Wednesday, July 30, 2025

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ड्रोन महाशक्ति बनेगा देश सरकार करेगी घरेलू निर्माताओं की मदद

केंद्र सरकार देश में ड्रोन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से घरेलू ड्रोन निर्माताओं के के लिए 1,950 करोड़ रुपये का एक प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू करेगी।

नई दिल्ली, 05 जुलाई 2025 (यूटीएन)। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को और कड़ी टक्कर देने के लिए भारत ने ड्रोन महाशक्ति बनने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार देश में ड्रोन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से घरेलू ड्रोन निर्माताओं के के लिए 1,950 करोड़ रुपये का एक प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में ड्रोन का अत्यधिक इस्तेमाल होने के बाद ड्रोन हथियारों की एक नई दौड़ शुरू हुई है। यह नया प्रोत्साहन कार्यक्रम 2021 में शुरू की गई छोटी पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना से कहीं अधिक बड़ा और व्यापक है। इसका मकसद सिर्फ स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि ड्रोन, उनके कल-पुर्जों, सॉफ्टवेयर, एंटी-ड्रोन सिस्टम और सेवाओं के निर्माण को अगले तीन वर्षों में तेजी देना है।
यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम पहल है। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हाल ही में कहा था, भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान दोनों तरफ से ड्रोन, लोइटरिंग म्यूनिशन्स और कामिकेज ड्रोन का काफी इस्तेमाल हुआ। हमने इससे यह सबक सीखा है कि हमें स्वदेशीकरण के प्रयासों को दोगुना करना होगा ताकि एक बड़ा, प्रभावी, सैन्य ड्रोन निर्माण इकोसिस्टम बनाया जा सके।
वर्तमान में भारत में 600 से अधिक ड्रोन निर्माण और संबंधित कंपनियां हैं। सरकार का यह कदम उन्हें और मजबूत करेगा, जिससे भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर पाएगा, बल्कि वैश्विक ड्रोन बाजार में भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।भारत पहले मुख्य रूप से इस्राइल से सैन्य ड्रोन आयात करता रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में देश में लागत प्रभावी ड्रोन बनाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ी है।
लेकिन मोटर, सेंसर और इमेजिंग सिस्टम जैसे कुछ घटकों के लिए अभी भी चीन पर निर्भरता बनी हुई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2028 तक कम से कम 40% प्रमुख ड्रोन कल-पुर्जे देश में ही बनें। सरकार ने ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उनके कल-पुर्जों पर नहीं। अब सरकार उन निर्माताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन देगी जो देश के भीतर से ही पुर्जे खरीदेंगे। ड्रोन विनिर्माण एवं प्रशिक्षण कंपनी एवीपीएल इंटरनेशनल ने रक्षा ड्रोन के अनुसंधान एवं विकास के लिए 8.5 करोड़ रुपये (करीब 10 लाख डॉलर) के निवेश की घोषणा की है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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ड्रोन महाशक्ति बनेगा देश सरकार करेगी घरेलू निर्माताओं की मदद

केंद्र सरकार देश में ड्रोन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से घरेलू ड्रोन निर्माताओं के के लिए 1,950 करोड़ रुपये का एक प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू करेगी।

नई दिल्ली, 05 जुलाई 2025 (यूटीएन)। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को और कड़ी टक्कर देने के लिए भारत ने ड्रोन महाशक्ति बनने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार देश में ड्रोन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से घरेलू ड्रोन निर्माताओं के के लिए 1,950 करोड़ रुपये का एक प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में ड्रोन का अत्यधिक इस्तेमाल होने के बाद ड्रोन हथियारों की एक नई दौड़ शुरू हुई है। यह नया प्रोत्साहन कार्यक्रम 2021 में शुरू की गई छोटी पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना से कहीं अधिक बड़ा और व्यापक है। इसका मकसद सिर्फ स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि ड्रोन, उनके कल-पुर्जों, सॉफ्टवेयर, एंटी-ड्रोन सिस्टम और सेवाओं के निर्माण को अगले तीन वर्षों में तेजी देना है।
यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम पहल है। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हाल ही में कहा था, भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान दोनों तरफ से ड्रोन, लोइटरिंग म्यूनिशन्स और कामिकेज ड्रोन का काफी इस्तेमाल हुआ। हमने इससे यह सबक सीखा है कि हमें स्वदेशीकरण के प्रयासों को दोगुना करना होगा ताकि एक बड़ा, प्रभावी, सैन्य ड्रोन निर्माण इकोसिस्टम बनाया जा सके।
वर्तमान में भारत में 600 से अधिक ड्रोन निर्माण और संबंधित कंपनियां हैं। सरकार का यह कदम उन्हें और मजबूत करेगा, जिससे भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर पाएगा, बल्कि वैश्विक ड्रोन बाजार में भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।भारत पहले मुख्य रूप से इस्राइल से सैन्य ड्रोन आयात करता रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में देश में लागत प्रभावी ड्रोन बनाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ी है।
लेकिन मोटर, सेंसर और इमेजिंग सिस्टम जैसे कुछ घटकों के लिए अभी भी चीन पर निर्भरता बनी हुई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2028 तक कम से कम 40% प्रमुख ड्रोन कल-पुर्जे देश में ही बनें। सरकार ने ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उनके कल-पुर्जों पर नहीं। अब सरकार उन निर्माताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन देगी जो देश के भीतर से ही पुर्जे खरीदेंगे। ड्रोन विनिर्माण एवं प्रशिक्षण कंपनी एवीपीएल इंटरनेशनल ने रक्षा ड्रोन के अनुसंधान एवं विकास के लिए 8.5 करोड़ रुपये (करीब 10 लाख डॉलर) के निवेश की घोषणा की है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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