Wednesday, November 12, 2025

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आजादी की लड़ाई में आर्य समाज को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे- पीएम मोदी

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। जहां पीएम मोदी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की समाज सेवा के 150 वर्षों के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह आयोजन ज्ञान ज्योति महोत्सव का हिस्सा था, जिसमें पीएम मोदी के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद रहीं। अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष केवल समाज के एक हिस्से या एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं, बल्कि पूरे देश की वैदिक पहचान से जुड़ा अवसर है।
पीएम मोदी ने कहा, “क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा लेकर अपना सब कुछ समर्पित किया था। राजनीतिक कारणों से स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आजतक प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था रही है। ये निर्भीक होकर अपनी बात रखने वाली संस्था रही है। कोई भी विदेशी मानसिकता हो उसे आर्य समाज ने हमेशा चुनौती दी है।
Ujjwal Times News Pvt. Ltd.
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष केवल समाज के एक हिस्से या एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं, बल्कि पूरे देश की वैदिक पहचान से जुड़ा अवसर है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, “हमारा भारत कई मायनों में विशेष है। ये धरती, इसकी सभ्यता, इसकी वैदिक परंपरा, ये युगों-युगों से अमर है, क्योंकि किसी भी कालखंड में जब नई चुनौतियां आती हैं, समय नए सवाल पूछता है तो कोई ना कोई महान विभूति उनके उत्तर लेकर अवतरित हो जाती है। कोई ना कोई ऋषि, महर्षि और मनीषी हमारे समाज को नई दिशा दिखाते हैं। दयानन्द सरस्वती भी इसी विराट परंपरा के महर्षि थे।
*आर्य समाज प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था*
आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आज तक प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था रही है। आर्य समाज निर्भीक होकर भारतीयता की बात करने वाली संस्था रही है। भारत विरोधी कोई भी सोच हो, विदेशी विचारधाराओं को थोपने वाले लोग हों, विभाजनकारी मानसिकता हो, सांस्कृतिक प्रदूषण के दुष्प्रयास हों, आर्य समाज ने हमेशा इनको चुनौती दी है। मुझे संतोष है कि आज जब आर्य समाज और उसकी स्थापना के 150 वर्ष हो रहे हैं तो समाज और देश दयानन्द सरस्वती जी के महान विचारों को इस विराट स्वरूप में नमन कर रहा है।
*ऊंच-नीच, छुआछूत और भेदभाव का खंडन किया*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “स्वामी दयानंद सरस्वती जी जानते थे कि अगर भारत को आगे बढ़ना है तो भारत को सिर्फ गुलामी की जंजीरें ही नहीं तोड़नी हैं। जिन जंजीरों ने हमारे समाज को जकड़ा हुआ था, उनको भी तोड़ना जरूरी था। इसलिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने ऊंच-नीच, छुआछूत और भेदभाव का खंडन किया।”  बता दें कि इस महासम्मेलन का उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती की सुधारवादी और शैक्षिक विरासत का सम्मान करना, शिक्षा, सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा का उत्सव मनाना है। साथ ही विकसित भारत 2047 के अनुरूप वैदिक सिद्धांतों और स्वदेशी मूल्यों के बारे में वैश्विक जागरूकता को प्रेरित करना है।
उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी जानते थे कि अगर भारत को प्रगति करनी है तो उसे न केवल गुलामी की जंजीरों को तोड़ना होगा, बल्कि उन जंजीरों को भी तोड़ना होगा जिनसे हमारे समाज में जंजीरें बंधी थीं। पीएम मोदी ने कहा कि इसी वजह से स्वामी दयानंद सरस्वती ने जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव की निंदा की। पीएम मोदी ने कहा, “हमारा भारत कई मायनों में विशेष है। ये धरती इसकी सभ्यता, इसकी वैदिक परंपरा युगो-युगो से अमर है। किसी भी कालखंड में कोई नई चुनौतियां आती हैं, समय नए सवाल पूछता है तो कोई न कोई महान विभूति अवतरित हो जाती है।कोई न कोई महर्षि समाज को नई दिशा दिखाते हैं। दयानंद सरस्वती भी इसी परंपरा के महर्षि थे।
*कई क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से ली प्रेरणा*
उन्होंने कहा, “विचारों की जगह कुरीतियों ने ले ली थी। अंग्रेज हमारी मान्यताओं को नीचा दिखाते थे, ऐसा कर के वो भारत की गुलामी को सही ठहराते थे। ऐसे ही मुश्किल समय में एक युवा संन्यासी आता है, पहाड़ों में साधना करता है और वो हीन भावना में फंसे भारतीय समाज को झकझोरता है। उन्होंने दबी-कुचली चेतना को फिर से जागृत कर दिया। लाला लाजपत राय और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा ली।
*’आर्य समाज विदेशी नैरेटिव को दी चुनौती’*
पीएम मोदी बोले, “उन्होंने हमारे वेदों और शास्त्रों में मिलावट करने वालों को नकारा, उन्होंने विदेशी नैरेटिव को चुनौती दी और शास्त्रार्थ की परंपरा से सिद्ध किया। वे जानते थे कि व्यक्ति हो या समाज निर्माण उसमें महिलाओं की भूमिका होती है। आर्य समाज के स्कूलों में लड़कियों को शिक्षा देने का कार्यक्रम शुरू किया। आर्य समाज के ऐसे ही महाविद्यालय में ऐसी ही बेटियां राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रही है। अभी दो दिन पहले ही हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने राफेल में उड़ान भरी और उसमें स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह भागीदार बनीं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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आजादी की लड़ाई में आर्य समाज को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे- पीएम मोदी

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। जहां पीएम मोदी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की समाज सेवा के 150 वर्षों के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह आयोजन ज्ञान ज्योति महोत्सव का हिस्सा था, जिसमें पीएम मोदी के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद रहीं। अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष केवल समाज के एक हिस्से या एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं, बल्कि पूरे देश की वैदिक पहचान से जुड़ा अवसर है।
पीएम मोदी ने कहा, “क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा लेकर अपना सब कुछ समर्पित किया था। राजनीतिक कारणों से स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आजतक प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था रही है। ये निर्भीक होकर अपनी बात रखने वाली संस्था रही है। कोई भी विदेशी मानसिकता हो उसे आर्य समाज ने हमेशा चुनौती दी है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष केवल समाज के एक हिस्से या एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं, बल्कि पूरे देश की वैदिक पहचान से जुड़ा अवसर है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, “हमारा भारत कई मायनों में विशेष है। ये धरती, इसकी सभ्यता, इसकी वैदिक परंपरा, ये युगों-युगों से अमर है, क्योंकि किसी भी कालखंड में जब नई चुनौतियां आती हैं, समय नए सवाल पूछता है तो कोई ना कोई महान विभूति उनके उत्तर लेकर अवतरित हो जाती है। कोई ना कोई ऋषि, महर्षि और मनीषी हमारे समाज को नई दिशा दिखाते हैं। दयानन्द सरस्वती भी इसी विराट परंपरा के महर्षि थे।
*आर्य समाज प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था*
आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आज तक प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था रही है। आर्य समाज निर्भीक होकर भारतीयता की बात करने वाली संस्था रही है। भारत विरोधी कोई भी सोच हो, विदेशी विचारधाराओं को थोपने वाले लोग हों, विभाजनकारी मानसिकता हो, सांस्कृतिक प्रदूषण के दुष्प्रयास हों, आर्य समाज ने हमेशा इनको चुनौती दी है। मुझे संतोष है कि आज जब आर्य समाज और उसकी स्थापना के 150 वर्ष हो रहे हैं तो समाज और देश दयानन्द सरस्वती जी के महान विचारों को इस विराट स्वरूप में नमन कर रहा है।
*ऊंच-नीच, छुआछूत और भेदभाव का खंडन किया*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “स्वामी दयानंद सरस्वती जी जानते थे कि अगर भारत को आगे बढ़ना है तो भारत को सिर्फ गुलामी की जंजीरें ही नहीं तोड़नी हैं। जिन जंजीरों ने हमारे समाज को जकड़ा हुआ था, उनको भी तोड़ना जरूरी था। इसलिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने ऊंच-नीच, छुआछूत और भेदभाव का खंडन किया।”  बता दें कि इस महासम्मेलन का उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती की सुधारवादी और शैक्षिक विरासत का सम्मान करना, शिक्षा, सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा का उत्सव मनाना है। साथ ही विकसित भारत 2047 के अनुरूप वैदिक सिद्धांतों और स्वदेशी मूल्यों के बारे में वैश्विक जागरूकता को प्रेरित करना है।
उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी जानते थे कि अगर भारत को प्रगति करनी है तो उसे न केवल गुलामी की जंजीरों को तोड़ना होगा, बल्कि उन जंजीरों को भी तोड़ना होगा जिनसे हमारे समाज में जंजीरें बंधी थीं। पीएम मोदी ने कहा कि इसी वजह से स्वामी दयानंद सरस्वती ने जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव की निंदा की। पीएम मोदी ने कहा, “हमारा भारत कई मायनों में विशेष है। ये धरती इसकी सभ्यता, इसकी वैदिक परंपरा युगो-युगो से अमर है। किसी भी कालखंड में कोई नई चुनौतियां आती हैं, समय नए सवाल पूछता है तो कोई न कोई महान विभूति अवतरित हो जाती है।कोई न कोई महर्षि समाज को नई दिशा दिखाते हैं। दयानंद सरस्वती भी इसी परंपरा के महर्षि थे।
*कई क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से ली प्रेरणा*
उन्होंने कहा, “विचारों की जगह कुरीतियों ने ले ली थी। अंग्रेज हमारी मान्यताओं को नीचा दिखाते थे, ऐसा कर के वो भारत की गुलामी को सही ठहराते थे। ऐसे ही मुश्किल समय में एक युवा संन्यासी आता है, पहाड़ों में साधना करता है और वो हीन भावना में फंसे भारतीय समाज को झकझोरता है। उन्होंने दबी-कुचली चेतना को फिर से जागृत कर दिया। लाला लाजपत राय और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा ली।
*’आर्य समाज विदेशी नैरेटिव को दी चुनौती’*
पीएम मोदी बोले, “उन्होंने हमारे वेदों और शास्त्रों में मिलावट करने वालों को नकारा, उन्होंने विदेशी नैरेटिव को चुनौती दी और शास्त्रार्थ की परंपरा से सिद्ध किया। वे जानते थे कि व्यक्ति हो या समाज निर्माण उसमें महिलाओं की भूमिका होती है। आर्य समाज के स्कूलों में लड़कियों को शिक्षा देने का कार्यक्रम शुरू किया। आर्य समाज के ऐसे ही महाविद्यालय में ऐसी ही बेटियां राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रही है। अभी दो दिन पहले ही हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने राफेल में उड़ान भरी और उसमें स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह भागीदार बनीं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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