Friday, December 12, 2025

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संसद में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित

स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है और यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का एक स्थायी प्रतीक है, सूत्रों ने बताया कि सदन में इस विषय पर लगभग 10 घंटे चर्चा होने की उम्मीद है।

नई दिल्ली, 02 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। लोकसभा में इस सप्ताह के अंत में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। इस अवसर पर सदस्यों को स्वतंत्रता आंदोलन में इस देशभक्ति गीत की भूमिका और इसकी समकालीन प्रासंगिकता के अलावा भारत की सांस्कृतिक विरासत के पहलुओं पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी इस चर्चा में भाग लेने की संभावना है। इसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।
*वंदे मातरम गीत के 150 साल पूरे होने पर होगी चर्चा*
“इस सप्ताह के अंत में लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विस्तृत और विशेष चर्चा होने की संभावना है। यह चर्चा संसद के शीतकालीन सत्र का एक प्रमुख आकर्षण होने की उम्मीद है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम की भूमिका और समकालीन भारत में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा का अवसर प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी इस चर्चा में भाग लेने की संभावना है।
*स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की उपलब्धि के लिए चर्चा*
उन्होंने कहा कि चर्चा उस रचना को उजागर करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाएगी, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है और यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का एक स्थायी प्रतीक है। सूत्रों ने बताया कि सदन में इस विषय पर लगभग 10 घंटे चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम, जिसका अर्थ है “माँ, मैं तुम्हें नमन करता हूँ” की 150वीं वर्षगांठ 7 नवंबर, 2025 को मनाई गई। यह रचना, एक स्थायी गान है, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है, जो भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना के एक स्थायी प्रतीक के रूप में खड़ा है।
*7 नवंबर 1875 को वंदे मातरम पहली बार प्रकाशित हुआ था*
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ पहली बार 7 नवंबर, 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ था। बाद में, बंकिम चंद्र चटर्जी ने इस भजन को अपने अमर उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुआ। इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था। यह राष्ट्र की सभ्यतागत, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक वर्ष तक चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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संसद में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित

स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है और यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का एक स्थायी प्रतीक है, सूत्रों ने बताया कि सदन में इस विषय पर लगभग 10 घंटे चर्चा होने की उम्मीद है।

नई दिल्ली, 02 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। लोकसभा में इस सप्ताह के अंत में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। इस अवसर पर सदस्यों को स्वतंत्रता आंदोलन में इस देशभक्ति गीत की भूमिका और इसकी समकालीन प्रासंगिकता के अलावा भारत की सांस्कृतिक विरासत के पहलुओं पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी इस चर्चा में भाग लेने की संभावना है। इसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।
*वंदे मातरम गीत के 150 साल पूरे होने पर होगी चर्चा*
“इस सप्ताह के अंत में लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विस्तृत और विशेष चर्चा होने की संभावना है। यह चर्चा संसद के शीतकालीन सत्र का एक प्रमुख आकर्षण होने की उम्मीद है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम की भूमिका और समकालीन भारत में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा का अवसर प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी इस चर्चा में भाग लेने की संभावना है।
*स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की उपलब्धि के लिए चर्चा*
उन्होंने कहा कि चर्चा उस रचना को उजागर करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाएगी, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है और यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का एक स्थायी प्रतीक है। सूत्रों ने बताया कि सदन में इस विषय पर लगभग 10 घंटे चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम, जिसका अर्थ है “माँ, मैं तुम्हें नमन करता हूँ” की 150वीं वर्षगांठ 7 नवंबर, 2025 को मनाई गई। यह रचना, एक स्थायी गान है, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित किया है, जो भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना के एक स्थायी प्रतीक के रूप में खड़ा है।
*7 नवंबर 1875 को वंदे मातरम पहली बार प्रकाशित हुआ था*
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ पहली बार 7 नवंबर, 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ था। बाद में, बंकिम चंद्र चटर्जी ने इस भजन को अपने अमर उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुआ। इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था। यह राष्ट्र की सभ्यतागत, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक वर्ष तक चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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