Tuesday, October 7, 2025

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भारत की युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक और नवप्रवर्तक बनाने में हमारे शिक्षकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षक न केवल वर्तमान को आकार देते हैं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देते हैं, जिससे उनकी भूमिका राष्ट्रीय सेवा के सर्वोच्च रूपों में से एक बन जाती है।

नई दिल्ली, 05 सितम्बर (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों को संबोधित किया। मोदी ने भारतीय समाज में शिक्षकों के प्रति स्वाभाविक सम्मान की सराहना की और उन्हें राष्ट्र निर्माण में एक शक्तिशाली शक्ति बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि उनके आजीवन समर्पण और प्रभाव का सम्मान है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनका चयन उनकी कड़ी मेहनत और अटूट समर्पण का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षक न केवल वर्तमान को आकार देते हैं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देते हैं, जिससे उनकी भूमिका राष्ट्रीय सेवा के सर्वोच्च रूपों में से एक बन जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं की तरह, देश भर के लाखों शिक्षक ईमानदारी, प्रतिबद्धता और सेवा की भावना के साथ शिक्षा के प्रति समर्पित हैं। इस अवसर पर, उन्होंने राष्ट्र निर्माण में शामिल सभी शिक्षकों के योगदान को भी नमन किया। प्रधानमंत्री ने भारत की प्रगति में शिक्षकों की स्थायी भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र ने हमेशा गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान किया है। भारत में, गुरु केवल ज्ञान प्रदाता ही नहीं, बल्कि जीवन के लिए मार्गदर्शक भी होते हैं। मोदी ने कहा, “जैसे-जैसे हम एक विकसित भारत के निर्माण के विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, यह परंपरा हमारी ताकत बनी हुई है। आप जैसे शिक्षक इस विरासत के जीवंत प्रतीक हैं। आप न केवल साक्षरता प्रदान कर रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी में राष्ट्र के लिए जीने की भावना भी भर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षक एक मजबूत राष्ट्र और सशक्त समाज की नींव हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या में समयबद्ध बदलाव की आवश्यकता के प्रति भी संवेदनशील हैं, और शिक्षा को समय की बदलती माँगों के अनुरूप ढालते हैं। उन्होंने आगे कहा, “यही भावना राष्ट्र के लिए किए जा रहे सुधारों में भी परिलक्षित होती है। सुधार निरंतर और समय के अनुकूल होने चाहिए, यह हमारी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता है। संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाल किले से अपनी प्रतिबद्धता को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने वादा किया था कि दिवाली और छठ पूजा से पहले, लोगों के लिए दोहरा उत्सव होगा। इसी भावना के अनुरूप, जीएसटी परिषद ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। जीएसटी अब और भी सरल हो गया है।
अब मुख्य रूप से दो जीएसटी स्लैब हैं, 5% और 18%। ये नई दरें सोमवार, 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से लागू होंगी।” प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि नवरात्रि की शुरुआत से करोड़ों परिवारों के लिए ज़रूरी चीज़ें और भी सस्ती हो जाएँगी। उन्होंने आगे कहा कि इस साल धनतेरस और भी ज़्यादा रौनक वाला होगा, क्योंकि दर्जनों वस्तुओं पर कर में काफ़ी कमी की गई है। मोदी ने कहा कि जीएसटी स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक था। इसने देश को कई करों के जटिल जाल से मुक्त किया।
अब, जैसे-जैसे भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, जीएसटी सुधार का यह नया चरण, जिसे मीडिया में कुछ लोग ‘जीएसटी 2.0’ कह रहे हैं, वास्तव में समर्थन और विकास की दोहरी खुराक है। यह सुधार आम परिवारों के लिए बढ़ी हुई बचत और आर्थिक गति को मज़बूत करने के दोहरे लाभ प्रदान करता है। मोदी ने कहा, “इस कदम से गरीबों, नव-मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग, किसानों, महिलाओं, छात्रों और युवाओं को काफ़ी राहत मिलने की उम्मीद है। नई नौकरी शुरू करने वाले युवा पेशेवरों को वाहन कर में कमी का ख़ास तौर पर फ़ायदा होगा।
इस फ़ैसले से परिवारों के लिए घरेलू बजट का प्रबंधन आसान हो जाएगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी कर सुधारों पर ज़ोर देते हुए कहा कि जीएसटी में भारी कटौती से भारतीय परिवारों पर वित्तीय बोझ काफी कम हो गया। मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के तहत, आवश्यक वस्तुओं और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर भारी कर लगाया जाता था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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भारत की युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक और नवप्रवर्तक बनाने में हमारे शिक्षकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षक न केवल वर्तमान को आकार देते हैं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देते हैं, जिससे उनकी भूमिका राष्ट्रीय सेवा के सर्वोच्च रूपों में से एक बन जाती है।

नई दिल्ली, 05 सितम्बर (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों को संबोधित किया। मोदी ने भारतीय समाज में शिक्षकों के प्रति स्वाभाविक सम्मान की सराहना की और उन्हें राष्ट्र निर्माण में एक शक्तिशाली शक्ति बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि उनके आजीवन समर्पण और प्रभाव का सम्मान है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनका चयन उनकी कड़ी मेहनत और अटूट समर्पण का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षक न केवल वर्तमान को आकार देते हैं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देते हैं, जिससे उनकी भूमिका राष्ट्रीय सेवा के सर्वोच्च रूपों में से एक बन जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं की तरह, देश भर के लाखों शिक्षक ईमानदारी, प्रतिबद्धता और सेवा की भावना के साथ शिक्षा के प्रति समर्पित हैं। इस अवसर पर, उन्होंने राष्ट्र निर्माण में शामिल सभी शिक्षकों के योगदान को भी नमन किया। प्रधानमंत्री ने भारत की प्रगति में शिक्षकों की स्थायी भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र ने हमेशा गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान किया है। भारत में, गुरु केवल ज्ञान प्रदाता ही नहीं, बल्कि जीवन के लिए मार्गदर्शक भी होते हैं। मोदी ने कहा, “जैसे-जैसे हम एक विकसित भारत के निर्माण के विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, यह परंपरा हमारी ताकत बनी हुई है। आप जैसे शिक्षक इस विरासत के जीवंत प्रतीक हैं। आप न केवल साक्षरता प्रदान कर रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी में राष्ट्र के लिए जीने की भावना भी भर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षक एक मजबूत राष्ट्र और सशक्त समाज की नींव हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या में समयबद्ध बदलाव की आवश्यकता के प्रति भी संवेदनशील हैं, और शिक्षा को समय की बदलती माँगों के अनुरूप ढालते हैं। उन्होंने आगे कहा, “यही भावना राष्ट्र के लिए किए जा रहे सुधारों में भी परिलक्षित होती है। सुधार निरंतर और समय के अनुकूल होने चाहिए, यह हमारी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता है। संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाल किले से अपनी प्रतिबद्धता को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने वादा किया था कि दिवाली और छठ पूजा से पहले, लोगों के लिए दोहरा उत्सव होगा। इसी भावना के अनुरूप, जीएसटी परिषद ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। जीएसटी अब और भी सरल हो गया है।
अब मुख्य रूप से दो जीएसटी स्लैब हैं, 5% और 18%। ये नई दरें सोमवार, 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से लागू होंगी।” प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि नवरात्रि की शुरुआत से करोड़ों परिवारों के लिए ज़रूरी चीज़ें और भी सस्ती हो जाएँगी। उन्होंने आगे कहा कि इस साल धनतेरस और भी ज़्यादा रौनक वाला होगा, क्योंकि दर्जनों वस्तुओं पर कर में काफ़ी कमी की गई है। मोदी ने कहा कि जीएसटी स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक था। इसने देश को कई करों के जटिल जाल से मुक्त किया।
अब, जैसे-जैसे भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, जीएसटी सुधार का यह नया चरण, जिसे मीडिया में कुछ लोग ‘जीएसटी 2.0’ कह रहे हैं, वास्तव में समर्थन और विकास की दोहरी खुराक है। यह सुधार आम परिवारों के लिए बढ़ी हुई बचत और आर्थिक गति को मज़बूत करने के दोहरे लाभ प्रदान करता है। मोदी ने कहा, “इस कदम से गरीबों, नव-मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग, किसानों, महिलाओं, छात्रों और युवाओं को काफ़ी राहत मिलने की उम्मीद है। नई नौकरी शुरू करने वाले युवा पेशेवरों को वाहन कर में कमी का ख़ास तौर पर फ़ायदा होगा।
इस फ़ैसले से परिवारों के लिए घरेलू बजट का प्रबंधन आसान हो जाएगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी कर सुधारों पर ज़ोर देते हुए कहा कि जीएसटी में भारी कटौती से भारतीय परिवारों पर वित्तीय बोझ काफी कम हो गया। मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के तहत, आवश्यक वस्तुओं और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर भारी कर लगाया जाता था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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