Sunday, June 29, 2025

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दिल्ली एम्स का हृदय रोग पर महत्वपूर्ण अध्ययन, गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव संभव

गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में एक गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने और सांस लेने में तकलीफ होने पर आपात स्थिति में उसके पेसमेकर की बैटरी बदलनी पड़ी, सभी गर्भस्थ शिशुओं की इकोकार्डियोग्राफी जांच की गई, जो सामान्य पाई गई।

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज (सीएचबी) होने पर दिल की धड़कन धीमी हो जाती है। इस स्थिति में महिलाओं के लिए प्रसव जोखिम भरा हो सकता है। इस बीच एम्स के गायनोकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि अगर अस्पताल में गायनोकोलॉजी और एनेस्थीसिया डॉक्टर के अलावा कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट भी हो तो जन्मजात सीएचबी की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो सकता है और बच्चे भी काफी हद तक स्वस्थ पैदा हो सकते हैं।
एम्स ने जन्मजात सीएचबी से पीड़ित 10 गर्भवती महिलाओं पर यह अध्ययन किया। एम्स में 12 सुरक्षित प्रसव कराए गए। इनमें हृदय में पेसमेकर लगी गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं। एम्स के डॉक्टरों का यह अध्ययन पिछले दिनों मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। स्त्री रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा वत्स ने बताया कि सात महिलाओं को गर्भावस्था से पहले ही पता था कि उन्हें यह हृदय रोग है। तीन (30 फीसदी) गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान इस बीमारी का पता चला। इनमें से दो महिलाओं में कोई विशेष लक्षण नहीं थे। ईसीजी जांच में इस बीमारी का पता चला। गर्भावस्था के दौरान सीएचबी बीमारी बहुत दुर्लभ है। इस तरह की समस्या 22 हजार में से एक मामले में होती है। यह बीमारी जन्मजात होती है या किसी अन्य बीमारी के कारण होती है।
सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम लक्षण बेहोशी था। सीएचबी से पीड़ित सात गर्भवती महिलाओं (70%) में यह लक्षण देखा गया। छह महिलाओं को गर्भावस्था से पहले पेसमेकर लगाया गया था। इनमें से तीन महिलाओं को तीन, आठ और नौ साल की उम्र में बचपन में पेसमेकर लगाया गया था। चार महिलाओं को गर्भावस्था से पहले पेसमेकर नहीं लगाया गया था। इनमें से दो महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पेसमेकर लगाना पड़ा। अन्य दो गर्भवती महिलाओं को पेसमेकर नहीं लगाया गया था। गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में एक गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने और सांस लेने में तकलीफ होने पर आपात स्थिति में उसके पेसमेकर की बैटरी बदलनी पड़ी। सभी गर्भस्थ शिशुओं की इकोकार्डियोग्राफी जांच की गई, जो सामान्य पाई गई।
डॉ. ऋचा ने बताया कि सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का 24 सामान्य गर्भवती महिलाओं से तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया। इसमें देखा गया कि सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के 75 फीसदी प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से हुए। 25 फीसदी प्रसव सामान्य रहे। जबकि दूसरी श्रेणी की 37.5 फीसदी गर्भवती महिलाओं के प्रसव सर्जरी से हुए। सीएचबी से पीड़ित माताओं के नवजात शिशुओं का औसत वजन करीब ढाई किलोग्राम (2.443 किलोग्राम) और सामान्य माताओं के नवजात शिशुओं का औसत वजन 3.167 किलोग्राम था। ऐसे में सीएचबी से पीड़ित माताओं के शिशुओं का औसत वजन सामान्य माताओं के शिशुओं से कम था। जन्म के समय नवजात शिशुओं का सामान्य वजन ढाई से साढ़े तीन किलोग्राम के बीच माना जाता है। दोनों श्रेणियों में समय से पहले प्रसव 16.6 फीसदी रहा।
*सम्पूर्ण हृदय ब्लॉकेज रोग क्या है?
डॉक्टरों का कहना है कि एक सामान्य व्यक्ति की हृदय गति 60 से 100 के बीच होती है। जब हृदय पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है, तो हृदय की विद्युत चालन प्रणाली प्रभावित होती है। इसके कारण हृदय के ऊपरी कक्ष, एट्रियम से विद्युत संकेत निलय तक नहीं पहुंच पाते। इससे हृदय की धड़कन कम हो जाती है। इसके कारण हृदय से रक्त ठीक से पंप नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में हृदय में पेसमेकर लगाना पड़ता है।
*अध्ययन में दिए गए सुझाव*
अगर गर्भावस्था के दौरान बार-बार बेहोशी आ रही है, तो यह सीएचबी का लक्षण हो सकता है।
सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम में स्त्री रोग के अलावा कार्डियोलॉजी के डॉक्टर भी शामिल होने चाहिए और आपातकालीन पेसमेकर प्रत्यारोपण की सुविधा होनी चाहिए। अगर पेसमेकर पहले से ही प्रत्यारोपित है, तो गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले यह मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान पेसमेकर की बैटरी बदलने की जरूरत पड़ेगी या नहीं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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दिल्ली एम्स का हृदय रोग पर महत्वपूर्ण अध्ययन, गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव संभव

गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में एक गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने और सांस लेने में तकलीफ होने पर आपात स्थिति में उसके पेसमेकर की बैटरी बदलनी पड़ी, सभी गर्भस्थ शिशुओं की इकोकार्डियोग्राफी जांच की गई, जो सामान्य पाई गई।

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज (सीएचबी) होने पर दिल की धड़कन धीमी हो जाती है। इस स्थिति में महिलाओं के लिए प्रसव जोखिम भरा हो सकता है। इस बीच एम्स के गायनोकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि अगर अस्पताल में गायनोकोलॉजी और एनेस्थीसिया डॉक्टर के अलावा कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट भी हो तो जन्मजात सीएचबी की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो सकता है और बच्चे भी काफी हद तक स्वस्थ पैदा हो सकते हैं।
एम्स ने जन्मजात सीएचबी से पीड़ित 10 गर्भवती महिलाओं पर यह अध्ययन किया। एम्स में 12 सुरक्षित प्रसव कराए गए। इनमें हृदय में पेसमेकर लगी गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं। एम्स के डॉक्टरों का यह अध्ययन पिछले दिनों मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। स्त्री रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा वत्स ने बताया कि सात महिलाओं को गर्भावस्था से पहले ही पता था कि उन्हें यह हृदय रोग है। तीन (30 फीसदी) गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान इस बीमारी का पता चला। इनमें से दो महिलाओं में कोई विशेष लक्षण नहीं थे। ईसीजी जांच में इस बीमारी का पता चला। गर्भावस्था के दौरान सीएचबी बीमारी बहुत दुर्लभ है। इस तरह की समस्या 22 हजार में से एक मामले में होती है। यह बीमारी जन्मजात होती है या किसी अन्य बीमारी के कारण होती है।
सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम लक्षण बेहोशी था। सीएचबी से पीड़ित सात गर्भवती महिलाओं (70%) में यह लक्षण देखा गया। छह महिलाओं को गर्भावस्था से पहले पेसमेकर लगाया गया था। इनमें से तीन महिलाओं को तीन, आठ और नौ साल की उम्र में बचपन में पेसमेकर लगाया गया था। चार महिलाओं को गर्भावस्था से पहले पेसमेकर नहीं लगाया गया था। इनमें से दो महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पेसमेकर लगाना पड़ा। अन्य दो गर्भवती महिलाओं को पेसमेकर नहीं लगाया गया था। गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में एक गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने और सांस लेने में तकलीफ होने पर आपात स्थिति में उसके पेसमेकर की बैटरी बदलनी पड़ी। सभी गर्भस्थ शिशुओं की इकोकार्डियोग्राफी जांच की गई, जो सामान्य पाई गई।
डॉ. ऋचा ने बताया कि सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का 24 सामान्य गर्भवती महिलाओं से तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया। इसमें देखा गया कि सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के 75 फीसदी प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से हुए। 25 फीसदी प्रसव सामान्य रहे। जबकि दूसरी श्रेणी की 37.5 फीसदी गर्भवती महिलाओं के प्रसव सर्जरी से हुए। सीएचबी से पीड़ित माताओं के नवजात शिशुओं का औसत वजन करीब ढाई किलोग्राम (2.443 किलोग्राम) और सामान्य माताओं के नवजात शिशुओं का औसत वजन 3.167 किलोग्राम था। ऐसे में सीएचबी से पीड़ित माताओं के शिशुओं का औसत वजन सामान्य माताओं के शिशुओं से कम था। जन्म के समय नवजात शिशुओं का सामान्य वजन ढाई से साढ़े तीन किलोग्राम के बीच माना जाता है। दोनों श्रेणियों में समय से पहले प्रसव 16.6 फीसदी रहा।
*सम्पूर्ण हृदय ब्लॉकेज रोग क्या है?
डॉक्टरों का कहना है कि एक सामान्य व्यक्ति की हृदय गति 60 से 100 के बीच होती है। जब हृदय पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है, तो हृदय की विद्युत चालन प्रणाली प्रभावित होती है। इसके कारण हृदय के ऊपरी कक्ष, एट्रियम से विद्युत संकेत निलय तक नहीं पहुंच पाते। इससे हृदय की धड़कन कम हो जाती है। इसके कारण हृदय से रक्त ठीक से पंप नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में हृदय में पेसमेकर लगाना पड़ता है।
*अध्ययन में दिए गए सुझाव*
अगर गर्भावस्था के दौरान बार-बार बेहोशी आ रही है, तो यह सीएचबी का लक्षण हो सकता है।
सीएचबी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम में स्त्री रोग के अलावा कार्डियोलॉजी के डॉक्टर भी शामिल होने चाहिए और आपातकालीन पेसमेकर प्रत्यारोपण की सुविधा होनी चाहिए। अगर पेसमेकर पहले से ही प्रत्यारोपित है, तो गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले यह मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान पेसमेकर की बैटरी बदलने की जरूरत पड़ेगी या नहीं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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