Sunday, June 29, 2025

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आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष में लगाए जाएंगे एक करोड़ पौधे

जैन समाज के प्रमुख संत आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा इस अवसर पर वर्ष भर में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने का संकल्प किया गया

नई दिल्ली, 15 जून 2025 (यूटीएन)। जैन समाज के प्रमुख संत आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा इस अवसर पर वर्ष भर में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने का संकल्प किया गया इसमें कल्पवृक्ष के पौधे प्रमुख रूप से लगाए जाएंगे। इस आशय की घोषणा शताब्दी वर्ष के उद्घाटन के अवसर पर आचार्य की शिष्या साध्वी दिप्ती महाराज एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने की।
उद्घाटन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार एवं स्वामी चिदानंद सरस्वती सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर आचार्य सुशील कुमार को अपनी विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्म लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना कर वैश्विक स्तर पर पूज्य बनना बहूत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि आचार्य का सम्पूर्ण जीवन मानवता को समर्पित था।
पूरा विश्व में जिस तरह से हिंसा का बोलबाला है उसे रोकने के लिए और विश्व में शांति की स्थापना के लिए सभी धर्मों और पंथों में समन्वय जरूरी है आचार्य सुशील कुमार ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि योग व्यक्ति को चेतना से जोड़ता है। चेतना का मतलब स्वयं को जानना और जिसने स्वयं को जान लिया समझो संसार को जान लिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण आज वैश्विक संकट बन चुका है। यदि हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना नहीं छोड़ा तो एक दिन ऐसा आएगा कि जब सम्पूर्ण विश्व विनाश की तरफ बढ रहा होगा।
कोविंद ने कहा कि आज भारत द्वारा चलाए जा रहे धार्मिक सद्भावना, अहिंसा और पर्यावरण की रक्षा के मिशन को पूरा विश्व अपना रहा है । उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक जैन संतों के दर्शन का लाभ एवं सानिध्य मिला। जिसने उनके जीवन पर एक अनूठी छाप छोड़ी। उन्होंने याद करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए जब वह आचार्य विद्यासागर जी के दर्शन के लिए गए तो उन्होंने एक ही बात कही कि हमारे देश की पहचान इंडिया या अन्य किसी नाम से नहीं बल्कि भारत के नाम से ही होनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश में भाषाएं चाहे कितनी भी हों लेकिन समन्वय की भाषा सिर्फ हिंदी होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इस अवसर पर कहा कि संत अपने लिए नहीं जीता उसका जीवन तो सम्पूर्ण समाज व मानवता के लिए होता है। वह किसी एक समाज,पंथ, देश व भाषा के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व व मानवता के लिए अनुकरणीय आदर्श स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि आचार्य सुशील कुमार जी ने राष्ट्र और समाज के लिए जो कार्य किया है उसके ऋण से कभी भी मुक्त नहीं हो सकते।
विश्व में शांति का संदेश हमेशा भारत से ही दिया गया है। इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में आचार्य की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता। होसबोले ने कहा कि आचार्य सुशील कुमार ने परम्परा को तोड़ते हुए भारत के बाहर जा कर अहिंसा और करुणा का संदेश देने का जो क्रांतिकारी काम किया है उसका असर आज भी दिखाई देता है। अहिंसा के आधार पर शांति की स्थापना के लिए आचार्य सुशील कुमार को सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राक्षसी प्रवृत्ति से लडने के लिए शस्त्र नहीं महापुरुषों व संतों के अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने की जरूरत है।
सरकार्यवाह ने कहा कि शांति लाने के लिए प्रस्ताव पारित करने या उसे पाठ्यक्रम में लाने की नहीं बल्कि जीवन में उतारने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि  जिस तरह से पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है जगह-जगह पर पैडों को काटा जा रहा है निश्चित रूप से एक दिन हमारी स्थिति भयाभय हो जाएगी। आचार्य सुशील कुमार के शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया गया है वह निश्चित रूप से देश में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में जो पंच परिवर्तन का कार्यक्रम तैयार किया गया है उसमें पर्यावरण भी एक है।
मेरा मानना है कि हम आचार्य के जन्म शताब्दी वर्ष में एक करोड़ नहीं बल्कि दस करोड़ पौधे लगाकर एक मिशाल कायम करेंगे। मुझे विश्वास है कि जैन संतों की जीवन शैली और पर्यावरण रक्षा का यह अनूठा अभियान सम्पूर्ण विश्व के लिए एक मिसाल बनेगा। आचार्य सुशील कुमार जी की प्रमुख शिष्या साध्वी दिप्ती जी ने कहा कि आचार्य ने सन 1994 में अरावली पर्वत माला के संरक्षण का संकल्प लिया था तथा वे जीवन पर्यन्त उसके लिए प्रयास रत रहे। उनके जन्म शताब्दी वर्ष में हमें यह मौका मिला है कि हम सब मिलकर उनके इस सपने को साकार कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें।
आचार्य ने वर्षों पहले जो सपना देखा था आज पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले कर हम सब मिलकर उसे पूरा करें। उन्होंने कहा कि यदि धरती पर वृक्ष नहीं हुए तो मकान बनाने का भी कोई महत्व नहीं रहेगा। साध्वी दिप्ती जी ने आचार्य की अनेक स्मृतियों को याद करते हुए बताया कि इस शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाने का संकल्प इसलिए लिया गया है कि आचार्य सुशील कुमार का मानना था कि यदि हमारा पर्यावरण एवं पेड़ पौधे तथा नदी नाले सुरक्षित रहेंगे तो जीव जंतु और मानव भी सुरक्षित रहेगा।
उनके इस सपने को साकार करने के लिए शताब्दी वर्ष में एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया है। इस दौरान अन्य पौधों के साथ साथ कल्पवृक्ष के पौधे विशेष रूप से लगाए जाएंगे। परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस अवसर पर कहा कि जो अपने लिए जीते हैं उनको कोई याद नहीं करता और जो समाज और मानवता के लिए जीते हैं उनको सदैव स्मरण किया जाता है। आचार्य सुशील कुमार ऐसे ही विरले संत थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज और मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महावीर ने जिस अहिंसा और करुणा का संदेश विश्व को दिया था वह कहीं खो गया है। महावीर स्वामी के उस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आज हमें एक बार फिर से आचार्य सुशील कुमार की आवश्यकता महसूस हो रही है। 1957 में विश्व अहिंसा संघ की स्थापना कर आचार्य ने विश्व में अहिंसा और प्रेम की गंगा बहाने का जो संकल्प लिया था एक बार फिर से उस संकल्प को दोहराने की सबसे ज्यादा जरुरत है। उन्होंने कहा कि हिंसा कर्म से नहीं मन से होती है। यदि हमारे मन में हिंसक भाव पैदा हो गए तो निश्चित रूप से हम हिंसा की तरफ अग्रसर हो जाएंगे। जब तक हृदय में करुणा नहीं है तब तक अहिंसा नहीं आ सकती।
आलोक कुमार ने कहा कि आचार्य सुशील कुमार जी ने देश और समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा, करुणा, प्रेम और शांति की स्थापना के लिए जो कार्य किया है आने वाली पीढ़ियां उनके इस उपकार को सदैव याद रखेंगी। उन्होंने कहा कि आचार्य के शताब्दी वर्ष में इस उर्वरा धरती को हरा-भरा करने का जो संकल्प लिया है वह निश्चित रूप से एक अनुकरणीय उदाहरण है। वह दिन दूर नहीं जब दूसरे लोग भी इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे और हमारी यह धरती फिर से एक बार हरे भरे पेड़ों से लहलहा उठेगी। इस अवसर पर खचाखच भरे सभागार में सभी लोगों ने पैड़ लगाने की शपथ एवं संकल्प लिया। इसके अलावा सभी अतिथियों को आम, कल्पवृक्ष एवं आक्सीजन देने वाले अन्य पौधे देकर सम्मानित किया गया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष में लगाए जाएंगे एक करोड़ पौधे

जैन समाज के प्रमुख संत आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा इस अवसर पर वर्ष भर में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने का संकल्प किया गया

नई दिल्ली, 15 जून 2025 (यूटीएन)। जैन समाज के प्रमुख संत आचार्य सुशील कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा इस अवसर पर वर्ष भर में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने का संकल्प किया गया इसमें कल्पवृक्ष के पौधे प्रमुख रूप से लगाए जाएंगे। इस आशय की घोषणा शताब्दी वर्ष के उद्घाटन के अवसर पर आचार्य की शिष्या साध्वी दिप्ती महाराज एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने की।
उद्घाटन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार एवं स्वामी चिदानंद सरस्वती सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर आचार्य सुशील कुमार को अपनी विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्म लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना कर वैश्विक स्तर पर पूज्य बनना बहूत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि आचार्य का सम्पूर्ण जीवन मानवता को समर्पित था।
पूरा विश्व में जिस तरह से हिंसा का बोलबाला है उसे रोकने के लिए और विश्व में शांति की स्थापना के लिए सभी धर्मों और पंथों में समन्वय जरूरी है आचार्य सुशील कुमार ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि योग व्यक्ति को चेतना से जोड़ता है। चेतना का मतलब स्वयं को जानना और जिसने स्वयं को जान लिया समझो संसार को जान लिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण आज वैश्विक संकट बन चुका है। यदि हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना नहीं छोड़ा तो एक दिन ऐसा आएगा कि जब सम्पूर्ण विश्व विनाश की तरफ बढ रहा होगा।
कोविंद ने कहा कि आज भारत द्वारा चलाए जा रहे धार्मिक सद्भावना, अहिंसा और पर्यावरण की रक्षा के मिशन को पूरा विश्व अपना रहा है । उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक जैन संतों के दर्शन का लाभ एवं सानिध्य मिला। जिसने उनके जीवन पर एक अनूठी छाप छोड़ी। उन्होंने याद करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए जब वह आचार्य विद्यासागर जी के दर्शन के लिए गए तो उन्होंने एक ही बात कही कि हमारे देश की पहचान इंडिया या अन्य किसी नाम से नहीं बल्कि भारत के नाम से ही होनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश में भाषाएं चाहे कितनी भी हों लेकिन समन्वय की भाषा सिर्फ हिंदी होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इस अवसर पर कहा कि संत अपने लिए नहीं जीता उसका जीवन तो सम्पूर्ण समाज व मानवता के लिए होता है। वह किसी एक समाज,पंथ, देश व भाषा के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व व मानवता के लिए अनुकरणीय आदर्श स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि आचार्य सुशील कुमार जी ने राष्ट्र और समाज के लिए जो कार्य किया है उसके ऋण से कभी भी मुक्त नहीं हो सकते।
विश्व में शांति का संदेश हमेशा भारत से ही दिया गया है। इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में आचार्य की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता। होसबोले ने कहा कि आचार्य सुशील कुमार ने परम्परा को तोड़ते हुए भारत के बाहर जा कर अहिंसा और करुणा का संदेश देने का जो क्रांतिकारी काम किया है उसका असर आज भी दिखाई देता है। अहिंसा के आधार पर शांति की स्थापना के लिए आचार्य सुशील कुमार को सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राक्षसी प्रवृत्ति से लडने के लिए शस्त्र नहीं महापुरुषों व संतों के अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने की जरूरत है।
सरकार्यवाह ने कहा कि शांति लाने के लिए प्रस्ताव पारित करने या उसे पाठ्यक्रम में लाने की नहीं बल्कि जीवन में उतारने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि  जिस तरह से पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है जगह-जगह पर पैडों को काटा जा रहा है निश्चित रूप से एक दिन हमारी स्थिति भयाभय हो जाएगी। आचार्य सुशील कुमार के शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया गया है वह निश्चित रूप से देश में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में जो पंच परिवर्तन का कार्यक्रम तैयार किया गया है उसमें पर्यावरण भी एक है।
मेरा मानना है कि हम आचार्य के जन्म शताब्दी वर्ष में एक करोड़ नहीं बल्कि दस करोड़ पौधे लगाकर एक मिशाल कायम करेंगे। मुझे विश्वास है कि जैन संतों की जीवन शैली और पर्यावरण रक्षा का यह अनूठा अभियान सम्पूर्ण विश्व के लिए एक मिसाल बनेगा। आचार्य सुशील कुमार जी की प्रमुख शिष्या साध्वी दिप्ती जी ने कहा कि आचार्य ने सन 1994 में अरावली पर्वत माला के संरक्षण का संकल्प लिया था तथा वे जीवन पर्यन्त उसके लिए प्रयास रत रहे। उनके जन्म शताब्दी वर्ष में हमें यह मौका मिला है कि हम सब मिलकर उनके इस सपने को साकार कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें।
आचार्य ने वर्षों पहले जो सपना देखा था आज पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले कर हम सब मिलकर उसे पूरा करें। उन्होंने कहा कि यदि धरती पर वृक्ष नहीं हुए तो मकान बनाने का भी कोई महत्व नहीं रहेगा। साध्वी दिप्ती जी ने आचार्य की अनेक स्मृतियों को याद करते हुए बताया कि इस शताब्दी वर्ष को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाने का संकल्प इसलिए लिया गया है कि आचार्य सुशील कुमार का मानना था कि यदि हमारा पर्यावरण एवं पेड़ पौधे तथा नदी नाले सुरक्षित रहेंगे तो जीव जंतु और मानव भी सुरक्षित रहेगा।
उनके इस सपने को साकार करने के लिए शताब्दी वर्ष में एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया है। इस दौरान अन्य पौधों के साथ साथ कल्पवृक्ष के पौधे विशेष रूप से लगाए जाएंगे। परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस अवसर पर कहा कि जो अपने लिए जीते हैं उनको कोई याद नहीं करता और जो समाज और मानवता के लिए जीते हैं उनको सदैव स्मरण किया जाता है। आचार्य सुशील कुमार ऐसे ही विरले संत थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज और मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महावीर ने जिस अहिंसा और करुणा का संदेश विश्व को दिया था वह कहीं खो गया है। महावीर स्वामी के उस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आज हमें एक बार फिर से आचार्य सुशील कुमार की आवश्यकता महसूस हो रही है। 1957 में विश्व अहिंसा संघ की स्थापना कर आचार्य ने विश्व में अहिंसा और प्रेम की गंगा बहाने का जो संकल्प लिया था एक बार फिर से उस संकल्प को दोहराने की सबसे ज्यादा जरुरत है। उन्होंने कहा कि हिंसा कर्म से नहीं मन से होती है। यदि हमारे मन में हिंसक भाव पैदा हो गए तो निश्चित रूप से हम हिंसा की तरफ अग्रसर हो जाएंगे। जब तक हृदय में करुणा नहीं है तब तक अहिंसा नहीं आ सकती।
आलोक कुमार ने कहा कि आचार्य सुशील कुमार जी ने देश और समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा, करुणा, प्रेम और शांति की स्थापना के लिए जो कार्य किया है आने वाली पीढ़ियां उनके इस उपकार को सदैव याद रखेंगी। उन्होंने कहा कि आचार्य के शताब्दी वर्ष में इस उर्वरा धरती को हरा-भरा करने का जो संकल्प लिया है वह निश्चित रूप से एक अनुकरणीय उदाहरण है। वह दिन दूर नहीं जब दूसरे लोग भी इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे और हमारी यह धरती फिर से एक बार हरे भरे पेड़ों से लहलहा उठेगी। इस अवसर पर खचाखच भरे सभागार में सभी लोगों ने पैड़ लगाने की शपथ एवं संकल्प लिया। इसके अलावा सभी अतिथियों को आम, कल्पवृक्ष एवं आक्सीजन देने वाले अन्य पौधे देकर सम्मानित किया गया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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