नई दिल्ली, 02 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। संसद में केंद्र सरकार ने माना है कि देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स जिनमें दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी शामिल है, उनके आस पास जीपीएस स्पूफिंग और जीएनएसएस इंटरफेरेंस की घटनाएं सामने आई हैं. इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे 10 की ओर आने वाली कुछ उड़ानों ने रिपोर्ट किया कि एप्रोच के दौरान जीपीएस आधारित नेविगेशन सिस्टम गलत संकेत देने लगे थे. ऐसे मामलों में पायलटों को तुरंत कंटिजेंसी प्रक्रियाओं पर स्विच करना पड़ा, जिसके चलते विमान सुरक्षित रूप से लैंड कर पाए.
मोदी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अन्य रनवे और पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहे थे इसलिए उड़ानों की मूवमेंट पर कोई असर नहीं पड़ा. डीजीसीए ने इस तरह की घटनाओं के बाद कई कदम उठाए हैं. 24 नवंबर को जीएनएसएस इंटरफेरेंस को लेकर विशेष एडवाइजरी जारी की गई थी. इसके अलावा डीजीसीए ने 10 नवंबर 2025 को एक नई मानक संचालन प्रक्रिया लागू की, जिसमें जीपीएस स्पूफिंग और जीएनएसएस इंटरफेरेंस की रियल-टाइम रिपोर्टिंग की अनिवार्यता शामिल है. इसका उद्देश्य है कि हर असामान्य जीपीएस गतिविधि को तुरंत चिन्हित किया जा सके और एयर ट्रैफिक सिस्टम समय रहते प्रतिक्रिया कर सके.
एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वायरलेस निगरानी संगठन को निर्देश दिए हैं कि वे इंटरफेरेंस और स्पूफिंग के स्रोत का पता लगाएं. संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, एक उच्च-स्तरीय बैठक में डब्ल्यूएमओ को विशेष रूप से अधिक संसाधन लगाने और डीजीसीए तथा एएआई द्वारा साझा किए गए लोकेशन डेटा के आधार पर स्पूफिंग के संभावित स्रोत को चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं.
*जीपीएस इंटरफेरेंस का खतरा बढ़ा*
सरकार ने यह भी बताया कि नवंबर 2023 से डीजीसीए द्वारा रिपोर्टिंग अनिवार्य किए जाने के बाद से देश के कई अन्य प्रमुख एयरपोर्ट्स से भी ऐसे मामलों की सूचनाएं आने लगी हैं. इनमें कोलकाता, मुंबई, अमृतसर, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े हवाई अड्डे शामिल हैं. जीपीएस इंटरफेरेंस का खतरा केवल एक शहर तक सीमित नहीं बल्कि यह एक युद्ध स्तर की चुनौती है. इन घटनाओं के बावजूद भारत का न्यूनतम ऑपरेटिंग नेटवर्क एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. यह नेटवर्क पारंपरिक और ग्राउंड-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम का समूह है, जो जीपीएस में गड़बड़ी होने पर भी उड़ानों की सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करता है.
*साइबर खतरे लगातार बढ़ रहे हैं*
सरकार के मुताबिक, यही वजह है कि स्पूफिंग के मामलों के बावजूद समग्र उड़ान सुरक्षा प्रभावित नहीं हुई. सरकार ने यह भी बताया कि आज की विमानन दुनिया में साइबर खतरे लगातार बढ़ रहे हैं, जिनमें रैनसमवेयर और मालवेयर जैसे हमले प्रमुख हैं. इनसे निपटने के लिए एएआई ने आईटी नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा समाधान लागू किए हैं.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


