Wednesday, October 8, 2025

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टाटा समूह के विवाद के बीच गृहमंत्री और वित्त मंत्री से मिले चेयरमैन

सीतारमण भी गृह मंत्री के आवास पर बैठक में शामिल हुईं, टाटा ट्रस्ट के न्यासियों के बीच जारी विवादों से 180 अरब डॉलर से अधिक के इस समूह के कामकाज पर असर पड़ने का खतरा है।

नई दिल्ली, 08 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित टाटा समूह के शीर्ष अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। यह मुलाकात निदेशक मंडल (बोर्ड) नियुक्तियों और कॉरपोरेट संचालन संबंधी मुद्दों पर न्यासियों के बीच जारी विवाद की पृष्ठभूमि में हुई। नोएल टाटा और चंद्रशेखरन, टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा के साथ शाम को शाह के आवास पर बैठक के लिए पहुंचे। सीतारमण भी गृह मंत्री के आवास पर बैठक में शामिल हुईं। टाटा ट्रस्ट के न्यासियों के बीच जारी विवादों से 180 अरब डॉलर से अधिक के इस समूह के कामकाज पर असर पड़ने का खतरा है।
*क्या है विवाद*
टाटा ट्रस्ट की नमक से लेकर सेमीकंडक्टर तक बनाने वाले समूह की प्रवर्तक और होल्डिंग कंपनी टाटा संस में लगभग 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट में दो गुट हैं, एक हिस्सा नोएल टाटा के साथ जुड़ा है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था। चार न्यासियों के दूसरे समूह का नेतृत्व मेहली मिस्त्री करते हैं, जिनका संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है। इस परिवार के पास टाटा संस में लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मिस्त्री को कथित तौर पर लगता है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि विवाद का मुख्य बिंदु टाटा संस के बोर्ड में पद को लेकर है, जो 156 साल पुराने समूह को नियंत्रित करता है। इस समूह में 30 सूचीबद्ध फर्मों सहित लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं।
*अधिकारियों ने किसी तरह की टिप्पणी से किया इनकार*
टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और वेणु श्रीनिवासन ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और मेहली मिस्त्री की टिप्पणी खबर लिखे जाने तक नहीं मिल सकी थी। मिस्त्री ने कॉल और संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला। एक सूत्र ने कहा देश की अर्थव्यवस्था के लिए टाटा समूह की अहमियत को देखते हुए, सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह किसी एक व्यक्ति को इसका नियंत्रण सौंप सकती है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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टाटा समूह के विवाद के बीच गृहमंत्री और वित्त मंत्री से मिले चेयरमैन

सीतारमण भी गृह मंत्री के आवास पर बैठक में शामिल हुईं, टाटा ट्रस्ट के न्यासियों के बीच जारी विवादों से 180 अरब डॉलर से अधिक के इस समूह के कामकाज पर असर पड़ने का खतरा है।

नई दिल्ली, 08 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित टाटा समूह के शीर्ष अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। यह मुलाकात निदेशक मंडल (बोर्ड) नियुक्तियों और कॉरपोरेट संचालन संबंधी मुद्दों पर न्यासियों के बीच जारी विवाद की पृष्ठभूमि में हुई। नोएल टाटा और चंद्रशेखरन, टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा के साथ शाम को शाह के आवास पर बैठक के लिए पहुंचे। सीतारमण भी गृह मंत्री के आवास पर बैठक में शामिल हुईं। टाटा ट्रस्ट के न्यासियों के बीच जारी विवादों से 180 अरब डॉलर से अधिक के इस समूह के कामकाज पर असर पड़ने का खतरा है।
*क्या है विवाद*
टाटा ट्रस्ट की नमक से लेकर सेमीकंडक्टर तक बनाने वाले समूह की प्रवर्तक और होल्डिंग कंपनी टाटा संस में लगभग 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट में दो गुट हैं, एक हिस्सा नोएल टाटा के साथ जुड़ा है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था। चार न्यासियों के दूसरे समूह का नेतृत्व मेहली मिस्त्री करते हैं, जिनका संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है। इस परिवार के पास टाटा संस में लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मिस्त्री को कथित तौर पर लगता है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि विवाद का मुख्य बिंदु टाटा संस के बोर्ड में पद को लेकर है, जो 156 साल पुराने समूह को नियंत्रित करता है। इस समूह में 30 सूचीबद्ध फर्मों सहित लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं।
*अधिकारियों ने किसी तरह की टिप्पणी से किया इनकार*
टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और वेणु श्रीनिवासन ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और मेहली मिस्त्री की टिप्पणी खबर लिखे जाने तक नहीं मिल सकी थी। मिस्त्री ने कॉल और संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला। एक सूत्र ने कहा देश की अर्थव्यवस्था के लिए टाटा समूह की अहमियत को देखते हुए, सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह किसी एक व्यक्ति को इसका नियंत्रण सौंप सकती है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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