नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025 (यूटीएन)। श्रावण मास की शिवरात्रि के पावन अवसर पर कालिका पीठाधीश्वर, महंत सुरेन्द्रनाथ अवधूत ने विधिविधान से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इस अवसर पर सैकड़ों शिवभक्तों की उपस्थिति में स्वंयभू महाकालेश्वर शिवलिंग का पूजन-अर्चन संपन्न हुआ। प्रातः शुभ मुहूर्त में रुद्राभिषेक के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पवित्र मंत्रोच्चार, वैदिक विधिऔर धार्मिक उत्साह के साथ अवधूत ने श्रद्धापूर्वक भगवान महादेव को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घृत और बेलपत्र आदि से अभिषेक किया।
पीठ परिसर “हर हर महादेव” और “बोल बम” के जयघोष से गूंज उठा। अवधूत जी ने कहा कि सावन मास शिव आराधना का सबसे पावन समय होता है औरश्रावण शिवरात्रि पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। समुद्र मंथन के समय चौदह रत्नों के साथ जब कालकूट विष भी निकला उसको देखकर सभी देवता भयभीत हो गए। उस समय भगवान शिव ने विष को पीकर देवताओं की रक्षा की ।सभी देवताओं ने भगवान शिव के विष के ताप को कम करने के लिए भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसी समय से भगवान शिवा के जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई ।
भगवान परशुराम और रावण ने भी कांवड़ लाकर पुरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। देवाधिदेव भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि का संचार करता है। उन्होंने सभी भक्तों से आग्रह किया कि सावन के महीने में संयम, उपवास, भक्ति और सेवा को जीवन का हिस्सा बनाएं। इस अवसर पर कांवड़ लाकर जल चढ़ाने वाले भक्तों का स्वागत पीठाधीश्वर जी द्वारा किया गया। भक्तों को प्रसाद व रुद्राक्ष वितरित किया गया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।