Sunday, June 29, 2025

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भारत में पुराने दर्द के इलाज का कोई ठोस सिस्टम न होने के कारण हर साल 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी आजकल दर्द की शिकायतें तेज़ी से बढ़ रही हैं  बैठे-बैठे रहने की आदतें और बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण हैं, लेकिन समस्या ये है कि एक ही जगह ऐसा सिस्टम नहीं मिलता जहां डायग्नोसिस से लेकर रिकवरी तक सब कुछ हो।

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। आज भारत में पुराने दर्द की बीमारी को जितना गंभीर समझना चाहिए, उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा। करीब 19.3% भारतीय वयस्कों को यह परेशानी है यानी लगभग 20 करोड़ लोग। यह आंकड़ा डायबिटीज और हार्ट की बीमारी से भी ज़्यादा है। फिर भी, लोग सिर्फ दर्द के लक्षण दबाते हैं, असली बीमारी नहीं पहचानते। पुराना दर्द सिर्फ शरीर की तकलीफ नहीं है। इससे चलना-फिरना, काम करना, रिश्ते निभाना और मानसिक स्वास्थ्य – सब कुछ प्रभावित होता है। हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ इस वजह से हो रहा है कि लोग ठीक से काम नहीं कर पाते या इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं।
डॉ. नवीन तलवार,मेडिकल डायरेक्टर निवान केयर , कहते हैं,”दर्द को सिर्फ चुप नहीं कराना है। यह एक मेडिकल कंडीशन है, और इसका सही इलाज होना जरूरी है। हमारे यहां हर मरीज की जांच पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर करते हैं जो पेन मैनेजमेंट में स्पेशलिस्ट हैं। हम कोई भी इलाज बिना वजह नहीं करते  हर कदम साइंटिफिक प्रोटोकॉल के हिसाब से होता है।” कई मरीज तो महीनों या सालों तक इधर-उधर घूमते रहते हैं किसी ने दवा दी, किसी ने फिजियोथेरेपी, किसी ने ऑपरेशन की सलाह दी  लेकिन दर्द वहीं का वहीं। सही डायग्नोसिस और फॉलो-अप की कमी से हालत और बिगड़ जाती है। निवान केयर के फाउंडर और सीईओ निवेश खंडेलवाल कहते हैं, हमने निवान इसलिए शुरू किया ताकि लोगों को बार-बार अधूरे इलाज से ना गुजरना पड़े।
हम रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन और इमेज-गाइडेड नर्व ब्लॉक्स जैसे एडवांस्ड ट्रीटमेंट करते हैं। जोड़ों की खराबी (जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस) में हम प्लेटलेट रिच प्लाज्मा जैसे रीजनरेटिव ट्रीटमेंट भी देते हैं। हमारा इलाज कोई ट्रायल एंड एरर नहीं है यह प्लान के साथ, डॉक्टरों की देखरेख में, पूरा कोऑर्डिनेटेड सिस्टम है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी आजकल दर्द की शिकायतें तेज़ी से बढ़ रही हैं  बैठे-बैठे रहने की आदतें और बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण हैं। लेकिन समस्या ये है कि एक ही जगह ऐसा सिस्टम नहीं मिलता जहां डायग्नोसिस से लेकर रिकवरी तक सब कुछ हो।
डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, हेड क्लिनिकल डेवलपमेंट, निवान केयर,बताती हैं कि “हमारे यहां मरीज को एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास नहीं भेजा जाता। हमारे पेन स्पेशलिस्ट हर चीज़ को देख रहे होते हैं  चाहे वो प्रोसिजर हो, फिजियोथेरेपी, डाइट या काउंसलिंग। और हम तब तक साथ रहते हैं, जब तक मरीज पूरी तरह दर्द से आज़ाद न हो जाए। अब निवान केयर भारत की हेल्थ पॉलिसी में भी पुराने दर्द की बीमारी को जगह दिलाने की कोशिश कर रहा है। हम अस्पतालों, बीमा कंपनियों और डॉक्टर्स के साथ मिलकर यह दिखा रहे हैं कि पेन मैनेजमेंट भी एक अलग स्पेशलिटी है  जिसका इलाज भी उसी तरह सीरियस और साइंटिफिक होना चाहिए।
निवान केयर के को-फाउंडर विश्वास सिंह कहते हैं, हमने निवान एक सोच के साथ शुरू किया था – कि कोई भी इंसान दर्द में अपनी ज़िंदगी ना गुज़ारे। हमें छोटे-छोटे इलाज नहीं, एक ऐसा सिस्टम चाहिए जो दर्द को समझे, देखभाल करे और मरीज की ज़िंदगी बदले। यही हमारा सपना है, और हम हर मरीज के साथ मिलकर इसे पूरा कर रहे हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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भारत में पुराने दर्द के इलाज का कोई ठोस सिस्टम न होने के कारण हर साल 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी आजकल दर्द की शिकायतें तेज़ी से बढ़ रही हैं  बैठे-बैठे रहने की आदतें और बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण हैं, लेकिन समस्या ये है कि एक ही जगह ऐसा सिस्टम नहीं मिलता जहां डायग्नोसिस से लेकर रिकवरी तक सब कुछ हो।

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। आज भारत में पुराने दर्द की बीमारी को जितना गंभीर समझना चाहिए, उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा। करीब 19.3% भारतीय वयस्कों को यह परेशानी है यानी लगभग 20 करोड़ लोग। यह आंकड़ा डायबिटीज और हार्ट की बीमारी से भी ज़्यादा है। फिर भी, लोग सिर्फ दर्द के लक्षण दबाते हैं, असली बीमारी नहीं पहचानते। पुराना दर्द सिर्फ शरीर की तकलीफ नहीं है। इससे चलना-फिरना, काम करना, रिश्ते निभाना और मानसिक स्वास्थ्य – सब कुछ प्रभावित होता है। हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ इस वजह से हो रहा है कि लोग ठीक से काम नहीं कर पाते या इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं।
डॉ. नवीन तलवार,मेडिकल डायरेक्टर निवान केयर , कहते हैं,”दर्द को सिर्फ चुप नहीं कराना है। यह एक मेडिकल कंडीशन है, और इसका सही इलाज होना जरूरी है। हमारे यहां हर मरीज की जांच पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर करते हैं जो पेन मैनेजमेंट में स्पेशलिस्ट हैं। हम कोई भी इलाज बिना वजह नहीं करते  हर कदम साइंटिफिक प्रोटोकॉल के हिसाब से होता है।” कई मरीज तो महीनों या सालों तक इधर-उधर घूमते रहते हैं किसी ने दवा दी, किसी ने फिजियोथेरेपी, किसी ने ऑपरेशन की सलाह दी  लेकिन दर्द वहीं का वहीं। सही डायग्नोसिस और फॉलो-अप की कमी से हालत और बिगड़ जाती है। निवान केयर के फाउंडर और सीईओ निवेश खंडेलवाल कहते हैं, हमने निवान इसलिए शुरू किया ताकि लोगों को बार-बार अधूरे इलाज से ना गुजरना पड़े।
हम रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन और इमेज-गाइडेड नर्व ब्लॉक्स जैसे एडवांस्ड ट्रीटमेंट करते हैं। जोड़ों की खराबी (जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस) में हम प्लेटलेट रिच प्लाज्मा जैसे रीजनरेटिव ट्रीटमेंट भी देते हैं। हमारा इलाज कोई ट्रायल एंड एरर नहीं है यह प्लान के साथ, डॉक्टरों की देखरेख में, पूरा कोऑर्डिनेटेड सिस्टम है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी आजकल दर्द की शिकायतें तेज़ी से बढ़ रही हैं  बैठे-बैठे रहने की आदतें और बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण हैं। लेकिन समस्या ये है कि एक ही जगह ऐसा सिस्टम नहीं मिलता जहां डायग्नोसिस से लेकर रिकवरी तक सब कुछ हो।
डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, हेड क्लिनिकल डेवलपमेंट, निवान केयर,बताती हैं कि “हमारे यहां मरीज को एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास नहीं भेजा जाता। हमारे पेन स्पेशलिस्ट हर चीज़ को देख रहे होते हैं  चाहे वो प्रोसिजर हो, फिजियोथेरेपी, डाइट या काउंसलिंग। और हम तब तक साथ रहते हैं, जब तक मरीज पूरी तरह दर्द से आज़ाद न हो जाए। अब निवान केयर भारत की हेल्थ पॉलिसी में भी पुराने दर्द की बीमारी को जगह दिलाने की कोशिश कर रहा है। हम अस्पतालों, बीमा कंपनियों और डॉक्टर्स के साथ मिलकर यह दिखा रहे हैं कि पेन मैनेजमेंट भी एक अलग स्पेशलिटी है  जिसका इलाज भी उसी तरह सीरियस और साइंटिफिक होना चाहिए।
निवान केयर के को-फाउंडर विश्वास सिंह कहते हैं, हमने निवान एक सोच के साथ शुरू किया था – कि कोई भी इंसान दर्द में अपनी ज़िंदगी ना गुज़ारे। हमें छोटे-छोटे इलाज नहीं, एक ऐसा सिस्टम चाहिए जो दर्द को समझे, देखभाल करे और मरीज की ज़िंदगी बदले। यही हमारा सपना है, और हम हर मरीज के साथ मिलकर इसे पूरा कर रहे हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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