नई दिल्ली, 29 सितम्बर (यूटीएन)। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने आज कहा कि सरकार लंबे समय के उपाय कर रही है जो भारत को आकार दे रहे हैं। नए जीएसटी सुधार और कम महंगाई से भारतीय उपभोक्ताओं को राहत मिली है, जिससे परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल में अधिक निवेश कर सकते हैं, जिससे जीवन यापन की लागत कम होती है। उन्होंने जोर देकर कहा, “2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है, और यह भी दिखाता है कि जब तक हम अपने देश को हर तरह से पूरी तरह विकसित नहीं कह सकते, तब तक लंबे समय के सुधारों के लिए खिड़की खुली रहेगी।

फिक्की इंडस्ट्री 4.0 एक्सीलेंस अवार्ड्स समारोह और सम्मेलन’ के तीसरे संस्करण में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर बोलते हुए, खरे ने कहा कि सरकार ने नागरिकों को बेहतर जीवन देने के लिए पहले ही टेक्नोलॉजी अपना ली है, जिसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना, यूपीआई और जीएसटी 2.0 शामिल हैं। उन्होंने कहा, “सरकार में, हमने यह तय किया है और हम मानते हैं कि टेक्नोलॉजी के उपयोग के बिना यह संभव नहीं होता, और हम टेक्नोलॉजी के अगले चरण के उपयोग की तलाश कर रहे हैं। खरे ने आगे कहा कि ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए उद्योग को गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है और भारतीय परिस्थितियों के आधार पर मानकों की वकालत की।
उन्होंने उद्योग से भारतीय मानक ब्यूरो की तकनीकी समितियों के साथ काम करने का भी आग्रह किया, जो मानकों को तैयार करने, बनाने और समीक्षा करने में अग्रणी हैं। उन्होंने कहा, “सरकार ने देश में पहले ही स्मार्ट स्टैंडर्ड्स शुरू कर दिए हैं। हम अभी भी इन मानकों के एक्सटर्नलाइज़ेशन पर काम कर रहे हैं ताकि मशीनें उन्हें पढ़ सकें और उद्योग का समय बच सके।” उन्होंने एमएस एमई से भी इन मानकों को अपनाने पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए उत्पादों की गुणवत्ता और मानकों का पालन करना महत्वपूर्ण है। सरकार विभिन्न सामुदायिक परीक्षण प्रयोगशालाएं खोलकर इसका समर्थन कर सकती है।

खरे ने कहा कि विश्व आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए हमें गुणवत्ता के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी भी होना चाहिए, और इसमें इंडस्ट्री 4.0 एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुप्रकाश चौधरी, फिक्की टेक्नोलॉजी कमेटी के को-चेयर ने कहा कि टेक्नोलॉजी को खर्च के तौर पर नहीं बल्कि लंबे समय तक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा और मजबूती में निवेश के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की इंडस्ट्री 4.0 की कहानी तभी पूरी होगी जब इसमें बड़ी संख्या में एमएसएमई शामिल होंगे।
गोकुल वी सुब्रमण्यम, इंटेल के इंडिया प्रेसिडेंट ने कहा कि हमें उन क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है जहां अभी तक टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ है, जैसे कि कृषि, सरकारी सेवाएं। उन्होंने कहा कि देश के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में टेक्नोलॉजी और एआई को पहुंचाना और उसे सभी के लिए किफायती और सुलभ बनाना जरूरी है। फिक्की की महानिदेशक श्रीमती ज्योति विज ने कहा कि इंडस्ट्री 4.0 अब सिर्फ़ कुशलता के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक इंटरकनेक्टेड दुनिया में मजबूती, नवाचार और प्रतिस्पर्धा के बारे में है। उन्होंने कहा, “इन टेक्नोलॉजी में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है क्योंकि वे मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस के भविष्य को आकार दे रही हैं।
एनएबीसीबी के पूर्व चेयरमैन श्याम बांग ने कहा कि इंडस्ट्री 4.0 में डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गुणवत्ता बनाए रखकर, दक्षता बढ़ाकर और विश्वसनीयता बढ़ाकर उद्योगों को मजबूत करेगा। संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के उप महानिदेशक अनिल कुमार भारद्वाज ने कहा कि सरकार टेक्नोलॉजी में नवाचार लाने के लिए उद्योग को फंडिंग करने को तैयार है। उन्होंने कहा, “जो लोग टेक्नोलॉजी में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए पैसा उपलब्ध है। यह फंडिंग पूरी तरह से अनुदान के रूप में दी जाती है। कार्यक्रम के दौरान, फिक्की इंडस्ट्री 4.0 हैंडबुक जारी की गई और फिक्की इंडस्ट्री 4.0 पुरस्कार भी वितरित किए गए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।