नई दिल्ली, 05 जून 2025 (यूटीएन)। देश में आए दिन छात्रों के सुसाइड के मामले बढ़ते जा रहे हैं जो कि अभिभावक के साथ-साथ सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है। लेकिन अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक ठोस कदम उठाया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को रोकने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स(एनपीएफ) बनाई है। यह इस समस्या की जड़ तक जाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाएगी।
*एनटीएफ कैसे करेगा काम?*
एनटीएफ एक्सपर्ट्स की मदद से प्रश्नावली तैयार करेगी। येप्रश्नावली स्कूलों, कोचिंग सेंटर्स, छात्रों, पैरेंट्स, पुलिस और हेल्थ वर्कर्स को भेजे जाएंगे। इसका मकसद छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, आत्महत्या के कारणों, और संस्थानों में मौजूद सुविधाओं के बारे में गहराई से जानकारी जुटाना है। इससे भविष्य में इस समस्या को दूर करने के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी। छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझने के लिए एनटीएफ काउंसलर्स और साइकोलॉजिस्ट्स के साथ मिलकर काम करेगी।
इससे छात्रों की प्रोफाइल, आत्महत्या के कारणों और उनसे संपर्क करने के तरीकों का पता लगाया जा सकेगा। एनटीएफ ने यह भी कहा है कि संस्थानों में काउंसलिंग की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए और फुल-टाइम काउंसलर्स होने चाहिए।
एनटीएफ का अध्यक्ष कौन होगा?
सूत्रों के अनुसार एनटीएफ के अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एस रविंद्र भट हैं। एनटीएफ जल्द ही सभी राज्यों में विस्तृत प्रश्नावली भेजेगी। इससे छात्रों की समस्या को 360 डिग्री के नजरिए से समझा जा सकेगा।
*एनटीएफ ने इस काम के लिए चार मुख्य समूहों को चुना है:*
1. छात्र, पैरेंट्स और वे लोग जो आत्महत्या करने से बच गए।
2. स्कूलों और कोचिंग सेंटर्स के शिक्षक।
3. हेल्थ प्रोफेशनल।
4. पुलिस।
*हर ग्रुप के लिए अलग-अलग प्रश्नावली बनाए जा रही है*
हर ग्रुप के लिए अलग-अलग प्रश्नावली बनाए जा रहे हैं। इससे जो जानकारी मिलेगी, उसे लिंग, जाति, विकलांगता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। शिक्षा मंत्रालय जल्द ही सभी राज्यों के स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन, एआईसीटीई, सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों जैसे संस्थानों को प्रश्नावली भेजेगा। इससे ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सकेगी।
*दिल्ली और बेंगलुरु के कुछ संस्थानों में पायलट स्टडी कराने की तैयारी*
खबर है कि सबसे पहले दिल्ली और बेंगलुरु के कुछ संस्थानों में एक पायलट स्टडी की जा सकती है। एनटीएफ सभी लोगों से मिलने के लिए मौके पर भी जाएगी, खासकर उन जगहों पर जहां आत्महत्या की दर ज्यादा है।
*परेशानी क्या हो सकती है?*
एक चिंता यह भी है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो आत्महत्या से जुड़े आंकड़े तो जुटाता है, लेकिन छात्रों से जुड़े आंकड़े अक्सर कम बताए जाते हैं या गलत तरीके से रिपोर्ट किए जाते हैं। एनटीएफ इस बात का पता लगाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि संस्थानों में ज्यादा पारदर्शिता हो।
*टास्क फोर्स की पहली मीटिंग 25 मार्च को हुई थी*
टास्क फोर्स की पहली मीटिंग 25 मार्च को हुई थी। इसके बाद से कई मीटिंग्स हो चुकी हैं और 3-4 वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं। रिसर्च ग्रुप पुरानी रिपोर्ट्स और रिसर्च को इकट्ठा करेगा और उनका विश्लेषण करेगा। इसके अलावा, यह ग्रुप मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े नियमों को भी देखेगा। फील्ड विजिट्स ग्रुप अलग-अलग लोगों से बातचीत करेगा। डेटा कलेक्शन ग्रुप प्रश्नावली से मिली जानकारी को इकट्ठा करेगा। टास्क फोर्स में शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और कानूनी मामलों के विभाग के सचिव शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें जाने-माने मनोचिकित्सक, क्लीनिकल साइकोलॉजी के एक्सपर्ट्स और सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधि भी हैं।
छात्रों की आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। 2025 में कोचिंग हब कोटा में एक दर्जन से ज्यादा आत्महत्याएं हुई हैं। इसके अलावा, ओडिशा के केआईआईटी में भी कई मामले सामने आए हैं। आत्महत्या के कारण परीक्षा में फेल होने का डर, रिलेशनशिप की समस्याएं और सामाजिक-आर्थिक मुद्दे हैं। एनटीएफ आईआईटी दिल्ली के दो छात्रों के आत्महत्या के मामले को भी देख रही है। यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
*पिछले 10 सालों में आत्महत्या के मामले 4 गुना बढ़ गए*
पिछले दस सालों में आत्महत्या के मामले चार गुना बढ़ गए हैं। एनसीआरबी के 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, 13,000 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की। आत्महत्या करने वालों में लगभग 7.6% छात्र थे। यह संख्या पिछले 8-10 सालों में लगातार बढ़ रही है। यह ट्रेंड सभी राज्यों में देखने को मिल रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, छात्रों द्वारा की गई कुल आत्महत्याओं में से 13.5% महाराष्ट्र में (13,044 में से 1,764 आत्महत्याएं), 10.9% तमिलनाडु में (1,416), 10.3% मध्य प्रदेश में (1,340) और 8.1% उत्तर प्रदेश में (1,060) दर्ज की गईं।
सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई एनपीएफ अब इस समस्या को कम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एनटीएफ का लक्ष्य है कि छात्रों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सहायता मिले और आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सके। इसके लिए सभी संबंधित लोगों से बात की जाएगी और उनकी राय ली जाएगी।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।