नई दिल्ली, 01 अप्रैल 2025 (यूटीएन)। दिल्ली में अभी मेट्रो के काम तेजी से चल रहा है। तीन प्रायोरिटी कॉरिडोर पर 60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जबकि तीन अन्य कॉरिडोर पर भी काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। दिल्ली-एनसीआर में अभी मेट्रो नेटवर्क 395 किमी लंबा है, जिसके तहत 12 लाइनों पर 289 मेट्रो स्टेशन बने हुए हैं। के बाद मेट्रो नेटवर्क में 6 नई लाइनें और जुड़ जाएंगी और उसका दायरा भी 110 किमी और बढ़ जाएगा, जिसमें 83 नए स्टेशन भी जुड़ जाएंगे। मुख्य रूप से दिल्ली और एनसीआर के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। यही वजह है कि इन 15 में से 5 कॉरिडोर ऐसे हैं,जो दिल्ली को एनसीआर के विभिन्न इलाकों के साथ कनेक्ट करेंगे। इनमें से 3 कॉरिडोर दिल्ली और हरियाणा सरकार के सहयोग से और दो कॉरिडोर दिल्ली और यूपी सरकार के सहयोग से बनाए जाएंगे। 5 कॉरिडोर पूरी तरह से दिल्ली में, 3 यूपी में और 2 हरियाणा में बनाने का प्रस्ताव है।
इन प्रस्तावित 18 कॉरिडोर में से केवल 4 पूरी तरह नए कॉरिडोर होंगे। इनमें मायापुरी से कश्मीरी गेट, सीजीओ कॉम्प्लेक्स से सूर्य विहार फरीदाबाद, मयूर विहार से लोनी बॉर्डर और नजफगढ़-नांगलोई मेट्रो कॉरिडोर शामिल हैं। बाकी के 14 कॉरिडोर मेट्रो की मौजूदा लाइनों के एक्सटेंशन के तहत ही बनाए जाएंगे। इनमें से कुछ परियोजनाओं के लिए डीपीआर सबमिट की जा चुकी है, जबकि कुछ लाइनों को और एक्सटेंड करने के लिए नई डीपीआर बनाई जा रही है। इन कॉरिडोर को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि जिससे मेट्रो की मौजूदा लाइनों पर भीड़भाड़ को और कम किया जा सके। पहले चरण में प्राथमिकता के आधार पर तीन प्रमुख कॉरिडोर के लिए मंजूरी मांगी है।
इनमें सबसे अहम है इंद्रप्रस्थ से रामकृष्ण आश्रम के बीच साढ़े 9 किमी लंबा सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर है, जो इंडिया गेट, कर्तव्य पथ, राष्ट्रपति भवन, नए प्रधानमंत्री कार्यालय समेत आस-पास के इलाके में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाए जा रहे केंद्र सरकार के तमाम बड़े मंत्रालयों के दफ्तरों को कनेक्टिविटी देगा। यह कॉरिडोर पूरा अंडरग्राउंड होगा। डीएमआरसी ने इसी साल फरवरी में इसकी डीपीआर भी सरकार को जमा कर दी है। एयरपोर्ट के विभिन्न टर्मिनल्स के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए डीएमआरसी ने प्राथमिकता के आधार पर एयरोसिटी और आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 के बीच 2.3 किमी लंबे अंडरग्राउंड कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा है।
इसकी डीपीआर पिछले साल फरवरी में ही दिल्ली सरकार के पास जमा की जा चुकी है। इस पर केवल एक अंडरग्राउंड स्टेशन बनेगा। तीसरा महत्वपूर्ण कॉरिडोर तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज तक का है, जो साउथ दिल्ली और नोएडा के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाएगा। इसके लिए 4 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है। इसमें तीन स्टेशन बनेंगे। प्रोजेक्ट की डीपीआर पिछले साल दिसंबर में जमा की गई है।
इसके लिए डीएमआरसी की ओर से एक प्रस्ताव केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को भेजा गया है, जिसमें 206.5 किमी लंबे 18 नए मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। इनमें से कुछ कॉरिडोर की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) भी सबमिट की जा चुकी है। वहीं बाकी के कॉरिडोर के लिए व्यापक मोबिलिटी प्लान और डीपीआर बनाने, फिजिबिलिटी स्टडी और रिसर्च करने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता मांगी गई है।
अधिकारियों ने यह साफ कर दिया है कि अभी मेट्रो की परियोजना शुरुआती स्टेज पर ही है और इन प्रस्तावित कॉरिडोर को औपचारिक मंजूरी मिलना बाकी है। हो सकता है कि केंद्र और राज्य सरकारों से बातचीत और वित्तीय मंजूरी की प्रक्रिया के दौरान इनके रूट या डिजाइन में कुछ बदलाव भी करना पड़े। ऐसे में इन कॉरिडोर की अंतिम सूरत क्या होगी, यह परियोजना को औपचारिक मंजूरी मिलने के बाद ही साफ हो पाएगा।