नई दिल्ली, 03 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। कुशल आर्थिक नियोजन, बेहतर लक्ष्य निर्धारण और नीतियों के डिज़ाइन तथा व्यय परिणामों में सुधार के लिए विस्तृत आँकड़े अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस बात पर ज़ोर देते हुए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने बताया कि मंत्रालय ज़िला स्तर पर घरेलू उपभोग, रोज़गार और मुद्रास्फीति पर आँकड़े उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग कर रहा है, जिसके जनवरी 2026 से उपलब्ध होने की उम्मीद है। सचिव सीआईआई इंडिया एज 2025 के “एक लचीले व्यापक आर्थिक ढाँचे का निर्माण – राजकोषीय अनुशासन, निजीकरण और सांख्यिकी” विषयक सत्र में बोल रहे थे। सचिव ने आगे कहा कि इसके बाद जवाबदेही और पारदर्शिता को और बेहतर बनाने के लिए आँकड़ों के विश्वसनीय ऑडिट के लिए एक तंत्र विकसित किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि मंत्रालय केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर आँकड़ों के सामंजस्य और मानकीकरण पर काम कर रहा है। इससे मंत्रालयों, राज्यों और प्लेटफार्मों के बीच अंतर-संचालन संभव होगा, दोहराव कम होगा और नीति, अनुसंधान एवं नवाचार के लिए आँकड़ों की गुणवत्ता में सुधार होगा।

डॉ. सौरभ गर्ग ने सांख्यिकी क्षेत्र में निरंतर नवाचार और आँकड़ों के प्रसार एवं विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई और एमएल) के उपयोग के प्रति सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि एक लचीली वृहद अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए राजकोषीय लचीलापन आवश्यक है, कहा कि एक आर्थिक चक्र पर केंद्रित राजकोषीय नियम अनिश्चितताओं के लिए एक अनुकूलित प्रतिक्रिया की अनुमति देते हैं। राजकोषीय लचीलापन सरकारों को आर्थिक झटकों और संकट जैसी स्थितियों पर बिना किसी कठोर नियमों के कार्रवाई में बाधा डाले तेज़ी से प्रतिक्रिया करने का अधिकार देता है। इससे बाज़ारों को बेहतर संकेत देने में भी मदद मिलती है, जिससे बाज़ार सहभागियों के बीच विश्वसनीयता के मुद्दों का प्रबंधन होता है।
इस सत्र में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया, जिन्होंने सामूहिक रूप से राज्य और शहरी नगर पालिका स्तर पर बेहतर राजकोषीय प्रदर्शन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि राजकोषीय लचीलापन बनाना भारत के संघीय ढांचे की सभी स्तरों पर एक संयुक्त ज़िम्मेदारी है। डॉ. गर्ग ने सुझाव दिया कि इस दिशा में एक कदम के रूप में, ज़मीनी स्तर पर लेन-देन, जैसे कि संपत्ति लेनदेन, का बेहतर ढंग से रिकॉर्ड रखने से राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राजकोषीय अनुशासन, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में सुधार और एक मज़बूत सांख्यिकीय प्रणाली तीन अलग-अलग एजेंडे नहीं हैं; ये एक लचीले समष्टि-आर्थिक ढाँचे के परस्पर सुदृढ़ीकरण की अनिवार्यताएँ हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


