नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित सातवें भारतीय रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स सम्मेलन 2025 में उद्योग जगत के प्रतिष्ठित दिग्गजों को संबोधित किया और नवाचार, प्रौद्योगिकी और प्रतिस्पर्धात्मकता के माध्यम से भारत के वैश्विक नेतृत्व के मार्ग पर बल दिया।
राष्ट्र निर्माण में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए गोयल ने कहा कि रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स उद्योग “कृषि से लेकर ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य सेवा से लेकर बुनियादी ढाँचे तक, आधुनिक जीवन के हर पहलू में सर्वव्यापी है और इसे भारत के विकास को गति देने वाले अत्याधुनिक समाधान विकसित करने में अग्रणी होना चाहिए।
भारत के 2047 के विकासशील भारत के दृष्टिकोण पर विचार करते हुए मंत्री ने उद्योग जगत के नेताओं से महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने का आह्वान किया और इस क्षेत्र को 2040 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का उद्योग बनने की आकांक्षा रखने का आग्रह किया। गोयल ने कहा, “एक राष्ट्र के रूप में हमारी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम अक्सर बड़े लक्ष्य नहीं रखते।” उन्होंने आगे कहा, “नवाचार, विज्ञान और अनुसंधान भारत की प्रगति की रीढ़ होने चाहिए। रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी-संचालित विकास और स्थिरता में वैश्विक चैंपियन बनने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि उन्नत राष्ट्रों ने अनुसंधान और विकास में दीर्घकालिक निवेश के माध्यम से समृद्धि प्राप्त की है, और भारत को भी इसी तरह नवाचार में अपने विकास को गति देनी चाहिए। गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तेल-समृद्ध राष्ट्र भी नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में विविधता ला रहे हैं, और यह स्वीकार कर रहे हैं कि भविष्य मूल्यवर्धित, टिकाऊ उद्योगों का है। अर्थव्यवस्था के लिए उद्योग के रणनीतिक महत्व को स्वीकार करते हुए, उन्होंने मूल्य श्रृंखला में सहयोग और महत्वपूर्ण सामग्रियों में अधिक आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए वैश्विक बाजारों के साथ एकीकरण पर भी जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “हमें अपनी मूल्य श्रृंखलाओं में एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए, घरेलू क्षमताओं को मज़बूत करना चाहिए और साथ ही, दुनिया के साथ आत्मविश्वास से जुड़ना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “एक जीवंत, नवोन्मेषी रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र भारत की विकसित अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा का केंद्रबिंदु होगा। पीपुल्स पावरिंग प्रोग्रेस: बिल्डिंग इंडियाज़ केमिकल वर्कफोर्स फॉर ए यूएसडी 1 ट्रिलियन इंडस्ट्री बाय 2040” विषय पर सीआईआई-केर्नी की रिपोर्ट, भारत सरकार के माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के साथ भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन सम्मेलन 2025 के सातवें संस्करण में विशेष पूर्ण सत्र के दौरान जारी की गई।
यह रिपोर्ट भारत के रसायन उद्योग की परिवर्तनकारी क्षमता पर अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिसके 2030 तक 400-450 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2040 तक संभावित रूप से 850-1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला गतिशीलता, घरेलू माँग और तकनीकी प्रगति द्वारा संचालित है। यह क्षेत्र, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7% और औद्योगिक उत्पादन में 14% का योगदान देता है, और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करता है। सीआईआई के मनोनीत अध्यक्ष सीआईआई की राष्ट्रीय रसायन एवं पेट्रोरसायन समिति के अध्यक्ष आर. मुकुंदन ने इस क्षेत्र की वैश्विक स्थिति को आकार देने में व्यापार और प्रौद्योगिकी साझेदारी की भूमिका को रेखांकित किया। मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के माध्यम से खुलने वाले अवसर अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी साझेदारी और व्यापार संबंधों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में सक्षम बनाते हैं।
ये प्रयास ग्राहक विकास को बढ़ावा देते हैं और रसायन उद्योग को एक लचीले, भविष्य के लिए तैयार वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं। अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में सहयोग और साझेदारियां भारत की अगली छलांग को शक्ति प्रदान करेंगी, अनुसंधान एवं विकास और वैश्विक सहयोग के लिए हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेंगी जिससे भारत एक रासायनिक निर्माण महाशक्ति बन जाएगा। सीआईआई भारतीय रसायन एवं पेट्रोरसायन सम्मेलन के अध्यक्ष; स्केल समिति के सदस्य सलिल सिंघल ने उद्योग को समर्थन देने वाले हालिया नीतिगत सुधारों का स्वागत किया। एचएसएन कोड मैपिंग गाइडबुक का अनावरण, सरलीकृत नियामक मार्गों, सुदृढ़ साख और सशक्त एमएसएमई के साथ, एक ऐतिहासिक सुधार का प्रतीक है। ये पहल नीतिगत ढाँचों में स्पष्टता, सटीकता और जवाबदेही लाती हैं, जिससे भारत की विकास गाथा में, विशेष रूप से रासायनिक क्षेत्र में, सार्थक भागीदारी के अवसर पैदा होते हैं।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने में सरकारी पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। विनिर्माण में रासायनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। मेक इन इंडिया के व्यापक दायरे में, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय रसद नीति जैसी पहलों ने रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग को भारत के व्यापक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।