नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। पुणे में जैन ट्रस्ट की संपत्ति की बिक्री को लेकर हुए विवाद के बाद सौदे में शामिल बिल्डर ने कदम पीछे खींच लिए हैं। दरअसल बिल्डर ने ट्रस्ट को एक ईमेल भेजकर सौदा रद्द करने की मांग की है। बिल्डर और गोखले लैंडमार्क एलएलपी के पार्टनर विशाल गोखले ने जैन ट्रस्ट सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट को भेजे एक ईमेल में लिखा है कि वे इस सौदे से पीछे हट रहे हैं और उन्होंने बिक्री सौदा रद्द करने की मांग की। बिल्डर ने ईमेल में लिखा कि सौदे को लेकर सार्वजनिक तौर पर कई भ्रामक और झूठी अफवाहें चल रही हैं। दावा किया जा रहा है कि सौदे में अनियमितताएं हुई हैं। कई लोगों ने इस ईमेल के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर साझा किए हैं।
*क्या है पूरा मामला*
पुणे के पॉश इलाके मॉडल कॉलोनी में स्थित 12 हजार वर्ग मीटर जगह में जैन धर्मशाला और श्री भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। इस जगह का मालिकाना हक सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट नामक एक चैरिटेबल संस्था के पास है, जिसकी स्थापना साल 1958 में हुई थी। बीते दिनों जैन ट्रस्ट ने इस जमीन का सौदा गोखले कंस्ट्रक्शन्स कंपनी के साथ 311 करोड़ रुपये में किया। हालांकि इस सौदे का विरोध शुरू हो गया और कई छात्र, धार्मिक संगठन और स्थानीय लोग इसके विरोध में उतर आए। लोगों ने इस सौदे के अवैध बताया और दावा किया कि ट्रस्ट जमीन को नहीं बेच सकती।
सोमवार को इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई और एनसीपी (एसपी) नेता ने सौदे का विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की।
विवाद बढ़ने पर अब गोखले कस्ट्रक्शंस ने सौदा रद्द करने की मांग की है और सौदे के तहत जैन ट्रस्ट को दिए गए अपने 230 करोड़ रुपये वापस मांगें हैं। बिल्डर ने सौदे को लेकर किए जा रहे दावों को झूठा और भ्रामक बताया और कहा कि सौदे में नियमों का पालन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे विवाद से कंपनी की छवि को नुकसान हो रहा है और जैन समुदाय के बीच भी गलत धारणा बन रही है। पुणे से लोकसभा सांसद मुरलीधर मोहोल का नाम भी इस विवाद में लिया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि सांसद भी गोखले कंस्ट्रक्शंस में पार्टनर हैं, लेकिन सांसद ने अब सफाई देते हुए कहा है कि वे अब गोखले कंस्ट्रक्शंस में पार्टनर नहीं हैं और जैन ट्रस्ट की जमीन का सौदा होने से बहुत पहले ही वे पार्टनरशिप खत्म कर चुके हैं।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


