Thursday, July 31, 2025

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“खूबसूरत दिखने के लिए हर ट्रेंड को फॉलो करना ज़रूरी नहीं” – अनुपमा सोलंकी

अनुपमा यह भी स्वीकार करती हैं कि काम, फिटनेस, लुक्स और सोशल मीडिया की मौजूदगी को बैलेंस करना कितना थका देने वाला हो सकता है।

मुंबई, 17 जुलाई 2025 (यूटीएन)। अभिनेत्री अनुपमा सोलंकी, जिन्होंने ये है मोहब्बतें, नथ – कृष्णा और गौरी की कहानी, कुछ रीत जगत की ऐसी है और जमुनीयां जैसे शोज़ में काम किया है और फिलहाल जागृति – एक नई सुबह में नजर आ रही हैं, आज के तेज़ी से बदलते एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक्टर्स पर पड़ने वाले दबाव को लेकर खुलकर बात करती हैं। वह बताती हैं कि कैसे सुंदरता, प्रतिभा और विज़िबिलिटी एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं — और यह हमेशा निष्पक्ष नहीं होता।

रिलेवेंट बने रहने के बारे में अनुपमा कहती हैं, “हां, ईमानदारी से कहूं तो रिलेवेंट रहना बहुत मुश्किल है। एक्टर के तौर पर हम हमेशा खुद पर काम करते रहते हैं। हर दिन कोई नया चेहरा इंडस्ट्री में आता है और मुकाबला कभी खत्म नहीं होता।” वो आगे कहती हैं कि सबसे बड़ी चुनौती होती है “हर प्रोजेक्ट में खुद को नया दिखाना, सीखते रहना और बढ़ते रहना।”

अनुपमा यह भी स्वीकार करती हैं कि काम, फिटनेस, लुक्स और सोशल मीडिया की मौजूदगी को बैलेंस करना कितना थका देने वाला हो सकता है। “अच्छा दिखना, फिट रहना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना और एक एक्टर के तौर पर बेस्ट देना – यह सब एक साथ करना बहुत बड़ा प्रेशर होता है। लेकिन मेरा मानना है कि अगर आप अपने काम के प्रति ईमानदार हैं, तो सही मौके ज़रूर मिलेंगे।”

इंडस्ट्री में सुंदरता के मापदंड हमेशा से एक बड़ी भूमिका निभाते आए हैं, और अनुपमा इसे स्वीकार करती हैं। “हां, सुंदरता हमेशा से एक कठोर फिल्टर रही है खासकर एक्ट्रेसेज़ के लिए। गोरी त्वचा, एक तय बॉडी टाइप या उम्र की सीमाएं — इन सबको जैसे नियम बना दिया गया है। और जब टैलेंटेड लड़कियों को सिर्फ उनके लुक्स के कारण रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो वो बहुत दर्दनाक होता है।”

वो उम्मीद के साथ कहती हैं, “धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। अब लोग अलग-अलग तरह की सुंदरता को स्वीकार करने लगे हैं। मेरा मानना है कि सुंदरता एक व्यक्तिगत अनुभव है। खूबसूरत दिखने के लिए हर ट्रेंड को फॉलो करना ज़रूरी नहीं है।”

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बारे में वह कहती हैं, “अक्सर एक्टर्स को उनके इंस्टाग्राम फॉलोअर्स या लुक्स के आधार पर कास्ट कर लिया जाता है। लेकिन एक्टर होना इससे कहीं ज़्यादा है। ये इमोशन्स, कनेक्शन और स्टोरीटेलिंग के बारे में है।”

वो यह भी बताती हैं कि कैसे एक बार किसी तरह का रोल करने के बाद वही तरह के रोल्स बार-बार ऑफर होते हैं। “अगर आपने कोई एक किरदार अच्छे से निभा लिया, तो लोग उसी तरह के रोल्स ऑफर करते हैं। लेकिन मैं खुद को उसी में सीमित नहीं रखती। मैं अलग-अलग तरह के किरदारों के लिए ऑडिशन देती रहती हूं और अपनी स्किल्स पर लगातार काम करती हूं।

मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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“खूबसूरत दिखने के लिए हर ट्रेंड को फॉलो करना ज़रूरी नहीं” – अनुपमा सोलंकी

अनुपमा यह भी स्वीकार करती हैं कि काम, फिटनेस, लुक्स और सोशल मीडिया की मौजूदगी को बैलेंस करना कितना थका देने वाला हो सकता है।

मुंबई, 17 जुलाई 2025 (यूटीएन)। अभिनेत्री अनुपमा सोलंकी, जिन्होंने ये है मोहब्बतें, नथ – कृष्णा और गौरी की कहानी, कुछ रीत जगत की ऐसी है और जमुनीयां जैसे शोज़ में काम किया है और फिलहाल जागृति – एक नई सुबह में नजर आ रही हैं, आज के तेज़ी से बदलते एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक्टर्स पर पड़ने वाले दबाव को लेकर खुलकर बात करती हैं। वह बताती हैं कि कैसे सुंदरता, प्रतिभा और विज़िबिलिटी एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं — और यह हमेशा निष्पक्ष नहीं होता।

रिलेवेंट बने रहने के बारे में अनुपमा कहती हैं, “हां, ईमानदारी से कहूं तो रिलेवेंट रहना बहुत मुश्किल है। एक्टर के तौर पर हम हमेशा खुद पर काम करते रहते हैं। हर दिन कोई नया चेहरा इंडस्ट्री में आता है और मुकाबला कभी खत्म नहीं होता।” वो आगे कहती हैं कि सबसे बड़ी चुनौती होती है “हर प्रोजेक्ट में खुद को नया दिखाना, सीखते रहना और बढ़ते रहना।”

अनुपमा यह भी स्वीकार करती हैं कि काम, फिटनेस, लुक्स और सोशल मीडिया की मौजूदगी को बैलेंस करना कितना थका देने वाला हो सकता है। “अच्छा दिखना, फिट रहना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना और एक एक्टर के तौर पर बेस्ट देना – यह सब एक साथ करना बहुत बड़ा प्रेशर होता है। लेकिन मेरा मानना है कि अगर आप अपने काम के प्रति ईमानदार हैं, तो सही मौके ज़रूर मिलेंगे।”

इंडस्ट्री में सुंदरता के मापदंड हमेशा से एक बड़ी भूमिका निभाते आए हैं, और अनुपमा इसे स्वीकार करती हैं। “हां, सुंदरता हमेशा से एक कठोर फिल्टर रही है खासकर एक्ट्रेसेज़ के लिए। गोरी त्वचा, एक तय बॉडी टाइप या उम्र की सीमाएं — इन सबको जैसे नियम बना दिया गया है। और जब टैलेंटेड लड़कियों को सिर्फ उनके लुक्स के कारण रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो वो बहुत दर्दनाक होता है।”

वो उम्मीद के साथ कहती हैं, “धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। अब लोग अलग-अलग तरह की सुंदरता को स्वीकार करने लगे हैं। मेरा मानना है कि सुंदरता एक व्यक्तिगत अनुभव है। खूबसूरत दिखने के लिए हर ट्रेंड को फॉलो करना ज़रूरी नहीं है।”

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बारे में वह कहती हैं, “अक्सर एक्टर्स को उनके इंस्टाग्राम फॉलोअर्स या लुक्स के आधार पर कास्ट कर लिया जाता है। लेकिन एक्टर होना इससे कहीं ज़्यादा है। ये इमोशन्स, कनेक्शन और स्टोरीटेलिंग के बारे में है।”

वो यह भी बताती हैं कि कैसे एक बार किसी तरह का रोल करने के बाद वही तरह के रोल्स बार-बार ऑफर होते हैं। “अगर आपने कोई एक किरदार अच्छे से निभा लिया, तो लोग उसी तरह के रोल्स ऑफर करते हैं। लेकिन मैं खुद को उसी में सीमित नहीं रखती। मैं अलग-अलग तरह के किरदारों के लिए ऑडिशन देती रहती हूं और अपनी स्किल्स पर लगातार काम करती हूं।

मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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