Sunday, June 29, 2025

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फिल्म लव करूं या शादी: कुछ हल्के पल और प्रासंगिक मुद्दा इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं

डायरेक्टर जयप्रकाश शॉ की फिल्म ‘लव करूं या शादी’ आज के युवाओं की कहानी है, जो अपने सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच भ्रमित हैं।

नई दिल्ली, 30 मई 2025 (यूटीएन)। डायरेक्टर जयप्रकाश शॉ की फिल्म ‘लव करूं या शादी’ आज के युवाओं की कहानी है, जो अपने सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच भ्रमित हैं। यह एक रोमांटिक-कॉमेडी है जो पारंपरिक और आधुनिक सोच के बीच के अंतर को उजागर करती है. इस फिल्म में मैरिना सिंह, आकर्ष अलघ, मीशा कपूर, गोविंद नामदेव, मिलिंद गुनाजी, अली असगर जैसे कलाकारों की प्रमुख भूमिका है।
इनके अभिनय ने फिल्म को एक ताजगी दी है. अली असगर ने एक ‘जुगाड़ू-मामा’ का किरदार निभाया है, जो परिवार के समस्याओं का हल ढूंढ़ता है. गोबिंद नामदेव और मिलिंद गुनाजी जैसे अनुभवी अभिनेता भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, जिन्होंने फिल्म में गहराई और भावनात्मकता जोड़ी है .इनके अभिनय ने फिल्म को एक ताजगी दी है. फिल्म का संगीत संदीप नाथ ने दिया है, जो पहले “सुन रहा है ना तू” जैसे हिट गाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
फिल्म के गाने, विशेष रूप से  “वैडिंग दा सीजन आया “, युवाओं में काफी लोकप्रिय हुए हैं और सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं. फिल्म की कहानी में आज के युवाओं की परंपरा और पसंद के बीच की टकराहट को दिखाने का प्रयास किया गया है। आज की पीढ़ी सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच किस तरह से भ्रमित है। यह फिल्म इस बात पर जोर देती है। फिल्म की कहानी एक मां की है।
जो बेटे की शादी कराना चाहती है, लेकिन एक प्रेमिका जो भावनात्मक रूप से उलझी है, और एक दोस्त जो शादी के नाम से डराता है। इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की पूरी कहानी घूमती है। मिशा कपूर का किरदार कुछ दृश्यों में हंसी दिला जाता है, जिससे फिल्म की लय थोड़ी संभलती है। फिल्म के बाकी कलाकार आकर्ष अलघ और मैरीना सिंह ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की हैं।
लेकिन भावनात्मक रूप से अपने किरदार से कनेक्ट नहीं हो पाते है।फिल्म की सिनेमैटोग्राफी में भारतीय शादियों की रंगीनता और पारिवारिक रिश्तों की गर्मजोशी को खूबसूरती से दर्शाया गया है. हालांकि, कुछ समीक्षकों ने फिल्म की एडिटिंग को कमजोर बताया है, जिससे कुछ दृश्य अप्राकृतिक प्रतीत होते हैं। लव करुं या शादी ” एक हल्की-फुल्की पारिवारिक फिल्म है जो शादी और रिश्तों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
यदि आप पारिवारिक रिश्तों, प्यार और शादी के विषय पर आधारित फिल्में पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए उपयुक्त हो सकती हैं. फिल्म एक ऐसे मुद्दे पर बात करती है, जो आज के युवाओं से जुड़ा है। यह प्यार बनाम पारिवारिक दबाव को दर्शाता है। फिल्म के डायरेक्टर ने ऐसे विषय को चुना है, जो दर्शकों को छू सकता है। यह एक अच्छी मंशा के साथ बनी फिल्म है,  कुछ हल्के पल और एक प्रासंगिक मुद्दा इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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फिल्म लव करूं या शादी: कुछ हल्के पल और प्रासंगिक मुद्दा इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं

डायरेक्टर जयप्रकाश शॉ की फिल्म ‘लव करूं या शादी’ आज के युवाओं की कहानी है, जो अपने सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच भ्रमित हैं।

नई दिल्ली, 30 मई 2025 (यूटीएन)। डायरेक्टर जयप्रकाश शॉ की फिल्म ‘लव करूं या शादी’ आज के युवाओं की कहानी है, जो अपने सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच भ्रमित हैं। यह एक रोमांटिक-कॉमेडी है जो पारंपरिक और आधुनिक सोच के बीच के अंतर को उजागर करती है. इस फिल्म में मैरिना सिंह, आकर्ष अलघ, मीशा कपूर, गोविंद नामदेव, मिलिंद गुनाजी, अली असगर जैसे कलाकारों की प्रमुख भूमिका है।
इनके अभिनय ने फिल्म को एक ताजगी दी है. अली असगर ने एक ‘जुगाड़ू-मामा’ का किरदार निभाया है, जो परिवार के समस्याओं का हल ढूंढ़ता है. गोबिंद नामदेव और मिलिंद गुनाजी जैसे अनुभवी अभिनेता भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, जिन्होंने फिल्म में गहराई और भावनात्मकता जोड़ी है .इनके अभिनय ने फिल्म को एक ताजगी दी है. फिल्म का संगीत संदीप नाथ ने दिया है, जो पहले “सुन रहा है ना तू” जैसे हिट गाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
फिल्म के गाने, विशेष रूप से  “वैडिंग दा सीजन आया “, युवाओं में काफी लोकप्रिय हुए हैं और सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं. फिल्म की कहानी में आज के युवाओं की परंपरा और पसंद के बीच की टकराहट को दिखाने का प्रयास किया गया है। आज की पीढ़ी सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच किस तरह से भ्रमित है। यह फिल्म इस बात पर जोर देती है। फिल्म की कहानी एक मां की है।
जो बेटे की शादी कराना चाहती है, लेकिन एक प्रेमिका जो भावनात्मक रूप से उलझी है, और एक दोस्त जो शादी के नाम से डराता है। इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की पूरी कहानी घूमती है। मिशा कपूर का किरदार कुछ दृश्यों में हंसी दिला जाता है, जिससे फिल्म की लय थोड़ी संभलती है। फिल्म के बाकी कलाकार आकर्ष अलघ और मैरीना सिंह ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की हैं।
लेकिन भावनात्मक रूप से अपने किरदार से कनेक्ट नहीं हो पाते है।फिल्म की सिनेमैटोग्राफी में भारतीय शादियों की रंगीनता और पारिवारिक रिश्तों की गर्मजोशी को खूबसूरती से दर्शाया गया है. हालांकि, कुछ समीक्षकों ने फिल्म की एडिटिंग को कमजोर बताया है, जिससे कुछ दृश्य अप्राकृतिक प्रतीत होते हैं। लव करुं या शादी ” एक हल्की-फुल्की पारिवारिक फिल्म है जो शादी और रिश्तों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
यदि आप पारिवारिक रिश्तों, प्यार और शादी के विषय पर आधारित फिल्में पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए उपयुक्त हो सकती हैं. फिल्म एक ऐसे मुद्दे पर बात करती है, जो आज के युवाओं से जुड़ा है। यह प्यार बनाम पारिवारिक दबाव को दर्शाता है। फिल्म के डायरेक्टर ने ऐसे विषय को चुना है, जो दर्शकों को छू सकता है। यह एक अच्छी मंशा के साथ बनी फिल्म है,  कुछ हल्के पल और एक प्रासंगिक मुद्दा इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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