नई दिल्ली, 09 जुलाई 2025 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत तक ब्रिटेन की यात्रा पर जा सकते हैं। इस दौरान दोनों पक्ष औपचारिक रूप से ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के तरीकों पर विचार किए जाने की उम्मीद है।
राजनयिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि दोनों पक्ष जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत तक प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा की तारीखों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। इससे पहले संकेत मिले थे कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर सबसे पहले भारत की यात्रा करेंगे। पता चला है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री इस साल के अंत में भारत आ सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन द्वारा औपचारिक रूप से मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
*मई में भारत और ब्रिटेन ने एफटीए पर किए थे हस्ताक्षर*
मई में भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे टैरिफ से 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को लाभ मिलने की उम्मीद है। इससे ब्रिटिश फर्मों के लिए भारत में व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात करना आसान हो जाएगा। साथ ही समग्र व्यापार टोकरी को बढ़ावा मिलेगा। एफटीए के साथ-साथ यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से ब्रिटेन द्वारा किया गया सबसे बड़ा एफटीए किए।
प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों समझौतों को दोनों अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश, विकास और रोजगार सृजन को उत्प्रेरित करने और भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया था। अधिकारियों के अनुसार तीन साल की बातचीत के बाद तय किए गए व्यापार समझौते से सभी क्षेत्रों में भारतीय वस्तुओं के लिए व्यापक बाजार पहुंच सुनिश्चित होने की उम्मीद है। भारत को लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों (उत्पाद श्रेणियों) पर टैरिफ उन्मूलन से लाभ होगा, जो लगभग 100 प्रतिशत व्यापार मूल्यों को कवर करता है।
प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल के कार्यान्वयन पर भी बातचीत की उम्मीद*
मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों द्वारा रक्षा और सुरक्षा सहयोग का विस्तार करने के तरीकों का पता लगाने की भी उम्मीद है। दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल (टीएसआई) के कार्यान्वयन पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। पिछले साल जुलाई में दोनों देशों ने प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल को अंतिम रूप दिया था, जो दूरसंचार, महत्वपूर्ण खनिजों, अर्धचालकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित कई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक साहसिक नया दृष्टिकोण निर्धारित करता है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।