कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव पर अब तक बीजेपी वाले ही सवाल उठाते थे.
लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया पर सवाल कांग्रेस के भीतर से उठ रहे हैं.
सबसे पहले रविवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में आनंद शर्मा ने इस बारे में सवाल उठाया था.
बुधवार को दूसरे वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने आंनद शर्मा के सुर में सुर मिलाया.
कांग्रेस अध्यक्ष के प्रस्तावित चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीक़े से कराने के दावे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने ट्विटर पर अपनी राय ज़ाहिर की.
ट्विटर पर मधुसूदन मिस्त्री को टैग करते हुए मनीष तिवारी ने पूछा है कि जब पार्टी की मतदाता सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ही नहीं है, तो यह चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र कैसे हो सकता है?
इस समय कांग्रेस पार्टी में चुनाव करवाने की प्रक्रिया के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री हैं.
तिवारी ने कहा है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए ज़रूरी है कि मतदाताओं के नाम और पते कांग्रेस की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीक़े से प्रकाशित किए जाएं.
हालांकि मधुसूदन मिस्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि जो भी सदस्य वोट देने वालों की सूची चाहता है, वो उसे प्रदेश कांग्रेस कमिटी से ले सकता है. अध्यक्ष पद के लिए जो भी नामांकन दाखिल करेगा, उसे भी वो सूची उपलब्ध कराई जाएगी.
बीबीसी ने भी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया समझने के लिए मधुसूदन मिस्त्री से सम्पर्क साधा, लेकिन उनका जवाब नहीं आया.
ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव आख़िर होता कैसे है?
जवाब कांग्रेस पार्टी के संविधान में छिपा है.
कांग्रेस संगठन
कांग्रेस पार्टी का संगठन अलग अलग समितियों को मिला कर बना है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी)
कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी)
प्रदेश कांग्रेस कमिटी (पीसीसी)
डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक कांग्रेस कमिटी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी में करीब 1500 सदस्य हैं, जो कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) के 24 सदस्यों को चुनते हैं.
भारत भर में कुल 30 प्रदेश कांग्रेस कमिटी हैं, 5 केंद्र शासित प्रदेशों में कमिटियां हैं जिनमें 9000 से ज़्यादा सदस्य हैं.
अध्यक्ष के चुनाव की ज़िम्मेदारी
कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक बेवसाइट पर मौजूद संविधान के मुताबिक अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले केंद्रीय चुनाव अथॉरिटी (प्राधिकरण) के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है.
कांग्रेस वर्किंग कमिटी इस अथॉरिटी का गठन करती है, जिसमें तीन से पाँच सदस्य होते हैं. इनमें से ही एक सदस्य को इसका चेयरमैन बनाया जाता है.
इस समय कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री इसके चेयरमैन हैं.
चुनाव अथॉरिटी के सदस्य चुनाव कराने तक संगठन में कोई पद ग्रहण नहीं कर सकते. इस अथॉरिटी का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है.
यही चुनाव अथॉरिटी अलग अलग प्रदेशों में चुनाव अथॉरिटी का गठन करती है, जो आगे ज़िला और ब्लॉक में चुनाव अथॉरिटी बनाते हैं.