नई दिल्ली, 09 जुलाई 2025 (यूटीएन)। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने चेतावनी दी कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश का गठजोड़ भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) की ओर से आयोजित थिंक टैंक भारत के विकसित राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर जनरल चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्धों में खतरे किसी भी स्तर से उत्पन्न हो सकते हैं, जिसके लिए सतर्क तैयारी और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने ओआरएफ विदेश नीति सर्वेक्षण का भी शुभारंभ किया।
*परमाणु बम के इस्तेमाल की धमकी से ब्लैकमेल नहीं*
जनरल चौहान ने 7 से 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष, ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह शायद पहली बार था जब दो परमाणु हथियार संपन्न देश प्रत्यक्ष रूप से सैन्य टकराव में शामिल थे। उन्होंने कहा, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने पाकिस्तान की परमाणु बम के इस्तेमाल की धमकी से ब्लैकमेल नहीं होगा। उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर दो परमाणु हथियार वाले देशों के बीच संघर्ष का एकमात्र उदाहरण है। परमाणु हथियार युद्ध के लिए नहीं, बल्कि प्रतिरोध के लिए हैं।
*भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की*
सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक जैसे नए युद्ध क्षेत्रों में विस्तार कर पारंपरिक सैन्य संचालन को और मजबूत किया जा सकता है। भारत ने पाकिस्तान के परमाणु दावों को चुनौती दी और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाया।
*बाहरी शक्तियों को प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिला*
सीडीएस ने भारतीय महासागर क्षेत्र में देशों की आर्थिक संकट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, इससे बाहरी शक्तियों को प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिला है। इससे भारत के लिए परेशानियां पैदा हो सकती हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के ढाका छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव देखा गया है।
*वैश्विक अस्थिरता के पीछे अमेरिका की भूमिका*
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने अमेरिका की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया दो वैश्विक व्यवस्थाओं के बीच बदलाव के दौर से गुजर रही है। ऐसे समय में अमेरिका की नीतियां इस अस्थिरता में मुश्किलों की एक और परत जोड़ रही है, जिससे हालात और कठिन हो रहे हैं। जनरल चौहान का यह बयान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक समीकरणों की दिशा में एक अहम संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
जनरल चौहान ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया एक पुरानी वैश्विक व्यवस्था से नई व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। इस संक्रमण काल में अमेरिका की स्थिति और उसकी रणनीतिक नीति विश्व स्तर पर एक अतिरिक्त जटिलता पैदा कर रही है। यह स्थिति भारत जैसे देशों के लिए अधिक सतर्कता और रणनीतिक तैयारी की मांग करती है, ताकि बदलते समीकरणों का प्रभाव हमारी सुरक्षा पर न पड़े।
*आर्थिक और व्यापारिक सुरक्षा भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा*
उन्होंने यह भी कहा कि अब केवल सैन्य ताकत ही नहीं, बल्कि आर्थिक और व्यापारिक सुरक्षा भी किसी देश की कुल सुरक्षा व्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुकी है। एक मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था ही राष्ट्रीय शक्ति की बुनियाद होती है, जिससे टिकाऊ विकास और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी आर्थिक संरचना को सुरक्षित और स्वावलंबी बनाए रखे।
*भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए आंतरिक सुरक्षा अहम*
जनरल चौहान ने कहा कि भारत जैसा देश, जो कई भाषाओं, जातियों और धर्मों का संगम है, उसके लिए आंतरिक और सामाजिक सुरक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता और आपसी विश्वास को बनाए रखने के लिए ऐसी आंतरिक सुरक्षा नीति की ज़रूरत है, जो सभी समुदायों को एक सूत्र में बांधे। यह सामाजिक स्थायित्व भारत की सुरक्षा की मजबूती का आधार बनेगा।
*भारतीय उपमहाद्वीप में चीन-पाकिस्तान समीकरण से खतरे*
जनरल चौहान ने दक्षिण एशिया में बार-बार बदलती सरकारों और उनके साथ आने वाली वैचारिक अस्थिरता को भी सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में आर्थिक संकट से जूझते देशों में बाहरी ताकतें ‘कर्ज कूटनीति’ के ज़रिए अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। इसके साथ ही चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संभावित रणनीतिक तालमेल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।