Tuesday, July 8, 2025

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आयुष्मान भारत योजना में प्राइवेट अस्पतालों को हो रहा मोहभंग?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा योजना के डैशबोर्ड पर साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि चार महीनों में पूरे भारत में एबी-पीएमजेएवाई के तहत 443 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए थे।

नई दिल्ली, 03 जून 2025 (यूटीएन)। आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना के तहत अस्पतालों की सूची में अप्रैल तक काफी गिरावट आई है। ऐसा लग रहा है कि योजना से अस्पतालों का मोहभंग हो रहा है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि योजना के तहत जुड़ने वाले हॉस्पिटल की संख्या 2024 में औसतन 316 प्रति माह से घटकर 2025 में 111 प्रति माह रह गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा योजना के डैशबोर्ड पर साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि चार महीनों में पूरे भारत में एबी-पीएमजेएवाई के तहत 443 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए थे।
*अस्पतालों का क्यों हो रहा मोहभंग?*
डेटा के अनुसार जनवरी में 161, फरवरी में 187, मार्च में 40 और अप्रैल में 55 अस्पताल जुड़े। लेटेस्ट अपडेट से पता चलता है कि मई में 20 अस्पतालों को लिस्ट किया गया था। कई स्वास्थ्य सेवा संघों का कहना है कि कम पैकेज दरें और देरी से पेमेंट, विशेष रूप से बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल चेन से सरकारी योजनाओं के प्रति उदासीन प्रतिक्रिया के पीछे प्रमुख कारण हैं। हालांकि, एबी-पीएमजेएवाई की कार्यान्वयन एजेंसी एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पैनल बनाने की प्रक्रिया चल रही है और हो सकता है कि कुछ नए पैनल को अपडेट नहीं किया गया हो क्योंकि वे एक नई प्रणाली में ट्रांसफर हो रहे थे। एबी-पीएमजेएवाई, जो पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है।
मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर इलाज), इमरजेंसी केयर, आर्थोपेडिक्स और यूरोलॉजी (गुर्दे से संबंधित बीमारियों) सहित विशेषताओं से जुड़ी लगभग 2,000 प्रक्रियाओं के इलाज के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये और कुछ मामलों में इससे भी अधिक का इलाज प्रदान करता है।
*क्या कह रहे प्राइवेट हॉस्पिटल*
दिल्ली में एक टॉप हॉस्पिटल चेन के सीईओ, जो इस योजना में शामिल होने वाला लेटेस्ट स्टेट है ने बताया कि एबी-पीएमजेएवाई के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए पेश किए जाने वाले पैकेज दरें उनकी इनपुट कॉस्ट से कम थीं। उन्होंने कहा कि यदि पैकेज दरें बढ़ाई जाती हैं तो हम इस योजना में शामिल हो सकते हैं। भारतीय चिकित्सा संघ ने भी योजना के तहत इलाज को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए पैकेज दरों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। आईएमए के एक पदाधिकारी ने कहा कि दरों को कम से कम सीजीएचएस स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए।
*सरकार ने संसद में दी थी जानकारी*
मार्च में संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया था कि 2018 से अब तक 609 प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा था कि अस्पतालों की तरफ से स्वेच्छा से बाहर निकलने के कारणों में सिर्फ कोविड अवधि के लिए पैनल में शामिल होना, अस्पताल बंद या काम नहीं कर रहे थे। इससे अलावा अस्पताल यूनिट में बदलाव, अस्पताल का शिफ्ट होना, पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार, एक्सपर्ट डॉक्टरों की अनुपलब्धता, योजना से स्वैच्छिक वापसी, पैकेज दरें, सिर्फ सरकारी अस्पतालों (छत्तीसगढ़ और गुजरात) के लिए आरक्षित कुछ इलाज पैकेजों के कारण बाहर निकलना और सरकारी अस्पतालों (कर्नाटक) से कोई रेफरल न मिलने के कारण बाहर निकलना शामिल है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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आयुष्मान भारत योजना में प्राइवेट अस्पतालों को हो रहा मोहभंग?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा योजना के डैशबोर्ड पर साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि चार महीनों में पूरे भारत में एबी-पीएमजेएवाई के तहत 443 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए थे।

नई दिल्ली, 03 जून 2025 (यूटीएन)। आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना के तहत अस्पतालों की सूची में अप्रैल तक काफी गिरावट आई है। ऐसा लग रहा है कि योजना से अस्पतालों का मोहभंग हो रहा है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि योजना के तहत जुड़ने वाले हॉस्पिटल की संख्या 2024 में औसतन 316 प्रति माह से घटकर 2025 में 111 प्रति माह रह गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा योजना के डैशबोर्ड पर साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि चार महीनों में पूरे भारत में एबी-पीएमजेएवाई के तहत 443 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए थे।
*अस्पतालों का क्यों हो रहा मोहभंग?*
डेटा के अनुसार जनवरी में 161, फरवरी में 187, मार्च में 40 और अप्रैल में 55 अस्पताल जुड़े। लेटेस्ट अपडेट से पता चलता है कि मई में 20 अस्पतालों को लिस्ट किया गया था। कई स्वास्थ्य सेवा संघों का कहना है कि कम पैकेज दरें और देरी से पेमेंट, विशेष रूप से बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल चेन से सरकारी योजनाओं के प्रति उदासीन प्रतिक्रिया के पीछे प्रमुख कारण हैं। हालांकि, एबी-पीएमजेएवाई की कार्यान्वयन एजेंसी एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पैनल बनाने की प्रक्रिया चल रही है और हो सकता है कि कुछ नए पैनल को अपडेट नहीं किया गया हो क्योंकि वे एक नई प्रणाली में ट्रांसफर हो रहे थे। एबी-पीएमजेएवाई, जो पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है।
मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर इलाज), इमरजेंसी केयर, आर्थोपेडिक्स और यूरोलॉजी (गुर्दे से संबंधित बीमारियों) सहित विशेषताओं से जुड़ी लगभग 2,000 प्रक्रियाओं के इलाज के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये और कुछ मामलों में इससे भी अधिक का इलाज प्रदान करता है।
*क्या कह रहे प्राइवेट हॉस्पिटल*
दिल्ली में एक टॉप हॉस्पिटल चेन के सीईओ, जो इस योजना में शामिल होने वाला लेटेस्ट स्टेट है ने बताया कि एबी-पीएमजेएवाई के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए पेश किए जाने वाले पैकेज दरें उनकी इनपुट कॉस्ट से कम थीं। उन्होंने कहा कि यदि पैकेज दरें बढ़ाई जाती हैं तो हम इस योजना में शामिल हो सकते हैं। भारतीय चिकित्सा संघ ने भी योजना के तहत इलाज को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए पैकेज दरों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। आईएमए के एक पदाधिकारी ने कहा कि दरों को कम से कम सीजीएचएस स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए।
*सरकार ने संसद में दी थी जानकारी*
मार्च में संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया था कि 2018 से अब तक 609 प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा था कि अस्पतालों की तरफ से स्वेच्छा से बाहर निकलने के कारणों में सिर्फ कोविड अवधि के लिए पैनल में शामिल होना, अस्पताल बंद या काम नहीं कर रहे थे। इससे अलावा अस्पताल यूनिट में बदलाव, अस्पताल का शिफ्ट होना, पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार, एक्सपर्ट डॉक्टरों की अनुपलब्धता, योजना से स्वैच्छिक वापसी, पैकेज दरें, सिर्फ सरकारी अस्पतालों (छत्तीसगढ़ और गुजरात) के लिए आरक्षित कुछ इलाज पैकेजों के कारण बाहर निकलना और सरकारी अस्पतालों (कर्नाटक) से कोई रेफरल न मिलने के कारण बाहर निकलना शामिल है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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