को पूरा करेंगे।
तब मैं आरएसएस का प्रचारक था
आपातकाल के दिनों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया।
साथ ही मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है। जिसकी प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।
*लोग साझा करें अनुभव*
पीएम मोदी ने कहा कि द इमरजेंसी डायरीज आपातकाल के दौरान मेरी यात्रा का वृत्तांत है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दीं। मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं जो आपातकाल के उन काले दिनों को याद करते हैं या जिनके परिवारों ने उस दौरान कष्ट झेले हैं कि वे अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में 1975 से 1977 तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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आपातकाल: किस तरह संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया? कोई भी भारतीय कभी नहीं भूलेगा: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, संसद की आवाज दबाई गई और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।

नई दिल्ली, 26 जून 2025 (यूटीएन)। देश में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। यह वो वक्त था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लाेकतंत्र को बंधक बना लिया था।
*संसद की आवाज दबाई गई*
पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया। संसद की आवाज दबाई गई और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। 42वां संशोधन उनकी हरकतों का एक प्रमुख उदाहरण है। गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों को खास तौर पर निशाना बनाया गया, जिसमें उनकी गरिमा का अपमान भी शामिल है।
*आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम*
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये लोग पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए थे जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। उनका लक्ष्य था भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था जिसने यह सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े। जिसमें वे बुरी तरह हार गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर अपनी भूमिका से जुड़ी एक किताब को सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में आपातकाल (1975-1977) के दौरान अपने सफर को साझा किया है।
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आपातकाल के दौरान मैं एक युवा आरएसएस प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को संरक्षित रखने की महत्ता को और मजबूत किया। साथ ही, मुझे विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।” पीएम मोदी ने कहा- ‘जिनके परिवारों ने आपातकाल के समय कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें’।
उन्होंने कहा ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में मैंने आपातकाल (1975-1977) के दौरान के अपने सफर को साझा किया है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दी। मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं, जिन्हें आपातकाल के वो काले दिन याद हैं या जिनके परिवारों ने उस समय कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में उस शर्मनाक दौर के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।”
*‘इससे युवाओं में उस शर्मनाक दौर के बारे में बढ़ेगी जागरूकता’*
इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 जून 2024 को आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए दिए बयान का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया, “भारत की नई पीढ़ी को कभी नहीं भूलना चाहिए कि कैसे संविधान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया, उसे तार-तार किया गया और देश को एक जेल में बदल दिया गया, जहां लोकतंत्र को पूरी तरह कुचल दिया गया।”
*‘आपातकाल के समय देश को एक जेल में बदल दिया गया था’*
इस किताब में आगे बताया गया, “1970 के दशक के मध्य में जब भारत आपातकाल की लोहे की जंजीरों में जकड़ा था, लोकतंत्र कैद में था। उस समय नरेंद्र मोदी, जो तब एक युवा संघ प्रचारक थे, कई अन्य प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इंदिरा गांधी के तानाशाही शासन के खिलाफ खड़े होने वाले नेताओं की पहली पंक्ति में थे।
यह पुस्तक भारतीय लोकतंत्र के सबसे अंधेरे दौर के दौरान उनके अनकहे अनुभवों को उजागर करती है। आपातकाल के दौरान पीएम मोदी का सफर सत्तावाद के खिलाफ संघर्ष की एक अनूठी, जमीनी कहानी प्रस्तुत करता है। उनकी गुप्त गतिविधियों, खतरों से बाल-बाल बचने, और लोकतंत्र को बहाल करने की अटूट प्रतिबद्धता को इस किताब में देखा जा सकता है, जो उस डर और दमन के माहौल में उनके कार्यों को दर्शाती है।”
*यह पुस्तक भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण को रोशनी में लाती है*
यह भी बताया गया, “उनकी आत्मकथा ‘संघर्ष मा गुजरात’ और अन्य प्रत्यक्षदर्शी विवरणों के आधार पर यह पुस्तक भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण को रोशनी में लाती है और उस नेता के जीवन के एक रचनात्मक अध्याय को सामने लाती है।
जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यह कहानी है दृढ़ता, चतुराई और संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों व संस्थानों को संरक्षित करने की अटल निष्ठा की। यह एक प्रमाण है कि कैसे मोदी जैसे मेहनती युवा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में जनता के संकल्प ने एक ऐसे आंदोलन को आकार दिया, जिसने राष्ट्र के भाग्य को बदल दिया।”
*गरीबों और वंचितों के सपने पूरे करेंगे*
पीएम ने लिखा कि हम अपने संविधान में निहित सिद्धांतों को मजबूत करने तथा विकसित भारत के अपने सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएं तथा गरीबों और वंचितों के सपनों को पूरा करेंगे।
तब मैं आरएसएस का प्रचारक था
आपातकाल के दिनों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया।
साथ ही मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है। जिसकी प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।
*लोग साझा करें अनुभव*
पीएम मोदी ने कहा कि द इमरजेंसी डायरीज आपातकाल के दौरान मेरी यात्रा का वृत्तांत है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दीं। मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं जो आपातकाल के उन काले दिनों को याद करते हैं या जिनके परिवारों ने उस दौरान कष्ट झेले हैं कि वे अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में 1975 से 1977 तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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