Wednesday, March 12, 2025

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करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी होंगे प्रभावित, ट्रंप के फैसले से बांग्लादेश में भुखमरी का बढ़ा खतरा

बांग्लादेशी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती से चिंतित हैं।

अमेरिका, 09 मार्च 2025 (यूटीएन)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही अधिकांश विदेशी सहायता रोक दी है। इतना ही नहीं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी को भी भंग कर दिया। इसकी वजह से दुनिया भर में मानवीय मदद के लिए चलाए जा रहे काम पर बुरा असर पड़ा है और कई कार्यक्रम रुक गए हैं। ट्रंप ने 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए यूएस एड के फंड को रोक दिया था और 90 दिन की समीक्षा का निर्णय किया था। बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों को खाद्यान्न में कटौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सहायता एजेंसियों ने धन में कटौती की है।

बांग्लादेशी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती से चिंतित हैं। अमेरिका ने इन शरणार्थियों को दी जाने वाली खाद्यान्न मदद को आधा करने का फैसला किया है। मामले में एक शरणार्थी अधिकारी का कहना है कि इस कटौती से 10 लाख से अधिक शरणार्थियों के पोषण पर असर पड़ेगा और साथ ही इसका सामाजिक और मानसिक असर भी होगा। संयुक्त राष्ट्र की मुख्य खाद्य एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हाल ही में घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में खाद्यान्न राशन में कटौती शुरू हो जाएगी। यह वही जगह है जहां रोहिंग्या शरणार्थियों के दर्जनों शिविर हैं।

बता दें कि, अगस्त 2017 के अंत में म्यांमार की सेना ने निकासी अभियान शुरू किया था। इसके बाद 7 लाख से अधिक मुस्लिम रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे। बौद्ध बहुल देश म्यांमार में रोहिंग्या जातीय समूह को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और साथ ही उन्हें नागरिकता और अन्य अधिकारों से भी वंचित किया जाता है। 2021 में सैन्य तख्ता पलट के बाद देश में सशस्त्र संघर्ष जारी है और गृहयुद्ध की स्थिति है।

*राशन के लिए मिलने वाली मदद में कटौती*
यह स्पष्ट नहीं है कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) का निर्णय सीधे ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई से संबंधित है या नहीं। बांग्लादेश के अतिरिक्त शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयुक्त शमसूद दौजा ने बताया कि पहले राशन के लिए मिलने वाली मदद 12.50 डॉलर प्रति माह थी जिसे अब घटाकर 6 डॉलर कर दिया गया है।  बांग्लादेश में दशकों से लाखों लोग शरण लेकर रह रहे हैं और 2024 में करीब 70 हजार शरणार्थी म्यांमार से सीमा पार कर यहां पहुंचे हैं। अराकान सेना के रूप में जानी जाने वाली विपक्षी सेना ने सैन्य जुंटा से लड़ाई के दौरान रखाइन प्रांत पर कब्जा कर लिया।

इसी राज्य से रोहिंग्या विस्थापित होकर बांग्लादेश में शरण लेने पहुंचे थे। अंतरराष्ट्रीय न्यायाय में म्यांमार पर रोहिंग्याओं के खिलाफ नरसंहार का आरोप लगाया गया है। हालांकि, बांग्लादेश का कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस लौटना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि यूएसएआईडी की मदद रुकने से बांग्लादेश में अन्य परियोजनाएं रुक जाएंगी लेकिन रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सहायता राशि दी जाती रहेगी। यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा मददकर्ता रहा है। शरणार्थियों के लिए मानवीय सहायता पर खर्च की जाने वाली मदद राशि का करीब आधा हिस्सा अकेले अमेरिका खर्च करता है। साल 2024 में इसके लिए यूएसए ने 300 मिलियन डॉलर की मदद दी थी।

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करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी होंगे प्रभावित, ट्रंप के फैसले से बांग्लादेश में भुखमरी का बढ़ा खतरा

बांग्लादेशी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती से चिंतित हैं।

अमेरिका, 09 मार्च 2025 (यूटीएन)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही अधिकांश विदेशी सहायता रोक दी है। इतना ही नहीं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी को भी भंग कर दिया। इसकी वजह से दुनिया भर में मानवीय मदद के लिए चलाए जा रहे काम पर बुरा असर पड़ा है और कई कार्यक्रम रुक गए हैं। ट्रंप ने 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए यूएस एड के फंड को रोक दिया था और 90 दिन की समीक्षा का निर्णय किया था। बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों को खाद्यान्न में कटौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सहायता एजेंसियों ने धन में कटौती की है।

बांग्लादेशी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती से चिंतित हैं। अमेरिका ने इन शरणार्थियों को दी जाने वाली खाद्यान्न मदद को आधा करने का फैसला किया है। मामले में एक शरणार्थी अधिकारी का कहना है कि इस कटौती से 10 लाख से अधिक शरणार्थियों के पोषण पर असर पड़ेगा और साथ ही इसका सामाजिक और मानसिक असर भी होगा। संयुक्त राष्ट्र की मुख्य खाद्य एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हाल ही में घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में खाद्यान्न राशन में कटौती शुरू हो जाएगी। यह वही जगह है जहां रोहिंग्या शरणार्थियों के दर्जनों शिविर हैं।

बता दें कि, अगस्त 2017 के अंत में म्यांमार की सेना ने निकासी अभियान शुरू किया था। इसके बाद 7 लाख से अधिक मुस्लिम रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे। बौद्ध बहुल देश म्यांमार में रोहिंग्या जातीय समूह को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और साथ ही उन्हें नागरिकता और अन्य अधिकारों से भी वंचित किया जाता है। 2021 में सैन्य तख्ता पलट के बाद देश में सशस्त्र संघर्ष जारी है और गृहयुद्ध की स्थिति है।

*राशन के लिए मिलने वाली मदद में कटौती*
यह स्पष्ट नहीं है कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) का निर्णय सीधे ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई से संबंधित है या नहीं। बांग्लादेश के अतिरिक्त शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयुक्त शमसूद दौजा ने बताया कि पहले राशन के लिए मिलने वाली मदद 12.50 डॉलर प्रति माह थी जिसे अब घटाकर 6 डॉलर कर दिया गया है।  बांग्लादेश में दशकों से लाखों लोग शरण लेकर रह रहे हैं और 2024 में करीब 70 हजार शरणार्थी म्यांमार से सीमा पार कर यहां पहुंचे हैं। अराकान सेना के रूप में जानी जाने वाली विपक्षी सेना ने सैन्य जुंटा से लड़ाई के दौरान रखाइन प्रांत पर कब्जा कर लिया।

इसी राज्य से रोहिंग्या विस्थापित होकर बांग्लादेश में शरण लेने पहुंचे थे। अंतरराष्ट्रीय न्यायाय में म्यांमार पर रोहिंग्याओं के खिलाफ नरसंहार का आरोप लगाया गया है। हालांकि, बांग्लादेश का कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस लौटना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि यूएसएआईडी की मदद रुकने से बांग्लादेश में अन्य परियोजनाएं रुक जाएंगी लेकिन रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सहायता राशि दी जाती रहेगी। यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा मददकर्ता रहा है। शरणार्थियों के लिए मानवीय सहायता पर खर्च की जाने वाली मदद राशि का करीब आधा हिस्सा अकेले अमेरिका खर्च करता है। साल 2024 में इसके लिए यूएसए ने 300 मिलियन डॉलर की मदद दी थी।

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