Sunday, June 29, 2025

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ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे: सोशल मीडिया के झूठे दावों से बिगड़ा महिलाओं का मासिक धर्म स्वास्थ्य

ऐवरटीन निर्माता और पैन हेल्थकेयर उपक्रम वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी कहते हैं, ’’हमारे ऐवरटीन सर्वे से यह स्पष्ट है कि कई महिलाएं मासिक धर्म के दर्द के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान खोज रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी है।

नई दिल्ली, 27 मई 2025 (यूटीएन)। क्या मासिक धर्म के खून लगाना चेहरे के लिए अच्छा है? नोएडा की डॉ. करुणा शुक्ला (परिवर्तित नाम) को सोशल मीडिया पर बिल्कुल यही बेतुकी और झूठी सलाह मिली। 10वें ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में जवाब देते वक्त भारतीय महिलाओं ने सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के ऐसे कई और उदाहरणों भी साझा किए। बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में उभरने की क्षमता के बावजूद, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में ऐसे झूठे दावे महिलाओं को सोशल मीडिया चैनलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने पर मजबूर कर रहे हैं। ऐवरटीन के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में 71.6 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि सोशल मीडिया पीरियड्स के बारे में पर्याप्त और सटीक जानकारी प्रदान करता है, लेकिन फिर भी उनमें से केवल 11.5 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जो पीरियड्स के दौरान किसी आपात स्थिति में सोशल मीडिया पर बतौर प्राथमिक स्रोत भरोसा करती हैं।
आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित पूरे भारत से 1,152 महिलाओं ने इस साल के ऐवरटीन सर्वेक्षण में भाग लिया। इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 72.4 प्रतिशत महिलाएं 19 से 35 वर्ष आयु वर्ग की थीं; तथा 76.6 प्रतिशत महिलाओं ने स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा पूरी की थी। पैन हेल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन कहते हैं, ’’यह तथ्य कि भारत में दो तिहाई से ज्यादा महिलाएं सूचना के स्रोत के रूप में सोशल मीडिया पर निर्भर हैं, यह दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग और ब्लॉगर मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने में शानदार काम कर रहे हैं। हालांकि, पीएम मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने में उनकी ज़िम्मेदारी और भी बड़ी है। यह ज़रूरी है कि सोशल मीडिया समुदाय सटीक, तथ्य-आधारित और सत्यापित जानकारी के ज़रिए दर्शकों का भरोसा बनाए।
सोशल मीडिया के ज़रिए फैलाई जा रही गलत सूचनाओं के उदाहरण साझा करते हुए, कई महिलाओं ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट देखने को मिले, जिनमें झूठा दावा किया गया कि पीरियड्स में देरी का मतलब है कि उन्हें पीसीओडी है। महिलाओं ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में उन्हें पीरियड्स के दर्द को नियंत्रित करने के लिए नींबू पानी या कॉफी पीने की सलाह दी गई थी, लेकिन इससे उनकी स्थिति और खराब हो गई। उन्हें सोशल मीडिया पर घरेलू उपचार के ऐसे नुस्खे मिले, जो पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद नहीं करते। एक महिला उत्तरदाता ने कहा कि उन्हें एक जगह से पेनकिलर के नाम पता चले, जबकि वे शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। एक अन्य महिला ने सोशल मीडिया पर एक भ्रामक दावा देखा कि पीरियड्स के दौरान व्यायाम करने से महिलाओं के शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, जबकि सच्चाई यह है कि हल्का-फुल्का व्यायाम मासिक धर्म के दर्द को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है।
ऐवरटीन निर्माता और पैन हेल्थकेयर उपक्रम वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी कहते हैं, ’’हमारे ऐवरटीन सर्वे से यह स्पष्ट है कि कई महिलाएं मासिक धर्म के दर्द के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान खोज रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी है। 41.5 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान किसी भी दर्द निवारक का उपयोग नहीं करती हैं, जबकि 82.7 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान हल्का से लेकर गंभीर दर्द होता है। विडंबना यह है कि माहवारी के दौरान होने वाली पीड़ा से राहत पाने के लिए 14.2 प्रतिशत महिलाएं पेनकिलर का सेवन कर रही हैं, केवल 5.5 प्रतिशत महिलाओं को ही मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन के फायदों की जानकारी है जिससे पेनकिलर पर उनकी निर्भरता कम या खत्म हो गई है।
महिलाओं ने बताया कि सोशल मीडिया पर भी कई तरह के अंधविश्वासों को बढ़ावा दिया जाता है, जैसे कि पीरियड्स का खून अशुद्ध होता है, पीरियड्स के दौरान धार्मिक स्थलों पर न जाएं और पीरियड्स के दौरान अचार या खमीरयुक्त खाद्य पदार्थ छूने से खराब हो सकते हैं। ऐसी ही भ्रामक व निराधार जानकारियों के कुछ अन्य उदाहरण हैं: पीरियड्स के दौरान बाल न धोने की सलाह, दूध या दही जैसे सफेद रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन पीरियड्स के लिए हानिकारक है, हल्का प्रवाह गर्भधारण और गर्भावस्था में भविष्य की समस्याओं का संकेत है, पीरियड्स के दौरान महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकती, टैम्पोन उपयोग करने से महिला के अंतरंग अंग खिंच सकते हैं और मेंस्ट्रुअल कप संबंधी भ्रांतियाँ।
कुछ गलत सूचनाओं के बावजूद, सोशल मीडिया महिलाओं को अपने संकोच को दूर करने और पीरियड्स के बारे में अपनी चुप्पी तोड़ने में व्यापक रूप से मदद करता हुआ प्रतीत होता है।
34 प्रतिशत महिलाओं ने सोशल मीडिया पर पीरियड्स के बारे में शेयर किया है, ज्यादातर (72.8 प्रतिशत) ने अपने खुद के पीरियड्स के बारे में शेयर किया है, जबकि अन्य (27.2 प्रतिशत) ने किसी और की पीरियड्स की स्टोरी को फिर से शेयर किया है। सोशल मीडिया पर अपनी बात कहने से जो कारण महिलाओं को रोकते हैं उनमें प्रमुख हैं- गोपनीयता की चिंता (37.6 प्रतिशत), धारणा बनने का डर (11.4 प्रतिशत) शामिल है। 36.5 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि सोशल मीडिया पर पीरियड्स के बारे में शेयर करना ज़रूरी नहीं है, जबकि 14.5 प्रतिशत के पास सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है। इस वर्ष ऐवरटीन सर्वेक्षण के निष्कर्षों से एक और दिलचस्प पहलू यह सामने आया है कि जहां सैनिटरी पैड (87.8 प्रतिशत) सबसे लोकप्रिय मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पाद बने हुए हैं, वहीं डिस्पोजेबल पीरियड पैंटी (5.7 प्रतिशत) भारत में तेजी से बढ़ते नए मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैथड (एमएचएम) के रूप में उभरी है, जिसका उपयोग मेंस्ट्रुअल कप (4.7 प्रतिशत) और टैम्पोन (1.6 प्रतिशत) से ज्यादा किया जा रहा है!
35.4 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी उत्पाद ऑनलाइन खरीदती हैं, जबकि 64.6 प्रतिशत उन्हें अपने पड़ोस की दुकान से खरीदती हैं। मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पादों की ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में से 39.9 प्रतिशत महिलाएं क्विक कॉमर्स की सुविधा ले रही हैं। महिलाओं ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी करने का सबसे बड़ा कारक खरीदारी में आसानी (52.4 प्रतिशत) है, इसके बाद बेहतर छूट या ऑफर (34.5 प्रतिशत) और गोपनीयता (10.1 प्रतिशत) जैसे कारक आते हैं। ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में से एक तिहाई (29.7 प्रतिशत) महिलाओं ने कहा कि वे हमेशा केमिस्ट या किराने की दुकान से मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पाद खरीदने में असहज महसूस करती हैं।
ऐवरटीन हर साल मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वेक्षण करता है जिससे ऐसी जानकारियां प्राप्त की जा सकें जो महिलाएं के मासिक धर्म को आरामदायक बनाने में सहायक हो। ऐवरटीन ने फिक्स योर पीरियड,शी नीड्स पैड,पैड हर लाइफ और ब्लडी हाईपोकेसी जैसे अभियानों के माध्यम से मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर जागरूकता को बढ़ावा दिया है। ऐवरटीन महिलाओं के लिए अंतरंग स्वच्छता उत्पादों की विस्तृत रेंज पेश करता है जिनमें सैनिटरी पैड, डिस्पोजेबल पीरियड पैंटी, ओवरनाइट पैड, मेंस्ट्रुअल कप, मेंस्ट्रुअल कप क्लीन्ज़र, मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन, पैंटी लाइनर, बिकनी लाइन हेयर रिमूवर क्रीम, इंटीमेट वॉश, टॉयलेट सैनिटाइज़र, फेमिनिन सीरम व जैल शामिल हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे: सोशल मीडिया के झूठे दावों से बिगड़ा महिलाओं का मासिक धर्म स्वास्थ्य

ऐवरटीन निर्माता और पैन हेल्थकेयर उपक्रम वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी कहते हैं, ’’हमारे ऐवरटीन सर्वे से यह स्पष्ट है कि कई महिलाएं मासिक धर्म के दर्द के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान खोज रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी है।

नई दिल्ली, 27 मई 2025 (यूटीएन)। क्या मासिक धर्म के खून लगाना चेहरे के लिए अच्छा है? नोएडा की डॉ. करुणा शुक्ला (परिवर्तित नाम) को सोशल मीडिया पर बिल्कुल यही बेतुकी और झूठी सलाह मिली। 10वें ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में जवाब देते वक्त भारतीय महिलाओं ने सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के ऐसे कई और उदाहरणों भी साझा किए। बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में उभरने की क्षमता के बावजूद, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में ऐसे झूठे दावे महिलाओं को सोशल मीडिया चैनलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने पर मजबूर कर रहे हैं। ऐवरटीन के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में 71.6 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि सोशल मीडिया पीरियड्स के बारे में पर्याप्त और सटीक जानकारी प्रदान करता है, लेकिन फिर भी उनमें से केवल 11.5 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जो पीरियड्स के दौरान किसी आपात स्थिति में सोशल मीडिया पर बतौर प्राथमिक स्रोत भरोसा करती हैं।
आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित पूरे भारत से 1,152 महिलाओं ने इस साल के ऐवरटीन सर्वेक्षण में भाग लिया। इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 72.4 प्रतिशत महिलाएं 19 से 35 वर्ष आयु वर्ग की थीं; तथा 76.6 प्रतिशत महिलाओं ने स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा पूरी की थी। पैन हेल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन कहते हैं, ’’यह तथ्य कि भारत में दो तिहाई से ज्यादा महिलाएं सूचना के स्रोत के रूप में सोशल मीडिया पर निर्भर हैं, यह दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग और ब्लॉगर मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने में शानदार काम कर रहे हैं। हालांकि, पीएम मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने में उनकी ज़िम्मेदारी और भी बड़ी है। यह ज़रूरी है कि सोशल मीडिया समुदाय सटीक, तथ्य-आधारित और सत्यापित जानकारी के ज़रिए दर्शकों का भरोसा बनाए।
सोशल मीडिया के ज़रिए फैलाई जा रही गलत सूचनाओं के उदाहरण साझा करते हुए, कई महिलाओं ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट देखने को मिले, जिनमें झूठा दावा किया गया कि पीरियड्स में देरी का मतलब है कि उन्हें पीसीओडी है। महिलाओं ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में उन्हें पीरियड्स के दर्द को नियंत्रित करने के लिए नींबू पानी या कॉफी पीने की सलाह दी गई थी, लेकिन इससे उनकी स्थिति और खराब हो गई। उन्हें सोशल मीडिया पर घरेलू उपचार के ऐसे नुस्खे मिले, जो पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद नहीं करते। एक महिला उत्तरदाता ने कहा कि उन्हें एक जगह से पेनकिलर के नाम पता चले, जबकि वे शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। एक अन्य महिला ने सोशल मीडिया पर एक भ्रामक दावा देखा कि पीरियड्स के दौरान व्यायाम करने से महिलाओं के शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, जबकि सच्चाई यह है कि हल्का-फुल्का व्यायाम मासिक धर्म के दर्द को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है।
ऐवरटीन निर्माता और पैन हेल्थकेयर उपक्रम वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी कहते हैं, ’’हमारे ऐवरटीन सर्वे से यह स्पष्ट है कि कई महिलाएं मासिक धर्म के दर्द के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान खोज रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी है। 41.5 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान किसी भी दर्द निवारक का उपयोग नहीं करती हैं, जबकि 82.7 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान हल्का से लेकर गंभीर दर्द होता है। विडंबना यह है कि माहवारी के दौरान होने वाली पीड़ा से राहत पाने के लिए 14.2 प्रतिशत महिलाएं पेनकिलर का सेवन कर रही हैं, केवल 5.5 प्रतिशत महिलाओं को ही मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन के फायदों की जानकारी है जिससे पेनकिलर पर उनकी निर्भरता कम या खत्म हो गई है।
महिलाओं ने बताया कि सोशल मीडिया पर भी कई तरह के अंधविश्वासों को बढ़ावा दिया जाता है, जैसे कि पीरियड्स का खून अशुद्ध होता है, पीरियड्स के दौरान धार्मिक स्थलों पर न जाएं और पीरियड्स के दौरान अचार या खमीरयुक्त खाद्य पदार्थ छूने से खराब हो सकते हैं। ऐसी ही भ्रामक व निराधार जानकारियों के कुछ अन्य उदाहरण हैं: पीरियड्स के दौरान बाल न धोने की सलाह, दूध या दही जैसे सफेद रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन पीरियड्स के लिए हानिकारक है, हल्का प्रवाह गर्भधारण और गर्भावस्था में भविष्य की समस्याओं का संकेत है, पीरियड्स के दौरान महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकती, टैम्पोन उपयोग करने से महिला के अंतरंग अंग खिंच सकते हैं और मेंस्ट्रुअल कप संबंधी भ्रांतियाँ।
कुछ गलत सूचनाओं के बावजूद, सोशल मीडिया महिलाओं को अपने संकोच को दूर करने और पीरियड्स के बारे में अपनी चुप्पी तोड़ने में व्यापक रूप से मदद करता हुआ प्रतीत होता है।
34 प्रतिशत महिलाओं ने सोशल मीडिया पर पीरियड्स के बारे में शेयर किया है, ज्यादातर (72.8 प्रतिशत) ने अपने खुद के पीरियड्स के बारे में शेयर किया है, जबकि अन्य (27.2 प्रतिशत) ने किसी और की पीरियड्स की स्टोरी को फिर से शेयर किया है। सोशल मीडिया पर अपनी बात कहने से जो कारण महिलाओं को रोकते हैं उनमें प्रमुख हैं- गोपनीयता की चिंता (37.6 प्रतिशत), धारणा बनने का डर (11.4 प्रतिशत) शामिल है। 36.5 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि सोशल मीडिया पर पीरियड्स के बारे में शेयर करना ज़रूरी नहीं है, जबकि 14.5 प्रतिशत के पास सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है। इस वर्ष ऐवरटीन सर्वेक्षण के निष्कर्षों से एक और दिलचस्प पहलू यह सामने आया है कि जहां सैनिटरी पैड (87.8 प्रतिशत) सबसे लोकप्रिय मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पाद बने हुए हैं, वहीं डिस्पोजेबल पीरियड पैंटी (5.7 प्रतिशत) भारत में तेजी से बढ़ते नए मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैथड (एमएचएम) के रूप में उभरी है, जिसका उपयोग मेंस्ट्रुअल कप (4.7 प्रतिशत) और टैम्पोन (1.6 प्रतिशत) से ज्यादा किया जा रहा है!
35.4 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी उत्पाद ऑनलाइन खरीदती हैं, जबकि 64.6 प्रतिशत उन्हें अपने पड़ोस की दुकान से खरीदती हैं। मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पादों की ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में से 39.9 प्रतिशत महिलाएं क्विक कॉमर्स की सुविधा ले रही हैं। महिलाओं ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी करने का सबसे बड़ा कारक खरीदारी में आसानी (52.4 प्रतिशत) है, इसके बाद बेहतर छूट या ऑफर (34.5 प्रतिशत) और गोपनीयता (10.1 प्रतिशत) जैसे कारक आते हैं। ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में से एक तिहाई (29.7 प्रतिशत) महिलाओं ने कहा कि वे हमेशा केमिस्ट या किराने की दुकान से मेंस्ट्रुअल हाइजीन उत्पाद खरीदने में असहज महसूस करती हैं।
ऐवरटीन हर साल मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वेक्षण करता है जिससे ऐसी जानकारियां प्राप्त की जा सकें जो महिलाएं के मासिक धर्म को आरामदायक बनाने में सहायक हो। ऐवरटीन ने फिक्स योर पीरियड,शी नीड्स पैड,पैड हर लाइफ और ब्लडी हाईपोकेसी जैसे अभियानों के माध्यम से मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर जागरूकता को बढ़ावा दिया है। ऐवरटीन महिलाओं के लिए अंतरंग स्वच्छता उत्पादों की विस्तृत रेंज पेश करता है जिनमें सैनिटरी पैड, डिस्पोजेबल पीरियड पैंटी, ओवरनाइट पैड, मेंस्ट्रुअल कप, मेंस्ट्रुअल कप क्लीन्ज़र, मेंस्ट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन, पैंटी लाइनर, बिकनी लाइन हेयर रिमूवर क्रीम, इंटीमेट वॉश, टॉयलेट सैनिटाइज़र, फेमिनिन सीरम व जैल शामिल हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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