नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूरे भारत में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाने का फैसला किया. संविधान सभा ने बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इसके 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में देशव्यापी समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया है.
*राष्ट्रगान के बराबर दर्जा*
वंदे मातरम की रचना चटर्जी ने संस्कृत में की थी. इसे राष्ट्रगान, जन-गण-मन के बराबर दर्जा प्राप्त है.

*दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी*
साथ ही बैठक में कई अहम फैसले भी लिए गए. महत्वपूर्ण फैसलों में 2025-31 तक ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ के लिए 11,440 करोड़ रुपये को मंजूरी देना शामिल है.भारत की फसल प्रणालियों और आहार में दालों का विशेष महत्व है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता है। बढ़ती आय और बढ़ते जीवन स्तर के साथ, दालों की खपत में वृद्धि हुई है। लेकिन, घरेलू उत्पादन, मांग के अनुरूप नहीं रहा है, जिसके कारण दालों के आयात में 15-20% की वृद्धि हुई है। इस आयात निर्भरता को कम करने, बढ़ती मांग को पूरा करने, उत्पादन को अधिकतम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए, वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में 6-वर्षीय “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” की घोषणा की गई थी। यह मिशन अनुसंधान, बीज प्रणालियों, क्षेत्र विस्तार, खरीद और मूल्य स्थिरता को शामिल करते हुए एक व्यापक रणनीति अपनाएगा। दालों की नवीनतम किस्मों के विकास और प्रसार पर ज़ोर दिया जाएगा, जो उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी हों। क्षेत्रीय उपयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में बहु-स्थानीय परीक्षण किए जाएँगे।
*महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी*
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में दिवाली-दशहरा से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता में 3 फीसदी की बढ़ोतरी की मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही अब कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 55 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गया है. यह बढ़ोतरी 1 जुलाई, 2025 से प्रभावी माना जाएगी.यह वृद्धि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के स्वीकृत फॉर्मूले के अनुरूप है।
*57 नए केंद्रीय विद्यालयों को मंजूरी*
कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मंत्रिमंडल ने देश के 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 57 नए केंद्रीय विद्यालयों को मंजूरी दी है. इनमें 20 उन जिलों में खोलने का प्रस्ताव है, जहां वर्तमान में कोई केंद्रीय विद्यालय मौजूद नहीं है. 14 केंद्रीय विद्यालय आकांक्षी जिलों में, 4 केवी वामपंथी उग्रवाद जिलों में और 5 नईआर, पहाड़ी क्षेत्रों में प्रस्तावित हैं। 57 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना के लिए कुल अनुमानित आवश्यकता 5862.55 करोड़ रुपये (लगभग) है, जो 2026-27 से नौ वर्षों की अवधि को कवर करती है। इसमें 2585.52 करोड़ रुपये (लगभग) का पूंजीगत व्यय और 3277.03 करोड़ रुपये (लगभग) का परिचालन व्यय शामिल है। उल्लेखनीय है कि पहली बार इन 57 केंद्रीय विद्यालयों को बाल वाटिका, यानी बुनियादी चरण (प्री-प्राइमरी) के 3 वर्षों के साथ मंजूरी दी गई है।
*रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी*
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ को भी मंजूरी दी है. यह एक ऐतिहासिक पहल है और इसका उद्देश्य डोमेस्टिक प्रोडक्शन को बढ़ावा देना और दलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है. एमएसपी में सबसे ज़्यादा वृद्धि कुसुम के लिए 600 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल की गई है। रेपसीड और सरसों, चना, जौ और गेहूँ के लिए क्रमशः 250 रुपये प्रति क्विंटल, 225 रुपये प्रति क्विंटल, 170 रुपये प्रति क्विंटल और 160 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। अनिवार्य रबी फसलों के एमएसपी में यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी निर्धारित करने की घोषणा के अनुरूप है। अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन गेहूँ के लिए 109 प्रतिशत, रेपसीड और सरसों के लिए 93 प्रतिशत, मसूर के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 59 प्रतिशत, जौ के लिए 58 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है।
*जैव-चिकित्सीय अनुसंधान करियर कार्यक्रम के तीसरे चरण को मंज़ूरी*
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव-चिकित्सा अनुसंधान करियर कार्यक्रम (बीआरसीपी), चरण-III को जारी रखने की मंज़ूरी दे दी है। यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वेलकम ट्रस्ट (डब्ल्यूटी), ब्रिटेन और एसपीवी, इंडिया अलायंस के बीच तीसरे चरण (2025-26 से 2030-31 तक, और अगले छह वर्षों (2031-32 से 2037-38 तक) के लिए साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 1500 करोड़ रुपये की कुल लागत से 2030-31 तक स्वीकृत फ़ेलोशिप और अनुदान प्रदान करना है, जिसमें डीबीटी और डब्ल्यूटी, ब्रिटेन क्रमशः 1000 करोड़ रुपये और 500 करोड़ रुपये का योगदान देंगे।
*चरण-III में, निम्नलिखित कार्यक्रमों को लागू करने का प्रस्ताव है*
i.) बुनियादी, नैदानिक और जन स्वास्थ्य में प्रारंभिक कैरियर और मध्यवर्ती अनुसंधान फेलोशिप। ये विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं और एक वैज्ञानिक के शोध करियर के प्रारंभिक चरणों के लिए तैयार किए गए हैं। ii.) सहयोगात्मक अनुदान कार्यक्रम, इनमें भारत में मज़बूत रिसर्च ट्रैक रिकॉर्ड वाले क्रमशः प्रारंभिक और मध्य-वरिष्ठ करियर शोधकर्ताओं के लिए 2-3 अन्वेषण टीमों के लिए करियर विकास अनुदान और उत्प्रेरक सहयोगात्मक अनुदान शामिल हैं। iii) मुख्य शोध प्रयासों को मजबूत करने के लिए अनुसंधान प्रबंधन कार्यक्रम। चरण III में मेंबरशिप, नेटवर्किंग, जन सहभागिता को मजबूत करने और नई एवं नवोन्मेषी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अनुसंधान फेलोशिप, सहयोगात्मक अनुदान और अखिल भारतीय स्तर पर कार्यान्वित अनुसंधान प्रबंधन कार्यक्रम मिलकर वैज्ञानिक उत्कृष्टता, कौशल विकास, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे।
अपेक्षित परिणामों में 2,000 से अधिक छात्रों और पोस्ट डॉक्टरल फेलो को प्रशिक्षित करना, उच्च-प्रभावी प्रकाशन तैयार करना, पेटेंट योग्य खोजों को सक्षम बनाना, समकक्ष मान्यता प्राप्त करना, महिलाओं को मिलने वाले समर्थन में 10-15% की वृद्धि, 25-30% सहयोगात्मक कार्यक्रमों को टीआरएल4 और उससे ऊपर के स्तर तक पहुँचाना और टियर-2/3 परिवेश में गतिविधियों और सहभागिता का विस्तार शामिल है।
चरण I और II ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर के जैव चिकित्सा विज्ञान के एक उभरते केंद्र के रूप में स्थापित किया। विज्ञान में भारत का बढ़ता निवेश और वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में इसकी बढ़ती भूमिका रणनीतिक प्रयासों के एक नए चरण की मांग करती है। पहले के चरणों के लाभों को आगे बढ़ाते हुए, चरण III राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रतिभा, क्षमता और रूपांतरण में निवेश करेगा।
*असम में एनएच-715 के कालीबोर-नुमालीगढ़ सेक्शन के राजमार्ग को चौड़ा करने को मंजूरी*
असम में काजीरंगा नेशनल पार्क (केएनपी) खंड पर प्रस्तावित वन्यजीव के प्रति अनुकूल पैमाने के अनुसार कार्यान्वयन के साथ, राष्ट्रीय राजमार्ग-715 के कालीबोर-नुमालीगढ़ सेक्शन के मौजूदा कैरिजवे को चौड़ा करने और उसे चार लेन का बनाने को मंजूरी दी। यह परियोजना इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और निर्माण (ईपीसी) मोड पर तैयार की जाएगी, जिसकी कुल लंबाई 85.675 किलोमीटर और कुल पूंजीगत लागत 6957 करोड़ रुपये होगी। एनएच-715 (पुराना एनएच-37) का मौजूदा कालीबोर-नुमालीगढ़ सेक्शन पक्के कंधों के साथ/ बिना 2-लेन का है, जो जाखलाबंधा (नागांव) और बोकाखाट (गोलाघाट) कस्बों के घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरता है।
मौजूदा राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा या तो काजीरंगा नेशनल पार्क से होकर गुजरता है या उद्यान की दक्षिणी सीमा के साथ-साथ, 16 से 32 मीटर के प्रतिबंधित राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) के साथ, जो काफी खराब ज्यामितीय आकृतियों के कारण और भी बदतर हो गया है। मानसून के दौरान, पार्क के अंदर का क्षेत्र पानी से भर जाता है, जिससे वन्यजीव पार्क से मौजूदा राजमार्ग को पार करके ऊंचे कार्बी-आंगलोंग पहाड़ियों की ओर चले जाते हैं। राजमार्ग पर चौबीसों घंटे भारी यातायात के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं और जंगली जानवरों की मौत होती है। इन चुनौतियों से समाधान के लिए, इस परियोजना में लगभग 34.5 किलोमीटर लंबे एक एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण शामिल होगा, जो काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से कार्बी-आंगलोंग पहाड़ियों तक वन्यजीवों की संपूर्ण आवाजाही को कवर करेगा ताकि वन्यजीवों का मुक्त और निर्बाध आवागमन सुनिश्चित हो सके।
इसके साथ ही, 30.22 किलोमीटर लंबी मौजूदा सड़क का अपग्रेडेशन और जाखलाबंधा तथा बोकाखाट के आस-पास 21 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड बाईपास का निर्माण भी किया जाएगा। इससे मौजूदा कॉरिडोर पर भीड़भाड़ कम होगी, सुरक्षा में सुधार होगा और गुवाहाटी (राज्य की राजधानी), काजीरंगा नेशनल पार्क (पर्यटन स्थल) और नुमालीगढ़ (एक औद्योगिक शहर) के बीच सीधा संपर्क बढ़ेगा। यह परियोजना 2 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच-127, एनएच-129) और 1 प्रदेश राजमार्ग (एसएच-35) को जोड़ती है, जिससे पूरे असम के प्रमुख आर्थिक, सामाजिक और लॉजिस्टिक्स केंद्रों को निर्बाध संपर्क मिलता है। इसके अतिरिक्त, अपग्रेडेड कॉरिडोर 3 रेलवे स्टेशनों (नागांव, जाखलाबंधा, विश्वनाथ चरली) और 3 हवाई अड्डों (तेजपुर, लियाबारी, जोरहाट) से जुड़कर बहु-मॉडल एकीकरण को बढ़ाएगा, जिससे पूरे क्षेत्र में माल और यात्रियों की तेज आवाजाही संभव होगी। यह परियोजना 2 सामाजिक-आर्थिक केंद्रों, 8 पर्यटन और धार्मिक स्थलों से संपर्क को बेहतर बनाएगी, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास और धार्मिक पर्यटन को बल मिलेगा।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।