नई दिल्ली, 04 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कपास किसानों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें मांग की है कि हाल ही में जारी वह अधिसूचना तुरंत और बिना शर्त वापस ली जाए, जिसमें कपास पर 11 फीसदी आयात शुल्क खत्म कर दिया गया है। एसकेएम ने यह भी मांग की कि 50 फीसदी तक का आयात शुल्क फिर से लगाया जाए। खुले पत्र में कहा गया है, ‘हम, कपास उत्पादक और इस महान राष्ट्र के धन सृजन में योगदान देने वाले किसान, आपके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा किसानों के साथ किए जा रहे व्यवस्थित विश्वासघात पर अपना गहरा आक्रोश व्यक्त करते हैं।
किसानों ने कहा कि कपास की कीमतें पहले से ही गिर रही हैं और किसान भारी कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। आयात शुल्क समाप्त होने से घरेलू बाजार में कीमत और गिरेगी। साथ ही किसानों की हालत और खराब होगी। 60 लाख किसान परिवारों की आजीविका पर संकट पत्र में आगे कहा गया है कि आयात शुल्क समाप्त होने से देशभर के करीब 60 लाख कपास उत्पादक किसान परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। एसकेएम ने दावा किया कि किसानों की आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पत्र में कहा गया, ‘साल 2025 के पहले तीन महीनों में ही अकेले महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में 767 किसानों ने आत्महत्या की है।
*4.5 लाख से ज्यादा किसान कर चुके आत्महत्या*
किसानों ने बताया कि उत्पादन लागत बढ़ने और फसल का उचित दाम न मिलने की वजह से ये ‘मानव-निर्मित त्रासदियां’ हो रही हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 4.5 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। पत्र में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को केवल एक लाख रुपये की मदद देती है। एसकेएम ने मांग की कि यह मुआवजा राशि तुरंत बढ़ाकर 25 लाख रुपये की जाए और यह प्रावधान 2014 से लागू किया जाए।
*पिछले 10 वर्षों में सीसीआई-नेफेड के जरिये खरीदी गई केवल 13 फीसदी कपास*
किसान संगठन ने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में औसतन केवल 13 फीसदी कपास ही भारतीय कपास निगम (सीसीआई) और नाफेड के जरिये खरीदी गई, जबकि 87 फीसदी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बेचने को मजबूर रहे। एसकेएम का कहना है कि सी2+50 फीसदी फार्मूले के हिसाब से कपास का समर्थन मूल्य 10,075 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। मौजूदा हालात में किसानों को करीब 2,365 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है।
*एसकेएम ने ये उठाई मांगें*
एसकेएम ने मांग की कि 19 अगस्त 2025 की अधिसूचना तुरंत वापस ली जाए, कपास पर 50 फीसदी तक आयात शुल्क लगाया जाए, एमएसपी 10,075 रुपये प्रति क्विंटल तय हो, कपास निगम का पुनर्गठन हो और हर ब्लॉक स्तर पर पर्याप्त खरीद केंद्र खोले जाएं, जहां भुगतान आठ घंटे के भीतर हो। इसके अलावा, किसान मोर्चा ने 2014 से अब तक आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के लिए विशेष राहत पैकेज की भी मांग की। इसमें 25 लाख रुपये का मुआवजा, बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च, परिवार को रोजगार सहायता और मृतक किसान के कर्ज की पूरी माफी शामिल हो।
*मनरेगा में 200 दिन का काम अनिवार्य करने की मांग*
इसके अलावा, किसानों ने कृषि ऋण माफी और माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों पर ब्याज दर 2 फीसदी सालाना की सीमा तय करने की मांग की। खेतीहर मजदूरों और छोटे किसानों के लिए एसकेएम ने मांग की कि मनरेगा में 200 दिन का काम अनिवार्य हो, मजदूरी 600 रुपये प्रति दिन हो और इस योजना को खेती से जोड़ा जाए, ताकि कपास किसानों की उत्पादन लागत कम की जा सके।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।