नई दिल्ली, 29 मई 2025 (यूटीएन)। विकसित भारत” के सपने को साकार करने के लिए श्रम उत्पादकता में निरंतर वृद्धि एक शर्त है, जहां प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाया जा सके और जहां प्रत्येक भारतीय हमारे माननीय प्रधान मंत्री द्वारा परिकल्पित नए और प्रगतिशील भारत की विकास आकांक्षाओं में इक्विटी धारक बन सके। इस प्रयास में एक हितधारक के रूप में निजी क्षेत्र की भागीदारी भारत की विकास यात्रा को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन के बेरी ने आज सीआईआई द्वारा आयोजित वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2025 में ‘आर्थिक लचीलापन निर्माण’ पर विशेष पूर्ण सत्र के दौरान कही। इस विषय पर आगे विस्तार से बताते हुए बेरी ने कहा कि श्रम उत्पादकता बढ़ाने से अप्रयुक्त क्षमता का लाभ उठाकर और श्रम गतिविधि को बढ़ाकर उच्च मूल्य संवर्धन होगा। इससे आय में वृद्धि होगी, देश के जीवन स्तर में सुधार होगा और बेजोड़ जनसांख्यिकी की क्षमता का दोहन करने में मदद मिलेगी, साथ ही देश में तकनीकी और भू-राजनीतिक लाभ का दोहन भी होगा।
उन्होंने अफसोस जताया कि भारत में श्रम उत्पादकता में वृद्धि की आकांक्षाओं के अनुरूप वांछित गति से सुधार नहीं हो रहा है। श्री बेरी के अनुसार, क्रय शक्ति समता के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिका का आधा है, लेकिन श्रम बल का आकार अमेरिका से तीन गुना है। हमारा उद्देश्य बेहतर रोजगार पैदा करने के लिए अर्थव्यवस्था को विकास के उच्च स्तर पर ले जाने के लिए हमारे श्रम बल का लाभ उठाना होना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि उत्पादकता में ठहराव की समस्या का सामना यूके और कनाडा जैसे देश कर रहे हैं। जबकि भारत में उत्पादकता बढ़ रही है, यह चीन और आसियान की तुलना में कम है। बेरी ने कहा कि उत्पादकता प्रक्षेपवक्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। पहला कृषि से आबादी का स्थानांतरण और दूसरा उद्योग और सेवाओं में इसका संक्रमण। इससे न केवल कृषि की उत्पादकता में सुधार होगा बल्कि उद्योग में उत्पादन भी बढ़ेगा। भारत में यह बदलाव धीमा है और नीति आयोग सुधारात्मक कार्रवाइयों पर काम कर रहा है।
औद्योगीकरण देश के सामने एक और चुनौती है और चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से नीतिगत सबक लिए जा सकते हैं, हालांकि प्रत्येक देश को अपना रास्ता और उत्पादकता प्रक्षेपवक्र खुद तय करना होगा। भारत को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए आत्मनिर्भरता और वैश्विक जुड़ाव का मिश्रण अपनाना चाहिए। हमें जर्मनी जैसे देशों की तरह भारत के लघु और मध्यम उद्योगों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग ने 1991 के सुधारों को सफलतापूर्वक पार कर लिया है और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करने का आत्मविश्वास हासिल कर लिया है। बेरी ने उल्लेख किया कि व्यापारिक साझेदारों के साथ एफटीए बनाना, उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में प्रवेश करना और आपूर्ति के हमारे स्रोतों में विविधता लाना आगे बने रहने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रतिस्पर्धा केवल विनिर्माण तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि सेवाओं तक भी विस्तारित होनी चाहिए।
संस्थाओं की भूमिका पर आते हुए, बेरी का मानना था कि नीति आयोग जैसी संस्थाओं की भी विकासशील भारत की यात्रा में राज्यों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका है और यह सभी राज्यों से संबंधित है, न कि केवल कुछ राज्यों से। नीति आयोग के तहत राज्यों की शासी परिषद की राज्यों को एफटीए का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और अपने परिसरों में निवेश प्रवाह बढ़ाने के लिए राजी करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग शहरीकरण के एजेंडे पर राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सीआईआई के मनोनीत अध्यक्ष राजीव मेमानी ने घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों, आर्थिक साझेदारी बनाने और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ एफटीए, यूएसए के साथ बीटीए आदि के मुद्दों पर बात की।
पुरस्कार निर्णायक मंडल के अध्यक्ष दिलीप साहनी ने सत्र के दौरान भविष्य के लिए तैयार विनिर्माण पर सीआईआई राष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यास पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की और उन्हें सम्मानित किया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।