Monday, March 24, 2025

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एडवोकेट एसोसिएशन ने तीन जजों की अदालती कार्यवाही से बनाई दूरी,झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों का बड़ा फैसला

वकील एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि जो वकील इस फैसले का विरोध करेंगे, उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी।

झारखंड, 07 मार्च 2025 (यूटीएन)। झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों ने बुधवार को आमसभा में बाहरी जजों की नियुक्ति का विरोध किया। उन्होंने झारखंड के वकीलों को जज बनाने की मांग की। वकील कॉलेजियम के रवैये से नाराज हैं। उन्होंने 6 मार्च से तीन जजों की अदालतों में काम नहीं करने का फैसला किया। वहीं, एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से मिलेगा। दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की।

इस आमसभा में हाईकोर्ट में बाहरी लोगों को जज बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई गई। वकीलों का कहना है कि झारखंड के वकीलों को ही जज बनाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने कॉलेजियम से मांग की है। कॉलेजियम जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का एक समूह होता है। वकीलों का कहना है कि वो कॉलेजियम के मौजूदा रवैये से बहुत परेशान हैं। वकीलों का बड़ा फैसला इस नाराजगी की वजह से वकीलों ने एक बड़ा फैसला लिया है।

उन्होंने 6 मार्च से हाईकोर्ट के तीन जजों की अदालतों में काम नहीं करने का ऐलान किया है। ये तीन अदालतें हैं चीफ जस्टिस की कोर्ट नंबर एक, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट नंबर तीन और जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट नंबर चार। वकील एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि जो वकील इस फैसले का विरोध करेंगे, उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी। मामले को आगे बढ़ाने के लिए वकीलों ने एक प्रतिनिधिमंडल बनाने का फैसला किया है। यह प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर कई अहम लोगों से मुलाकात करेगा। इनमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल इन लोगों से जजों की नियुक्ति के बारे में अपनी चिंताएं जाहिर करेगा और मामले में दखल देने की मांग करेगा। इसके अलावा, वकीलों ने 10 मार्च को एक और बैठक बुलाई है। यह बैठक सुबह 10:15 बजे हाईकोर्ट के एस्केलेटर के पास होगी। इसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। आमसभा में जो प्रस्ताव पास हुआ, उस पर 400 से अधिक वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। वकीलों ने एक अभियान चलाकर ये हस्ताक्षर इकट्ठा किए।

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एडवोकेट एसोसिएशन ने तीन जजों की अदालती कार्यवाही से बनाई दूरी,झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों का बड़ा फैसला

वकील एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि जो वकील इस फैसले का विरोध करेंगे, उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी।

झारखंड, 07 मार्च 2025 (यूटीएन)। झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों ने बुधवार को आमसभा में बाहरी जजों की नियुक्ति का विरोध किया। उन्होंने झारखंड के वकीलों को जज बनाने की मांग की। वकील कॉलेजियम के रवैये से नाराज हैं। उन्होंने 6 मार्च से तीन जजों की अदालतों में काम नहीं करने का फैसला किया। वहीं, एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से मिलेगा। दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट के वकीलों ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की।

इस आमसभा में हाईकोर्ट में बाहरी लोगों को जज बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई गई। वकीलों का कहना है कि झारखंड के वकीलों को ही जज बनाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने कॉलेजियम से मांग की है। कॉलेजियम जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का एक समूह होता है। वकीलों का कहना है कि वो कॉलेजियम के मौजूदा रवैये से बहुत परेशान हैं। वकीलों का बड़ा फैसला इस नाराजगी की वजह से वकीलों ने एक बड़ा फैसला लिया है।

उन्होंने 6 मार्च से हाईकोर्ट के तीन जजों की अदालतों में काम नहीं करने का ऐलान किया है। ये तीन अदालतें हैं चीफ जस्टिस की कोर्ट नंबर एक, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट नंबर तीन और जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट नंबर चार। वकील एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि जो वकील इस फैसले का विरोध करेंगे, उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी। मामले को आगे बढ़ाने के लिए वकीलों ने एक प्रतिनिधिमंडल बनाने का फैसला किया है। यह प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर कई अहम लोगों से मुलाकात करेगा। इनमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल इन लोगों से जजों की नियुक्ति के बारे में अपनी चिंताएं जाहिर करेगा और मामले में दखल देने की मांग करेगा। इसके अलावा, वकीलों ने 10 मार्च को एक और बैठक बुलाई है। यह बैठक सुबह 10:15 बजे हाईकोर्ट के एस्केलेटर के पास होगी। इसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। आमसभा में जो प्रस्ताव पास हुआ, उस पर 400 से अधिक वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। वकीलों ने एक अभियान चलाकर ये हस्ताक्षर इकट्ठा किए।

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