Thursday, April 24, 2025

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डॉनल्ड ट्रंप – ”भारत को टैरिफ से छूट देने पर अब भी चुप्पी साधे हैं

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार रहा है, 2019 में ट्रंप ने भारत को अमेरिका के जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस यानी व्यापार की वरीयता सूची से हटाया था, जिससे भारत को सस्ते निर्यात से होने वाले फायदे पर असर पड़ा था.

नई दिल्ली, 01 अप्रैल 2025 (यूटीएन)। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की बातचीत बहुत अहम थी. नीति निर्माताओं और बहुत से कारोबारियों का ध्यान इस ओर लगा हुआ था. दरअसल भारत पर इन टैरिफों के लागू होते ही, भारत के लिए अमेरिका से कारोबार की शर्तें कठिन हो जाएंगी. अमेरिका और भारत के बीच होने वाले कपड़ा, दवाओं, गाड़ियों और आईटी सेवाओं के कारोबार पर इसका काफी बुरा असर होगा. भारत के साथ कारोबार में अमेरिका को काफी कारोबारी घाटा होता है. डॉनल्ड ट्रंप इस कारोबारी घाटे को कम करने के लिए ये टैरिफ लगाना चाहते हैं.

भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से शनिवार देर रात बताया गया कि सितंबर, 2025 तक ट्रेड डील के पहले हिस्से को पूरा करने पर अमेरिका के साथ सहमति बन गई है. इस बातचीत के लिए अमेरिका से एक दल नई दिल्ली आया हुआ था. दोनों पक्षों के बीच मार्केट तक पहुंच सुनिश्चित करने, टैरिफ कम करने, और सप्लाई चेन मजबूत करने पर चर्चा हुई. लेकिन सामने आई जानकारी में 2 अप्रैल यानी बुधवार से लागू होने जा रहे रेसिप्रोकल टैरिफों पर राहत का कोई सहारा नहीं मिला है. डॉनल्ड ट्रंप भारत को “सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश” कह चुके हैं. 2024 में भारत और अमेरिका के बीच 120 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कारोबार हुआ था.

इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 36 बिलियन डॉलर था. भारत और अमेरिका के टैरिफ लागू होने की तारीख नजदीक है लेकिन इस मामले में अब तक कुछ साफ नहीं किया गया है. इस बात से भारत में कारोबारी काफी चिंतित हैं. अगर अमेरिका भारत को छूट नहीं देता तो भारत के पास क्या विकल्प होंगे?भारत और अमेरिका ने तय किया है कि वे इस साल के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के एक हिस्से पर हस्ताक्षर कर लेंगे. हालांकि, इस जानकारी के साथ यह नहीं बताया गया है कि इससे भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से प्रस्तावित रेसिप्रोकल टैरिफों यानी ‘जैसे को तैसा‘ टैरिफों के मामले में कुछ छूट मिलेगी या नहीं. ट्रंप ने इन टैरिफों को 2 अप्रैल, 2025 से लागू करने की बात कही है. यानी इसके बाद अमेरिका भारत से किसी खास सामान के आयात पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना भारत उस सामान के अमेरिका से आयात पर लगाता है.

भारत ने पिछले दो महीनों में हाई-एंड मोटरसाइकिलों और बरबन व्हिस्की पर टैरिफ घटाए हैं ताकि ट्रंप की ओर से लगाए गए कड़े प्रतिबंधों में थोड़ी छूट मिल सके. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप को रिझाने के लिए भारत की ओर से अमेरिका की ऑनलाइन सर्विसेज, गाड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक्स, और मेडिकल सेवाओं पर भी टैरिफ कम किया जा सकता है. कुछ दिन पहले डॉनल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि “भारत के साथ सब ठीक हो जाएगा”. हालांकि उन्होंने इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं दी थी. इसके अलावा उन्होंने कुछ देशों को टैरिफ में राहत देने का इशारा भी किया था. हालांकि इस संदर्भ में भी अधिक जानकारी नहीं दी थी.

ऐसे में भारत के साथ व्यापार की ये बातचीत काफी अहम है क्योंकि ये ट्रंप के टैरिफ लागू होने से ठीक पहले हुई है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि इन टैरिफ की वजह से अगले वित्त वर्ष में भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात 7.3 मिलियन डॉलर कम रहेगा. रेसिप्रोकल टैरिफ के अलावा डॉनल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर भी 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया है. ये टैरिफ भी भारत को नुकसान पहुंच जाएगा क्योंकि भारत, वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीद रहा है.

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार रहा है. 2019 में ट्रंप ने भारत को अमेरिका के जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस यानी व्यापार की वरीयता सूची से हटाया था जिससे भारत को सस्ते निर्यात से होने वाले फायदे पर असर पड़ा था. हालांकि इसके जवाब में भारत ने भी अमेरिका के बादामों और स्टील पर टैरिफ बढ़ाए थे.

*भारत के सामने अमेरिका से इतर देखने की चुनौती*
डॉनल्ड ट्रंप का अमेरिका फर्स्ट एजेंडा फिर से भारत के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहा है. टैरिफ वॉर सिर्फ भारत को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा. डॉनल्ड ट्रंप ने चीन पर भी भारी टैरिफ लग रहे हैं. इन टैरिफ के चलते भारत में मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों पर असर पड़ सकता है, खासकर छोटे और उद्योगों के मामले में. भारत मेडिकल उपकरणों, कपड़े, और आईटी सेवाओं के मामले में समझौता चाहता है. अगर दोनों देशों के बीच सितंबर 2025 तक डील हो जाती है, तो भारतीय व्यापारियों को कुछ राहत की उम्मीद है. हालांकि, 2 अप्रैल से पहले कोई राहत मिलने के आसार कम ही हैं.

इस सारी उठापटक के बीच जानकारों यही मान रहे हैं कि भारत को अपने सामान के निर्यात में विविधता लानी होगी. भारत को आसियान और अफ्रीका के देशों के साथ व्यापार को और मजबूत करना होगा. भारत के लिए व्यापार में मुनाफे अर्थव्यवस्था की तरक्की बनाए रखने के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील जरूरी है पर ट्रंप का फोकस अमेरिकी नौकरियों और अमेरिका की तरक्की पर है. ऐसे में भारत को नए उद्योग और उनके लिए नए बाजार तैयार करने होंगे वरना उस पर अमेरिकी टैरिफ की मार काफी भारी पड़ेगी.  

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डॉनल्ड ट्रंप – ”भारत को टैरिफ से छूट देने पर अब भी चुप्पी साधे हैं

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार रहा है, 2019 में ट्रंप ने भारत को अमेरिका के जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस यानी व्यापार की वरीयता सूची से हटाया था, जिससे भारत को सस्ते निर्यात से होने वाले फायदे पर असर पड़ा था.

नई दिल्ली, 01 अप्रैल 2025 (यूटीएन)। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की बातचीत बहुत अहम थी. नीति निर्माताओं और बहुत से कारोबारियों का ध्यान इस ओर लगा हुआ था. दरअसल भारत पर इन टैरिफों के लागू होते ही, भारत के लिए अमेरिका से कारोबार की शर्तें कठिन हो जाएंगी. अमेरिका और भारत के बीच होने वाले कपड़ा, दवाओं, गाड़ियों और आईटी सेवाओं के कारोबार पर इसका काफी बुरा असर होगा. भारत के साथ कारोबार में अमेरिका को काफी कारोबारी घाटा होता है. डॉनल्ड ट्रंप इस कारोबारी घाटे को कम करने के लिए ये टैरिफ लगाना चाहते हैं.

भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से शनिवार देर रात बताया गया कि सितंबर, 2025 तक ट्रेड डील के पहले हिस्से को पूरा करने पर अमेरिका के साथ सहमति बन गई है. इस बातचीत के लिए अमेरिका से एक दल नई दिल्ली आया हुआ था. दोनों पक्षों के बीच मार्केट तक पहुंच सुनिश्चित करने, टैरिफ कम करने, और सप्लाई चेन मजबूत करने पर चर्चा हुई. लेकिन सामने आई जानकारी में 2 अप्रैल यानी बुधवार से लागू होने जा रहे रेसिप्रोकल टैरिफों पर राहत का कोई सहारा नहीं मिला है. डॉनल्ड ट्रंप भारत को “सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश” कह चुके हैं. 2024 में भारत और अमेरिका के बीच 120 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कारोबार हुआ था.

इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 36 बिलियन डॉलर था. भारत और अमेरिका के टैरिफ लागू होने की तारीख नजदीक है लेकिन इस मामले में अब तक कुछ साफ नहीं किया गया है. इस बात से भारत में कारोबारी काफी चिंतित हैं. अगर अमेरिका भारत को छूट नहीं देता तो भारत के पास क्या विकल्प होंगे?भारत और अमेरिका ने तय किया है कि वे इस साल के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के एक हिस्से पर हस्ताक्षर कर लेंगे. हालांकि, इस जानकारी के साथ यह नहीं बताया गया है कि इससे भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से प्रस्तावित रेसिप्रोकल टैरिफों यानी ‘जैसे को तैसा‘ टैरिफों के मामले में कुछ छूट मिलेगी या नहीं. ट्रंप ने इन टैरिफों को 2 अप्रैल, 2025 से लागू करने की बात कही है. यानी इसके बाद अमेरिका भारत से किसी खास सामान के आयात पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना भारत उस सामान के अमेरिका से आयात पर लगाता है.

भारत ने पिछले दो महीनों में हाई-एंड मोटरसाइकिलों और बरबन व्हिस्की पर टैरिफ घटाए हैं ताकि ट्रंप की ओर से लगाए गए कड़े प्रतिबंधों में थोड़ी छूट मिल सके. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप को रिझाने के लिए भारत की ओर से अमेरिका की ऑनलाइन सर्विसेज, गाड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक्स, और मेडिकल सेवाओं पर भी टैरिफ कम किया जा सकता है. कुछ दिन पहले डॉनल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि “भारत के साथ सब ठीक हो जाएगा”. हालांकि उन्होंने इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं दी थी. इसके अलावा उन्होंने कुछ देशों को टैरिफ में राहत देने का इशारा भी किया था. हालांकि इस संदर्भ में भी अधिक जानकारी नहीं दी थी.

ऐसे में भारत के साथ व्यापार की ये बातचीत काफी अहम है क्योंकि ये ट्रंप के टैरिफ लागू होने से ठीक पहले हुई है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि इन टैरिफ की वजह से अगले वित्त वर्ष में भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात 7.3 मिलियन डॉलर कम रहेगा. रेसिप्रोकल टैरिफ के अलावा डॉनल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर भी 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया है. ये टैरिफ भी भारत को नुकसान पहुंच जाएगा क्योंकि भारत, वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीद रहा है.

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार रहा है. 2019 में ट्रंप ने भारत को अमेरिका के जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस यानी व्यापार की वरीयता सूची से हटाया था जिससे भारत को सस्ते निर्यात से होने वाले फायदे पर असर पड़ा था. हालांकि इसके जवाब में भारत ने भी अमेरिका के बादामों और स्टील पर टैरिफ बढ़ाए थे.

*भारत के सामने अमेरिका से इतर देखने की चुनौती*
डॉनल्ड ट्रंप का अमेरिका फर्स्ट एजेंडा फिर से भारत के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहा है. टैरिफ वॉर सिर्फ भारत को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा. डॉनल्ड ट्रंप ने चीन पर भी भारी टैरिफ लग रहे हैं. इन टैरिफ के चलते भारत में मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों पर असर पड़ सकता है, खासकर छोटे और उद्योगों के मामले में. भारत मेडिकल उपकरणों, कपड़े, और आईटी सेवाओं के मामले में समझौता चाहता है. अगर दोनों देशों के बीच सितंबर 2025 तक डील हो जाती है, तो भारतीय व्यापारियों को कुछ राहत की उम्मीद है. हालांकि, 2 अप्रैल से पहले कोई राहत मिलने के आसार कम ही हैं.

इस सारी उठापटक के बीच जानकारों यही मान रहे हैं कि भारत को अपने सामान के निर्यात में विविधता लानी होगी. भारत को आसियान और अफ्रीका के देशों के साथ व्यापार को और मजबूत करना होगा. भारत के लिए व्यापार में मुनाफे अर्थव्यवस्था की तरक्की बनाए रखने के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील जरूरी है पर ट्रंप का फोकस अमेरिकी नौकरियों और अमेरिका की तरक्की पर है. ऐसे में भारत को नए उद्योग और उनके लिए नए बाजार तैयार करने होंगे वरना उस पर अमेरिकी टैरिफ की मार काफी भारी पड़ेगी.  

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