Tuesday, October 7, 2025

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अवैध व्यापार से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म व इन्फ्लुएंसर को शामिल करें: न्यायमूर्ति मनमोहन

सिर्फ देश को राजस्व नुकसान की बात नहीं है, असली नुकसान नौकरी में कमी, इनोवेशन का शोषण, आपराधिक गिरोहों का मजबूत होना और आतंकवाद को फंडिंग के रूप में होता है।

नई दिल्ली, 19 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने आज, फिक्की-कैस्केड द्वारा आयोजित 11वें मास्क्रैड (स्मगलिंग और नकली व्यापार के खिलाफ आंदोलन) कार्यक्रम में बोलते हुए, अवैध व्यापार की बढ़ती चुनौतियों से निपटने में न्यायपालिका, कानूनी ढांचे, सरकार और नागरिक समाज के सामूहिक प्रयास की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “आज अवैध व्यापार का अनुमान लगभग सालाना 3 ट्रिलियन डॉलर है। यह सिर्फ देश को राजस्व नुकसान की बात नहीं है – असली नुकसान नौकरी में कमी, इनोवेशन का शोषण, आपराधिक गिरोहों का मजबूत होना और आतंकवाद को फंडिंग के रूप में होता है। यह सिर्फ आर्थिक चिंता नहीं है बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा चुनौती भी है।
उन्होंने नकली सिगरेट जो सीमा पर पकड़ी गई और नकली दवाएं जो लोगों की जान को खतरे में डालती हैं, जैसे वास्तविक उदाहरणों से तस्करी और नकली सामान के खतरों को बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अवैध व्यापार सरकार को जीएसटी जैसे उचित कर राजस्व से वंचित करता है, उपभोक्ता सुरक्षा नहीं देता है और नागरिकों को गंभीर जोखिम में डालता है। हमारे पास पहले से ही कानूनी ढांचा है सुरक्षा अधिनियम, आईपीसी, आईटी अधिनियम, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम और कृषि उत्पादों सहित और भी नियम प्रस्तावित हैं। लेकिन चुनौती बदल रही है। आज, बहुत सारा अवैध व्यापार ऑनलाइन होता है, जहां नुकसान और भी बड़ा होता है। चाहे वह नकली दवाएं हों, भारत के बाहर के सर्वर से पाइरेटेड फिल्में हों या खतरनाक गुमनाम टोरेंट वेबसाइटें हों – प्रवर्तन और जटिल और खतरनाक होता जा रहा है। ये प्लेटफॉर्म न केवल वैध व्यवसाय को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि आतंकवाद को फंड भी करते हैं।
सभी हितधारकों के दृष्टिकोण की मांग करते हुए, उन्होंने जोर दिया कि अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई अकेले नहीं जीती जा सकती। उन्होंने नकली और तस्करी वाले सामान के प्रसार को रोकने में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल इन्फ्लुएंसर की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “अवैध व्यापार से निपटने में एक कदम आगे रहने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, इन्फ्लुएंसर, नागरिक समाज, कंपनियों और सरकार के साथ काम करने का समय आ गया है। सहयोग सभी के हित में है।” सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स के सदस्य मोहन कुमार सिंह ने अवैध व्यापार से होने वाली चुनौतियों और सिस्टम में खामियों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा,  अवैध व्यापार न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करता है, बल्कि संगठित अपराध नेटवर्क को फंडिंग भी देता है।
कमजोर सीमा नियंत्रण, निगरानी में खामियां, एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और नियम-कायदों की जटिलता जैसे कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं। इससे निपटने के लिए गतिशील और लचीले समाधान, एजेंसियों के बीच बेहतर सूचना-साझाकरण, उन्नत निगरानी तकनीक का इस्तेमाल और मजबूत अंतर-सीमा सहयोग की आवश्यकता है। नीति सुधार, सरल कर संरचना, अंतर्राष्ट्रीय खुफिया जानकारी साझाकरण और उद्योग व नागरिक समाज के सक्रिय भागीदारी से हम अवैध गतिविधियों के खिलाफ एक पारदर्शी, निष्पक्ष और मजबूत इकोसिस्टम बना सकते हैं। रेवेन्यू इंटेलिजेंस निदेशालय के महानिदेशक अभय कुमार श्रीवास्तव ने इस समस्या की गंभीरता पर और प्रकाश डाला, कहा:  आधुनिक अवैध व्यापार नेटवर्क हमारी अर्थव्यवस्था में गहराई से समा गए हैं, जो विकेंद्रीकृत संचालन, ई-कॉमर्स और डिजिटल इकोसिस्टम एकीकरण के माध्यम से लगातार विकसित हो रहे हैं।
यह एक ऐसा राक्षस है जो पर्यावरण अपराध, एनडीपीएस तस्करी, नकली सामान और वित्तीय अपराधों तक फैला हुआ है। इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, हमें समन्वित रणनीति अपनानी चाहिए, तकनीक का उपयोग करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना चाहिए। 11वें मास्क्रैड में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन , संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय, यूरोपीय संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय, ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के खिलाफ वैश्विक पहल,अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग और डेनमार्क पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। दो दिवसीय सम्मेलन में भारत और विदेशों के विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी और चर्चा में भाग लिया।
उन्होंने उपभोक्ताओं को तस्करी और नकली सामान को अस्वीकार करने और अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया। समापन समारोह में, अवैध व्यापार के खिलाफ जागरूकता फैलाने और लड़ाई को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए प्रवर्तन अधिकारियों, स्कूल के छात्रों और पत्रकारों को एंटी-काउंटरफेटिंग और एंटी-स्मगलिंग पुरस्कार दिए गए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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अवैध व्यापार से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म व इन्फ्लुएंसर को शामिल करें: न्यायमूर्ति मनमोहन

सिर्फ देश को राजस्व नुकसान की बात नहीं है, असली नुकसान नौकरी में कमी, इनोवेशन का शोषण, आपराधिक गिरोहों का मजबूत होना और आतंकवाद को फंडिंग के रूप में होता है।

नई दिल्ली, 19 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने आज, फिक्की-कैस्केड द्वारा आयोजित 11वें मास्क्रैड (स्मगलिंग और नकली व्यापार के खिलाफ आंदोलन) कार्यक्रम में बोलते हुए, अवैध व्यापार की बढ़ती चुनौतियों से निपटने में न्यायपालिका, कानूनी ढांचे, सरकार और नागरिक समाज के सामूहिक प्रयास की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “आज अवैध व्यापार का अनुमान लगभग सालाना 3 ट्रिलियन डॉलर है। यह सिर्फ देश को राजस्व नुकसान की बात नहीं है – असली नुकसान नौकरी में कमी, इनोवेशन का शोषण, आपराधिक गिरोहों का मजबूत होना और आतंकवाद को फंडिंग के रूप में होता है। यह सिर्फ आर्थिक चिंता नहीं है बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा चुनौती भी है।
उन्होंने नकली सिगरेट जो सीमा पर पकड़ी गई और नकली दवाएं जो लोगों की जान को खतरे में डालती हैं, जैसे वास्तविक उदाहरणों से तस्करी और नकली सामान के खतरों को बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अवैध व्यापार सरकार को जीएसटी जैसे उचित कर राजस्व से वंचित करता है, उपभोक्ता सुरक्षा नहीं देता है और नागरिकों को गंभीर जोखिम में डालता है। हमारे पास पहले से ही कानूनी ढांचा है सुरक्षा अधिनियम, आईपीसी, आईटी अधिनियम, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम और कृषि उत्पादों सहित और भी नियम प्रस्तावित हैं। लेकिन चुनौती बदल रही है। आज, बहुत सारा अवैध व्यापार ऑनलाइन होता है, जहां नुकसान और भी बड़ा होता है। चाहे वह नकली दवाएं हों, भारत के बाहर के सर्वर से पाइरेटेड फिल्में हों या खतरनाक गुमनाम टोरेंट वेबसाइटें हों – प्रवर्तन और जटिल और खतरनाक होता जा रहा है। ये प्लेटफॉर्म न केवल वैध व्यवसाय को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि आतंकवाद को फंड भी करते हैं।
सभी हितधारकों के दृष्टिकोण की मांग करते हुए, उन्होंने जोर दिया कि अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई अकेले नहीं जीती जा सकती। उन्होंने नकली और तस्करी वाले सामान के प्रसार को रोकने में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल इन्फ्लुएंसर की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “अवैध व्यापार से निपटने में एक कदम आगे रहने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, इन्फ्लुएंसर, नागरिक समाज, कंपनियों और सरकार के साथ काम करने का समय आ गया है। सहयोग सभी के हित में है।” सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स के सदस्य मोहन कुमार सिंह ने अवैध व्यापार से होने वाली चुनौतियों और सिस्टम में खामियों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा,  अवैध व्यापार न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करता है, बल्कि संगठित अपराध नेटवर्क को फंडिंग भी देता है।
कमजोर सीमा नियंत्रण, निगरानी में खामियां, एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और नियम-कायदों की जटिलता जैसे कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं। इससे निपटने के लिए गतिशील और लचीले समाधान, एजेंसियों के बीच बेहतर सूचना-साझाकरण, उन्नत निगरानी तकनीक का इस्तेमाल और मजबूत अंतर-सीमा सहयोग की आवश्यकता है। नीति सुधार, सरल कर संरचना, अंतर्राष्ट्रीय खुफिया जानकारी साझाकरण और उद्योग व नागरिक समाज के सक्रिय भागीदारी से हम अवैध गतिविधियों के खिलाफ एक पारदर्शी, निष्पक्ष और मजबूत इकोसिस्टम बना सकते हैं। रेवेन्यू इंटेलिजेंस निदेशालय के महानिदेशक अभय कुमार श्रीवास्तव ने इस समस्या की गंभीरता पर और प्रकाश डाला, कहा:  आधुनिक अवैध व्यापार नेटवर्क हमारी अर्थव्यवस्था में गहराई से समा गए हैं, जो विकेंद्रीकृत संचालन, ई-कॉमर्स और डिजिटल इकोसिस्टम एकीकरण के माध्यम से लगातार विकसित हो रहे हैं।
यह एक ऐसा राक्षस है जो पर्यावरण अपराध, एनडीपीएस तस्करी, नकली सामान और वित्तीय अपराधों तक फैला हुआ है। इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, हमें समन्वित रणनीति अपनानी चाहिए, तकनीक का उपयोग करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना चाहिए। 11वें मास्क्रैड में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन , संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय, यूरोपीय संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय, ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के खिलाफ वैश्विक पहल,अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग और डेनमार्क पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। दो दिवसीय सम्मेलन में भारत और विदेशों के विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी और चर्चा में भाग लिया।
उन्होंने उपभोक्ताओं को तस्करी और नकली सामान को अस्वीकार करने और अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया। समापन समारोह में, अवैध व्यापार के खिलाफ जागरूकता फैलाने और लड़ाई को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए प्रवर्तन अधिकारियों, स्कूल के छात्रों और पत्रकारों को एंटी-काउंटरफेटिंग और एंटी-स्मगलिंग पुरस्कार दिए गए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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