Friday, December 12, 2025

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अगली पीढ़ी के दक्षिण एशिया ऊर्जा सहयोग के केंद्र में पारेषण, उन्नत विद्युत व्यापार और नए मांग केंद्र हैं: सीईए अध्यक्ष

भारत अब अपने संसाधन पर्याप्तता और अंतरराज्यीय पारेषण योजनाओं को नियमित रूप से अद्यतन करता है और भूटान तथा नेपाल के साथ सीमा-पार नियोजन में भी यही गतिशीलता अपनानी चाहिए।

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025 (यूटीएन)। दक्षिण एशिया को त्वरित जलविद्युत विकास, बड़े पैमाने पर भंडारण क्षमता की तैनाती और गतिशील सीमा-पार पारेषण योजना पर आधारित क्षेत्रीय विद्युत एकीकरण के अगली पीढ़ी के चरण के लिए प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया (बीआईएन) विद्युत शिखर सम्मेलन के 10वें संस्करण में बोलते हुए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद ने कहा, “दक्षिण एशिया का ऊर्जा सहयोग दशकों में छोटे आदान-प्रदान से लेकर रणनीतिक जुड़ाव तक विकसित हुआ है। अवसर अपार हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पारेषण क्षेत्रीय एकीकरण के केंद्र में है। भारत अब अपने संसाधन पर्याप्तता और अंतरराज्यीय पारेषण योजनाओं को नियमित रूप से अद्यतन करता है और भूटान तथा नेपाल के साथ सीमा-पार नियोजन में भी यही गतिशीलता अपनानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक जलविद्युत और पंप भंडारण, दोनों में तेज़ी से वृद्धि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विकास को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है।
भारत की अनुमानित पंप भंडारण क्षमता का विस्तार हुआ है। इस विस्तार को सौर और पवन ऊर्जा में अभूतपूर्व वृद्धि से बल मिला है। ये इलेक्ट्रिक वाहनों और डेटा केंद्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। श्री प्रसाद ने कहा कि इन नए क्षेत्रों को विश्वसनीय, चौबीसों घंटे हरित ऊर्जा की आवश्यकता है, जो केवल सौर, पवन, जलविद्युत, पंप भंडारण और बैटरी प्रणालियों के संतुलित मिश्रण से ही प्राप्त की जा सकती है। प्रसाद ने पूरे क्षेत्र में बाज़ार की गहरी भागीदारी का भी आह्वान किया। हालाँकि दीर्घकालिक पीपीए ज़रूरी हैं, लेकिन बाज़ार से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा खरीद और स्पॉट ट्रेडिंग खरीदारों और उत्पादकों के लिए लचीले विकल्प प्रदान करते हैं। उन्होंने सीमा पार गलियारों के विस्तार के महत्व पर प्रकाश डाला। वैश्विक अनुभव दर्शाता है कि समय-क्षेत्र विविधता सहित क्षेत्रीय एकीकरण, भंडारण आवश्यकताओं को कम करता है और लागत कम करता है। उन्होंने हितधारकों से इलेक्ट्रिक वाहनों और डेटा केंद्रों जैसे उभरते मांग क्षेत्रों को क्षेत्रीय सहयोग ढाँचों में एकीकृत करने का आग्रह किया।
नेपाल सरकार के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्रालय के विद्युत विकास विभाग के संयुक्त सचिव एवं उप महानिदेशक नूतन कुमार शर्मा ने क्षेत्रीय विद्युत एकीकरण और सीमा पार सहयोग के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। भारत-नेपाल विद्युत विनिमय के शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे विद्युत विनिमय की शुरुआत सीमा पर बुनियादी प्रकाश व्यवस्था और आपूर्ति प्रदान करने से हुई थी। आज, हमारी प्रणालियाँ उन्नत हो गई हैं और नई बुटवल-गोरखपुर लाइन निर्माणाधीन है, और कई और गलियारे पाइपलाइन में हैं।” शर्मा ने कहा, “अगले 15 वर्षों में, नेपाल का लक्ष्य लगभग 28,000 मेगावाट क्षमता जोड़ना है, जिसमें जल विद्युत आधारशिला बनी रहेगी।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि संतुलित और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए पंप भंडारण, सौर ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण नीति को नेपाल के नियोजन ढाँचे में एकीकृत किया जा रहा है।
 सीमा पार व्यापार के बारे में उन्होंने कहा, “नेपाल ने भारतीय रीयल-टाइम, डे-अहेड और ग्रीन मार्केट्स में भागीदारी का बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया है। पीटीसी और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम ने हमारे सीमा पार आदान-प्रदान को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” दीर्घकालिक सहयोग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे कहा, “भारत और नेपाल अगले दस वर्षों में 10,000 मेगावाट आयात करने की रूपरेखा पर सहमत हुए हैं, जो हमारी भविष्य की योजना के लिए एक मजबूत नीतिगत संकेत है।” शर्मा ने जलविद्युत विकास में पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण का समर्थन करने के लिए नेपाल की तत्परता की पुष्टि की। उन्होंने बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और एक स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण प्राप्त करने में दक्षिण एशियाई सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन बढ़ती ऊर्जा मांग और एक स्वच्छ मिश्रण की आवश्यकता के लिए सीमा पार सहयोग की आवश्यकता है। नेपाल और भूटान में जलविद्युत, भारत की नवीकरणीय क्षमताओं के साथ मिलकर, एकीकृत कार्रवाई के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
सभी दक्षिण एशियाई देशों के लाभ के लिए साझेदारी को मजबूत करने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय बिजली व्यापार का विस्तार करने की नेपाल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। भूटान इस क्षेत्र में एक संयोजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, और भारत के साथ सहयोग अभी भी आधारभूत है। 1970 के दशक से हमारी दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी भूटान के विकास की आधारशिला रही है और हम मानते हैं कि वित्त, बुनियादी ढाँचे में निवेश और नीतिगत स्थिरता क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग के पूर्ण अवसरों का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। शिखर सम्मेलन में सीमा पार बिजली व्यापार के माध्यम से ऊर्जा सहयोग बढ़ाने, ग्रिड एकीकरण के माध्यम से स्थिरता और बिजली क्षेत्र में निवेश में तेजी लाने की रणनीतियों पर भी चर्चा हुई।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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अगली पीढ़ी के दक्षिण एशिया ऊर्जा सहयोग के केंद्र में पारेषण, उन्नत विद्युत व्यापार और नए मांग केंद्र हैं: सीईए अध्यक्ष

भारत अब अपने संसाधन पर्याप्तता और अंतरराज्यीय पारेषण योजनाओं को नियमित रूप से अद्यतन करता है और भूटान तथा नेपाल के साथ सीमा-पार नियोजन में भी यही गतिशीलता अपनानी चाहिए।

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025 (यूटीएन)। दक्षिण एशिया को त्वरित जलविद्युत विकास, बड़े पैमाने पर भंडारण क्षमता की तैनाती और गतिशील सीमा-पार पारेषण योजना पर आधारित क्षेत्रीय विद्युत एकीकरण के अगली पीढ़ी के चरण के लिए प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया (बीआईएन) विद्युत शिखर सम्मेलन के 10वें संस्करण में बोलते हुए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद ने कहा, “दक्षिण एशिया का ऊर्जा सहयोग दशकों में छोटे आदान-प्रदान से लेकर रणनीतिक जुड़ाव तक विकसित हुआ है। अवसर अपार हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पारेषण क्षेत्रीय एकीकरण के केंद्र में है। भारत अब अपने संसाधन पर्याप्तता और अंतरराज्यीय पारेषण योजनाओं को नियमित रूप से अद्यतन करता है और भूटान तथा नेपाल के साथ सीमा-पार नियोजन में भी यही गतिशीलता अपनानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक जलविद्युत और पंप भंडारण, दोनों में तेज़ी से वृद्धि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विकास को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है।
भारत की अनुमानित पंप भंडारण क्षमता का विस्तार हुआ है। इस विस्तार को सौर और पवन ऊर्जा में अभूतपूर्व वृद्धि से बल मिला है। ये इलेक्ट्रिक वाहनों और डेटा केंद्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। श्री प्रसाद ने कहा कि इन नए क्षेत्रों को विश्वसनीय, चौबीसों घंटे हरित ऊर्जा की आवश्यकता है, जो केवल सौर, पवन, जलविद्युत, पंप भंडारण और बैटरी प्रणालियों के संतुलित मिश्रण से ही प्राप्त की जा सकती है। प्रसाद ने पूरे क्षेत्र में बाज़ार की गहरी भागीदारी का भी आह्वान किया। हालाँकि दीर्घकालिक पीपीए ज़रूरी हैं, लेकिन बाज़ार से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा खरीद और स्पॉट ट्रेडिंग खरीदारों और उत्पादकों के लिए लचीले विकल्प प्रदान करते हैं। उन्होंने सीमा पार गलियारों के विस्तार के महत्व पर प्रकाश डाला। वैश्विक अनुभव दर्शाता है कि समय-क्षेत्र विविधता सहित क्षेत्रीय एकीकरण, भंडारण आवश्यकताओं को कम करता है और लागत कम करता है। उन्होंने हितधारकों से इलेक्ट्रिक वाहनों और डेटा केंद्रों जैसे उभरते मांग क्षेत्रों को क्षेत्रीय सहयोग ढाँचों में एकीकृत करने का आग्रह किया।
नेपाल सरकार के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्रालय के विद्युत विकास विभाग के संयुक्त सचिव एवं उप महानिदेशक नूतन कुमार शर्मा ने क्षेत्रीय विद्युत एकीकरण और सीमा पार सहयोग के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। भारत-नेपाल विद्युत विनिमय के शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे विद्युत विनिमय की शुरुआत सीमा पर बुनियादी प्रकाश व्यवस्था और आपूर्ति प्रदान करने से हुई थी। आज, हमारी प्रणालियाँ उन्नत हो गई हैं और नई बुटवल-गोरखपुर लाइन निर्माणाधीन है, और कई और गलियारे पाइपलाइन में हैं।” शर्मा ने कहा, “अगले 15 वर्षों में, नेपाल का लक्ष्य लगभग 28,000 मेगावाट क्षमता जोड़ना है, जिसमें जल विद्युत आधारशिला बनी रहेगी।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि संतुलित और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए पंप भंडारण, सौर ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण नीति को नेपाल के नियोजन ढाँचे में एकीकृत किया जा रहा है।
 सीमा पार व्यापार के बारे में उन्होंने कहा, “नेपाल ने भारतीय रीयल-टाइम, डे-अहेड और ग्रीन मार्केट्स में भागीदारी का बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया है। पीटीसी और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम ने हमारे सीमा पार आदान-प्रदान को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” दीर्घकालिक सहयोग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे कहा, “भारत और नेपाल अगले दस वर्षों में 10,000 मेगावाट आयात करने की रूपरेखा पर सहमत हुए हैं, जो हमारी भविष्य की योजना के लिए एक मजबूत नीतिगत संकेत है।” शर्मा ने जलविद्युत विकास में पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण का समर्थन करने के लिए नेपाल की तत्परता की पुष्टि की। उन्होंने बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और एक स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण प्राप्त करने में दक्षिण एशियाई सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन बढ़ती ऊर्जा मांग और एक स्वच्छ मिश्रण की आवश्यकता के लिए सीमा पार सहयोग की आवश्यकता है। नेपाल और भूटान में जलविद्युत, भारत की नवीकरणीय क्षमताओं के साथ मिलकर, एकीकृत कार्रवाई के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
सभी दक्षिण एशियाई देशों के लाभ के लिए साझेदारी को मजबूत करने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय बिजली व्यापार का विस्तार करने की नेपाल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। भूटान इस क्षेत्र में एक संयोजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, और भारत के साथ सहयोग अभी भी आधारभूत है। 1970 के दशक से हमारी दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी भूटान के विकास की आधारशिला रही है और हम मानते हैं कि वित्त, बुनियादी ढाँचे में निवेश और नीतिगत स्थिरता क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग के पूर्ण अवसरों का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। शिखर सम्मेलन में सीमा पार बिजली व्यापार के माध्यम से ऊर्जा सहयोग बढ़ाने, ग्रिड एकीकरण के माध्यम से स्थिरता और बिजली क्षेत्र में निवेश में तेजी लाने की रणनीतियों पर भी चर्चा हुई।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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