नई दिल्ली, 13 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति ने आज औपचारिक रूप से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली के निदेशक का पदभार ग्रहण किया। इस नियुक्ति से पहले, प्रोफेसर प्रजापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति थे। वे लंबे समय तक गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर से भी जुड़े रहे और अनुसंधान एवं शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपने शैक्षणिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए), जयपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में की थी।
इस अवसर पर एआईआईए में एक औपचारिक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और धन्वंतरि वंदना के साथ हुई। संस्थान की पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाल, डीन (पीएचडी) प्रो. (डॉ.) महेश व्यास और बड़ी संख्या में शैक्षणिक, चिकित्सा, प्रशासनिक और नर्सिंग स्टाफ उपस्थित थे। सभी उपस्थित लोगों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर नए निदेशक का हार्दिक स्वागत किया। निदेशक के रूप में अपने पहले संबोधन में, प्रो. प्रजापति ने कहा: इस प्रतिष्ठित संस्थान में आयुर्वेद की सेवा करने का अवसर प्राप्त करना मेरे लिए अत्यंत गौरव और सम्मान की बात है। आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाने के सरकार के दृष्टिकोण के साथ, मुझे विश्वास है कि सभी के सामूहिक सहयोग से, एआईआईए आने वाले वर्षों में वैश्विक मान्यता प्राप्त करेगा।
पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाल ने अपने स्वागत भाषण में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और टीम भावना तथा सहयोगात्मक कार्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। डीन प्रो. (डॉ.) महेश व्यास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के प्रमुख संस्थानों के साथ प्रो. प्रजापति का अनुभव एआईआईए को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, प्रो. प्रजापति ने संस्थान में संकाय सदस्यों के लिए आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम के समापन सत्र में भाग लिया, जहाँ उन्होंने औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन भी किया।
प्रो. प्रजापति ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से बीएएमएस की डिग्री प्राप्त की है और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से एमडी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उल्लेखनीय है कि एआईआईए के निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। शर्तों के अनुसार, वे कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि या सेवानिवृत्ति की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर कार्यरत रहेंगे।
प्रोफेसर प्रजापति ने वर्षों तक एम्स (AIIMS) के आयुर्वेद विभाग में प्रोफेसर के रूप में सेवा दी है और अपने शोध और व्याख्यानों से देश के कई संस्थानों को समृद्ध किया है। उन्होंने दुनिया को निरोगी जीवन जीने का मंत्र दिया है। उनका मानना है कि विद्वत्ता के साथ मनुष्यता भी हो, तो इतिहास ऐसे व्यक्ति को हमेशा याद रखता है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


