Sunday, April 27, 2025

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स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू : दिल्ली एम्स का 49 वां दीक्षांत समारोह अवार्ड से भी सम्मानित

AIIMS की जिम्मेदारी सिर्फ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शोध तक सीमित नहीं, इसका उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना है जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाए, संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए।

नई दिल्ली, 22 मार्च 2025 (यूटीएन)। एम्स दिल्ली के इस ब्रैंड को कम नहीं होने देंगे। यह तभी संभव है जब हमारे युवा डॉक्टर देश के हेल्थ केयर के साथ जुड़ेंगे और देश के बाकी एम्स को भी इस ब्रैंड के स्तर तक पहुंचने में योगदान देंगे। यह बातें शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स के 49वें दीक्षांत समारोह में कहीं। समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रहीं। उन्होंने अपने क्षेत्र में बेस्ट परफॉर्म करने वाले डॉक्टरों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने एम्स के 8 पूर्व फैकल्टी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया।

इस दौरान एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम. श्रीनिवास ने बताया कि कुल 1886 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित डॉक्टरों को लेकर कहा कि चाहे मेडिकल एजुकेशन की बात हो, रिसर्च या हेल्थ केयर डिलीवरी की बात हो, एम्स एक लीडर बन चुका है। चाहे सांसद हो, गवर्नर हो या अन्य प्रतिनिधि हर कोई अपने अपने क्षेत्र में एम्स खोलने की मांग करते हैं। बाकी 22 एम्स में यहां की तरह वर्क कल्चर बनाना एक चुनौती है।

एम्स, गीता के कर्मयोग की जीवंत प्रयोगशाला: राष्ट्रपति

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नई दिल्ली का एम्स स्वास्थ्य सेवा और मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। यहां से डिग्री हासिल कर रहे डॉक्टर और रिसर्चर हमारे स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और देश की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एम्स, गीता के कर्मयोग की जीवंत प्रयोगशाला है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि एम्स एक गर्व की बात है और यह मेड-इन-इंडिया की सफलता की कहानी है।

जिसे देश भर में दोहराया जा सकता है। एम्स की जिम्मेदारी केवल स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शोध तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसा माहौल बनाने तक विस्तारित है, जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाए। संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हो और उत्कृष्टता को आदर्श माना जाए। एम्स मात्र एक इंस्टिट्यूट नहीं है, यह एक ब्रैंड है। यहां ब्रैंड के साथ-साथ एक वर्क कल्चर भी है, जहां मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टर अपनी जान की बाजी लगा देते हैं।

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स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू : दिल्ली एम्स का 49 वां दीक्षांत समारोह अवार्ड से भी सम्मानित

AIIMS की जिम्मेदारी सिर्फ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शोध तक सीमित नहीं, इसका उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना है जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाए, संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए।

नई दिल्ली, 22 मार्च 2025 (यूटीएन)। एम्स दिल्ली के इस ब्रैंड को कम नहीं होने देंगे। यह तभी संभव है जब हमारे युवा डॉक्टर देश के हेल्थ केयर के साथ जुड़ेंगे और देश के बाकी एम्स को भी इस ब्रैंड के स्तर तक पहुंचने में योगदान देंगे। यह बातें शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स के 49वें दीक्षांत समारोह में कहीं। समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रहीं। उन्होंने अपने क्षेत्र में बेस्ट परफॉर्म करने वाले डॉक्टरों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने एम्स के 8 पूर्व फैकल्टी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया।

इस दौरान एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम. श्रीनिवास ने बताया कि कुल 1886 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित डॉक्टरों को लेकर कहा कि चाहे मेडिकल एजुकेशन की बात हो, रिसर्च या हेल्थ केयर डिलीवरी की बात हो, एम्स एक लीडर बन चुका है। चाहे सांसद हो, गवर्नर हो या अन्य प्रतिनिधि हर कोई अपने अपने क्षेत्र में एम्स खोलने की मांग करते हैं। बाकी 22 एम्स में यहां की तरह वर्क कल्चर बनाना एक चुनौती है।

एम्स, गीता के कर्मयोग की जीवंत प्रयोगशाला: राष्ट्रपति

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नई दिल्ली का एम्स स्वास्थ्य सेवा और मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। यहां से डिग्री हासिल कर रहे डॉक्टर और रिसर्चर हमारे स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और देश की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एम्स, गीता के कर्मयोग की जीवंत प्रयोगशाला है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि एम्स एक गर्व की बात है और यह मेड-इन-इंडिया की सफलता की कहानी है।

जिसे देश भर में दोहराया जा सकता है। एम्स की जिम्मेदारी केवल स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शोध तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसा माहौल बनाने तक विस्तारित है, जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाए। संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हो और उत्कृष्टता को आदर्श माना जाए। एम्स मात्र एक इंस्टिट्यूट नहीं है, यह एक ब्रैंड है। यहां ब्रैंड के साथ-साथ एक वर्क कल्चर भी है, जहां मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टर अपनी जान की बाजी लगा देते हैं।

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