ब्लूमबर्ग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक भारत ने मार्च 2022 के अंत में ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया. ब्लूमबर्ग ने ये निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के आंकड़ों के आधार पर निकाला है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक इस साल मार्च के अंत में भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर की थी जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी.
ब्लूमबर्ग के अनुमान के मुताबिक अगले कुछ सालों में भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से और भी आगे निकल जाएगा.
भारत ने अगस्त में ही अपनी आज़ादी के 75 साल पूरे किए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को साल 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का इरादा ज़ाहिर किया है.
प्रति व्यक्ति आय में भारत बहुत पीछे
ब्रिटेन की आबादी क़रीब पौने सात करोड़ है और अनुमानों के मुताबिक भारत की आबादी इस समय क़रीब 138 करोड़ है.
विश्लेषक मानते हैं कि भारत का ब्रिटेन से बड़ी अर्थव्यवस्था बनना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है क्योंकि समृद्धि के मामले में भारत अभी भी ब्रिटेन से बीस गुना पीछे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक विश्लेषक एमके वेणु कहते हैं, “अर्थव्यवस्था के कुल साइज के मामले में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ देगा, ये तो होना ही था. मायने ये रखता है कि लोगों की आर्थिक स्थिति क्या है. ब्रिटेन में अभी भी प्रति व्यक्ति आय 45 हज़ार डॉलर से ऊपर है, भारत में अभी भी क़रीब 2 हज़ार डॉलर प्रति वर्ष ही है.”
वेणु कहते हैं, “अगर वास्तविक तुलना करनी है तो प्रति व्यक्ति आय की होनी चाहिए. इस पैमाने पर भारत अभी ब्रिटेन से बहुत पीछे है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत अभी भी सबसे पिछड़े देशों में आता है. ऐसे में ये कहना ग़लत होगा कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत ब्रिटेन से आगे निकल गया है.”
जेएनयू में प्रोफ़ेसर और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ अरुण कुमार कहते हैं, “भारत की आबादी ब्रिटेन से करीब बीस गुना ज़्यादा है. अगर हमारी जीडीपी उनके लगभग बराबर है तो इसका मतलब ये है कि हम प्रति व्यक्ति आय में उनसे बीस गुना पीछे हैं. ऐसे में ब्रिटेन और भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना करना सही नहीं होगा. ये तुलना ही ग़लत है. भारत और ब्रिटेन की जीडीपी की तो तुलना की जा सकती है लेकिन समृद्धि की नहीं. प्रति व्यक्ति आय में हम ब्रिटेन से बहुत पीछे हैं.”