Wednesday, November 12, 2025

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मौके खुद नहीं आते, उन्हें खुद बनाना पड़ता है” सोमी अली

खुद एक समय पर उत्पीड़न की शिकार रहीं सोमी आज उन्हीं लोगों की मदद करती हैं जो शोषण या ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हैं, उनकी ज़िंदगी कभी आसान नहीं रही, लेकिन हर संघर्ष ने उन्हें और मज़बूत बनाया।

मुंबई, 06 नवंबर 2025 (यूटीएन)। पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री सोमी अली, जो अब अमेरिका के मियामी में No More Tears नाम की एक एनजीओ चलाती हैं, ने ज़िंदगी का सफर कुछ अलग ही ढंग से तय किया है। खुद एक समय पर उत्पीड़न की शिकार रहीं सोमी आज उन्हीं लोगों की मदद करती हैं जो शोषण या ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हैं। उनकी ज़िंदगी कभी आसान नहीं रही, लेकिन हर संघर्ष ने उन्हें और मज़बूत बनाया।

सोमी कहती हैं, “मौके दरवाज़ा नहीं खटखटाते, आपको खुद वो दरवाज़ा बनाना पड़ता है। मैंने ये बात ज़िंदगी से सीखी है — पाकिस्तान से अमेरिका, फिर बॉलीवुड और वापस अमेरिका जाने तक। हर जगह मैंने सीखा और आगे बढ़ी।”

वो बताती हैं, “आज हर इंडस्ट्री एक युद्धभूमि बन चुकी है। लेकिन अगर आपको अपना उद्देश्य पता है, तो कोई भी आपको पीछे नहीं छोड़ सकता। प्रतिस्पर्धा सिर्फ तब डराती है जब आप खुद को भूल जाते हैं।”

सोमी आगे कहती हैं, “मैंने कभी सही मौके का इंतज़ार नहीं किया, मैंने खुद मौका बनाया — No More Tears के ज़रिए। कभी-कभी किस्मत चुने जाने की नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने की बात होती है, जब तक दुनिया सुन न ले।”

वो मानती हैं कि “किस्मत” नहीं, बल्कि “समय” और “मेहनत” पर विश्वास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोग कहते हैं किस्मत अच्छी हो तो दरवाज़े खुल जाते हैं, पर सच्चाई ये है कि मेहनत ही इंसान को टिकाए रखती है। किस्मत, खूबसूरती और शोहरत सब मिट जाते हैं, पर मकसद हमेशा ज़िंदा रहता है। मैं किस्मत की भीख नहीं मांगती, मैं उसे खुद बनाती हूं।”

वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपने विचार साझा करते हुए सोमी ने कहा, “बैलेंस एक झूठी कहानी है जो हम खुद को सुनाते हैं। मैं संतुलन नहीं बनाती, मैं ज़िंदगी और काम को मिलाती हूं। जब आप किसी उत्पीड़न या ट्रैफिकिंग के शिकार की मदद करते हैं, तो आप शाम 5 बजे अपनी भावनाएं बंद नहीं कर सकते।”

हालांकि, वो अपनी ऊर्जा को संतुलित रखने की कोशिश करती हैं। “ध्यान (मेडिटेशन), दया और सीमाएं — यही मेरी सांस हैं। इनके बिना, जुनून भी ज़हर बन सकता है,” वो कहती हैं।

No More Tears के अलावा, सोमी अब अपने नए टॉक शो The Uncomfortable Conversation पर काम कर रही हैं, जिसे वो खुद प्रोड्यूस कर रही हैं। वो कहती हैं, “अब मेरा मकसद फेम पाना नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए जगह बनाना है जिनकी आवाज़ कभी सुनी ही नहीं गई।”

सोमी ने कहा, “आज मेरा लक्ष्य आसान है — सच्चाई को चर्चा का हिस्सा बनाना। The Uncomfortable Conversation के ज़रिए, और पहले हुए मेरे शो Fight or Flight (जो Discovery+ और Amazon Prime पर था) के ज़रिए, मैं चाहती हूं कि लोग अपने अंदर के डर और दर्द का सामना करें — चाहे वो ट्रॉमा हो, थेरेपी, जेंडर, या पहचान की बात।”

अंत में सोमी कहती हैं, “मेरा मकसद अब तालियाँ पाना नहीं है, बल्कि असर छोड़ना है। चलिए, एक-एक सार्थक कदम से दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाते हैं।

मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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मौके खुद नहीं आते, उन्हें खुद बनाना पड़ता है” सोमी अली

खुद एक समय पर उत्पीड़न की शिकार रहीं सोमी आज उन्हीं लोगों की मदद करती हैं जो शोषण या ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हैं, उनकी ज़िंदगी कभी आसान नहीं रही, लेकिन हर संघर्ष ने उन्हें और मज़बूत बनाया।

मुंबई, 06 नवंबर 2025 (यूटीएन)। पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री सोमी अली, जो अब अमेरिका के मियामी में No More Tears नाम की एक एनजीओ चलाती हैं, ने ज़िंदगी का सफर कुछ अलग ही ढंग से तय किया है। खुद एक समय पर उत्पीड़न की शिकार रहीं सोमी आज उन्हीं लोगों की मदद करती हैं जो शोषण या ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हैं। उनकी ज़िंदगी कभी आसान नहीं रही, लेकिन हर संघर्ष ने उन्हें और मज़बूत बनाया।

सोमी कहती हैं, “मौके दरवाज़ा नहीं खटखटाते, आपको खुद वो दरवाज़ा बनाना पड़ता है। मैंने ये बात ज़िंदगी से सीखी है — पाकिस्तान से अमेरिका, फिर बॉलीवुड और वापस अमेरिका जाने तक। हर जगह मैंने सीखा और आगे बढ़ी।”

वो बताती हैं, “आज हर इंडस्ट्री एक युद्धभूमि बन चुकी है। लेकिन अगर आपको अपना उद्देश्य पता है, तो कोई भी आपको पीछे नहीं छोड़ सकता। प्रतिस्पर्धा सिर्फ तब डराती है जब आप खुद को भूल जाते हैं।”

सोमी आगे कहती हैं, “मैंने कभी सही मौके का इंतज़ार नहीं किया, मैंने खुद मौका बनाया — No More Tears के ज़रिए। कभी-कभी किस्मत चुने जाने की नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने की बात होती है, जब तक दुनिया सुन न ले।”

वो मानती हैं कि “किस्मत” नहीं, बल्कि “समय” और “मेहनत” पर विश्वास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोग कहते हैं किस्मत अच्छी हो तो दरवाज़े खुल जाते हैं, पर सच्चाई ये है कि मेहनत ही इंसान को टिकाए रखती है। किस्मत, खूबसूरती और शोहरत सब मिट जाते हैं, पर मकसद हमेशा ज़िंदा रहता है। मैं किस्मत की भीख नहीं मांगती, मैं उसे खुद बनाती हूं।”

वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपने विचार साझा करते हुए सोमी ने कहा, “बैलेंस एक झूठी कहानी है जो हम खुद को सुनाते हैं। मैं संतुलन नहीं बनाती, मैं ज़िंदगी और काम को मिलाती हूं। जब आप किसी उत्पीड़न या ट्रैफिकिंग के शिकार की मदद करते हैं, तो आप शाम 5 बजे अपनी भावनाएं बंद नहीं कर सकते।”

हालांकि, वो अपनी ऊर्जा को संतुलित रखने की कोशिश करती हैं। “ध्यान (मेडिटेशन), दया और सीमाएं — यही मेरी सांस हैं। इनके बिना, जुनून भी ज़हर बन सकता है,” वो कहती हैं।

No More Tears के अलावा, सोमी अब अपने नए टॉक शो The Uncomfortable Conversation पर काम कर रही हैं, जिसे वो खुद प्रोड्यूस कर रही हैं। वो कहती हैं, “अब मेरा मकसद फेम पाना नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए जगह बनाना है जिनकी आवाज़ कभी सुनी ही नहीं गई।”

सोमी ने कहा, “आज मेरा लक्ष्य आसान है — सच्चाई को चर्चा का हिस्सा बनाना। The Uncomfortable Conversation के ज़रिए, और पहले हुए मेरे शो Fight or Flight (जो Discovery+ और Amazon Prime पर था) के ज़रिए, मैं चाहती हूं कि लोग अपने अंदर के डर और दर्द का सामना करें — चाहे वो ट्रॉमा हो, थेरेपी, जेंडर, या पहचान की बात।”

अंत में सोमी कहती हैं, “मेरा मकसद अब तालियाँ पाना नहीं है, बल्कि असर छोड़ना है। चलिए, एक-एक सार्थक कदम से दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाते हैं।

मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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